रायपुर। छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने शराब घोटाले की जांच सीबीआई को सौंप दी है। इसको लेकर शनिवार को बाकायदा राज्य सरकार ने नोटिफिकेशन जारी किया है। शराब घोटाले में 2000 करोड़ रुपए से ज्यादा की अफरातफरी का मामला है। इसकी जांच के लिए राज्य सरकार ने सीबीआई को सहमति जारी कर दी है। बता दें कि, महादेव सट्टा ऐप, बिरनपुर हिंसा और छत्तीसगढ़ पीएससी घोटाले की जांच भी सीबीआई कर रही है।
नवंबर से चली आ रही थी प्रक्रिया
अफसरों के अनुसार यह मामला शराब घोटाला से जुड़ा हुआ है। बता दें कि नवंबर में ही राज्य सरकार ने इस मामले को सीबीआई को सौंपने का फैसला किया था। इसके बाद से ही प्रक्रिया चल रही थी। सीबीआई की सहमति मिलने के बाद अब केस सौंपने जाने और उसकी जांच के लिए सीबीआई को अधिकृत करने के संबंध में नोटिफिकेशन जारी किया गया है।
दो हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के तथ्य आये सामने
उल्लेखनीय है कि, राज्य में दो हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के शराब घोटाले में नए तथ्य सामने आए हैं। घोटाले की जांच कर रही केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी की टीम ने जांच में पाया कि छत्तीसगढ़ मार्केटिंग कार्पोरेशन लिमिटेड (सीएमसीएल) बिल भुगतान करने के नाम पर आठ प्रतिशत कमीशन लेती थी। ईडी की टीम ने इस संबंध में सीएमसीएल के तत्कालीन डीजीएम सहित नौ लोगों के खिलाफ ईओडब्लू/एसीबी में रिपोर्ट दर्ज कराई है।
इनके खिलाफ एजेंसी ने दर्ज करवाया है केस
ईडी के अफसरों ने सीएमसीएल के तत्कालीन डीजीएम नवीन प्रताप सिंह तोमर तथा सीएमसीएल के बीआर लोहिया, अजय लोहिया के साथ अभिषेक कुमार सिंह, तिजाउराम निर्मलकर, नीरज कुमार, देवांश देवांगन, जितेंद्र कुमार निर्मलकर, लोकेश्वर प्रसाद सिन्हा तथा अन्य के खिलाफ ईओडब्लू में रिश्वत लेने की शिकायत दर्ज कराई है। ईडी द्वारा दर्ज कराई गई रिपोर्ट के मुताबिक उनकी टीम ने दो लोगों को 28 लाख 80 हजार रुपए रिश्वत लेते पकड़ा है। रिपोर्ट के अनुसार सीएमसीएल का अफसर मैन पॉवर उपलब्ध कराने वाली कंपनी से बिल भुगतान करने के एवज में रिश्वत लेता था।
मैन पॉवर उपलब्ध कराने आठ प्रतिशत कमीशन
पूछताछ में लोकेश ने ईडी के अफसरों को बताया कि सीएमसीएल के तत्कालीन डीजीएम के पास उसने अपने कर्मचारी जितेंद्र का नंबर साझा किया था। मेसर्स ईगल हंटर्स के नीरज ने ईडी को बताया कि नवीन प्रताप सिंह तोमर मैनपॉवर उपलब्ध कराने वाली कंपनियों से बिल भुगतान करने के एवज में रिश्वत लेता था। नवीन प्रताप सिंह बिल भुगतान करने के एवज में आठ प्रतिशत की दर से रिश्वत की मांग करता था।
चैनल के रास्ते रिश्वत पहुंचता था
ईडी ने जिन लोगों को रिश्वत देते तथा लेते पकड़ा था, दोनों निजी क्षेत्र से जुड़े लोग हैं। ईडी ने रिश्वत लेने के आरोपी देवांश देवांगन तथा जितेंद्र से पूछताछ की, तो दोनों ने ईडी के अफसरों को बताया कि उन्हें उनके रियल एस्टेट बॉस लोकेश्वर प्रसाद सिन्हा, मेसर्स फॉर्च्यून बिल्डकॉन के मालिक द्वारा नकदी एकत्र करने के निर्देश दिए गए थे। इस पर ईडी ने लोकेश से पूछताछ की, तो उसने खुलासा किया कि उसे नवीन प्रताप सिंह ने नकदी एकत्र करने के लिए कहा था।
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पिछले वर्ष रिश्वत देते पकड़ा था
ईडी ने ईओडब्लू में जो शिकायत दर्ज कराई है, उसके मुताबिक पिछले वर्ष 29 नवंबर को सीएमसीएल दफ्तर में छापे की कार्रवाई के दौरान अभिषेक कुमार सिंह, तिजाउराम देवांश को जितेंद्र कुमार को रिश्वत देते हुए पकड़ा था। तिजाउराम तथा अभिषेक मेसर्स ईगल हंटर सॉल्यूशंस लिमिटेड के कर्मचारी हैं। दोनों व्यक्ति सीएमसीएल को मैनपॉवर उपलब्ध कराने का काम करते थे। अभिषेक ने पूछताछ में ईडी को बताया कि वह अपनी कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी नीरज कुमार के कहने पर सीएमसीएल के अफसर को रिश्वत देने आया था।