भूपेश के घर से निकली CBI : साढ़े 11 घंटे तक चली जांच के बाद लाल कपड़ों में लपेटकर ले गए कई दस्तावेज

रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के घर पर सीबीआई ने रेड मारी थी। तकरीबन साढ़े 11 घंटे की जांच के बाद सीबीआई की टीम घर से निकल आई है। तीन गाड़ियों में सीबीआई की टीम भूपेश बघेल के घर से निकली और कड़ी सुरक्षा के बीच लाल कपड़ों में दस्तावेज जब्त कर ले गए। सीबीआई के जाने के बाद कांग्रेस नेताओं का प्रदर्शन खत्म हुआ। इस कार्रवाई को लेकर कांग्रेस नेताओं ने कहा कि, एजेंसियां डराने के लिए यह कार्रवाई कर रही है।
पूर्व सीएम भूपेश बघेल के घर पर सीबीआई ने रेड मारी थी। तकरीबन साढ़े 11 घंटे की जांच के बाद सीबीआई की टीम घर से निकल आई है। तीन गाड़ियों में सीबीआई की टीम भूपेश बघेल के घर से निकली। pic.twitter.com/280GlaW1dp
— Haribhoomi (@Haribhoomi95271) March 26, 2025
कांग्रेसियों ने किया जमकर हंगामा
भूपेश बघेल के निवास पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाते हुए कहा कि, CBI के अधिकारी बाहर से कूटरचित दस्तावेज लेकर आ रहे। साथ ही उन्होंने बैग खोलकर दस्तावेज दिखाने की मांग भी की है। CBI अधिकारियों के पहुंचने पर जमकर हंगामा किया। इस दौरान कूटरचित दस्तावेज के माध्यम से भूपेश बघेल के खिलाफ साजिश का आरोप लगाया।
राजनीति से प्रेरित है कार्रवाई - पूर्व मंत्री अमरजीत भगत
CBI रेड पर पूर्व मंत्री अमरजीत भगत ने कहा- जब - जब भूपेश बघेल का कद बढता है। उनके खिलाफ केंद्रीय एजेंसी कार्रवाई करती है। यह कार्रवाई पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। जब वे AICC महासचिव और पंजाब प्रभारी बने, तो उनके घर ED भेज दी गई। अब गुजरात में होने वाले अधिवेशन से पहले उन्हें ड्राफ्टिंग कमेटी का सदस्य बनाया गया। तब CBI की कार्रवाई शुरू हो गई। कांग्रेस इस कार्यवाही की निंदा करती है।
राजनीतिक द्वेष से प्रेरित होकर ये सब करवाया जा रहा है : पायलट
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के घर CBI की दबिश मामले में छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रभारी सचिन पायलट ने ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा है कि, आज छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निवास पर CBI की टीम पहुंच गई, यह कोई संयोग नहीं है। इससे पहले भी उनके घर पर ED ने कार्रवाई की थी। अब यह स्पष्ट है, राजनीतिक द्वेष से प्रेरित होकर ये सब करवाया जा रहा है। विपक्षी नेताओं को परेशान करने और लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करने के लिए ऐसे हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। केंद्रीय संस्थाओं की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं, यह सिलसिला अब बंद होना चाहिए।
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