रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में पत्रकारों के सबसे बड़े संगठन प्रेस क्लब रायपुर में अध्यक्ष के साथ ही अन्य पदाधिकारियों का चुनाव 17 फरवरी को होना तय हुआ है। रजिस्ट्रार फर्म्स एवं सोसायटी, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के आदेश पर अपर कलेक्टर एवं निर्वाचन अधिकारी बीसी साहू ने इस संबंध में निर्वाचन कार्यक्रम की अधिसूचना जारी कर दी है। प्रेस क्लब रायपुर के इस चुनाव में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और कोषाध्यक्ष के एक-एक, संयुक्त सचिव के दो पदों पर चुनाव होना है।
2 से 7 फरवरी तक भरे जाएंगे नामांकन
प्रेस क्लब में निर्वाचन के लिए 2 फरवरी से 7 फरवरी तक नाम निर्देशन पत्र कलेक्टोरेट परिसर स्थित कक्ष क्रमांक 11 में सुबह 11 से दोपहर 3 बजे तक भरे जाएंगे। 8 फरवरी को सुबह 11 से दोपहर 3 बजे तक नाम निर्देशन पत्रों की संवीक्षा की जाएगी। 9 फरवरी को दोपहर 3 बजे तक नाम वापस लिए जा सकेंगे। उसके बाद निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों की सूची का अंतिम प्रकाशन किया जाएगा। निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों की सूची कलेक्टोरेट परिसर कक्ष क्रमांक 11, तहसील कार्यालय सहित प्रेस क्लब भवन में भी प्रदर्शित की जाएगी। मोतीबाग स्थित, प्रेस क्लब भवन में 17 फरवरी को सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक मतदान होगा। मतों की गणना मतदान समाप्ति के तुरंत बाद 17 फरवरी को ही प्रेस क्लब भवन रायपुर में की जाएगी।
अध्यक्ष पद के लिए फार्म दो हजार में मिलेगा
नाम निर्देशन पत्र कलेक्टोरेट परिसर रायपुर के कक्ष क्रमांक 11 मिलेंगे। अध्यक्ष पद के लिए नाम निर्देशन पत्र का शुल्क 2 हजार रुपये और अन्य पदों के लिए 1 हजार रुपये निर्धारित किया गया है।
1960 में हुई थी रायपुर प्रेस क्लब की स्थापना
बताते चलें कि शहर के पत्रकारों के इस प्रतिष्ठित और गौरवशाली इतिहास से भरे रायपुर प्रेस क्लब की स्थापना सन 1960 में हुई है। वरिष्ठ पत्रकार बोधनकर जी, रम्मू श्रीवास्तव सहित उस समय के चंद पत्रकारों ने मिलकर पत्रकारों के हित के लिए प्रेस क्लब की स्थापना की थी। वर्तमान में इस क्लब में 784 पत्रकारों के नाम सदस्य के रूप में जुड़े हुए हैं। इस क्लब में कई वरिष्ठ और प्रसिद्ध पत्रकार पदाधिकारी और सदस्य रह चुके हैं ।
पांच साल से लंबित है चुनाव
बता दें कि प्रेस क्लब रायपुर के संविधान के मुताबिक निर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल एक वर्ष नियत है। लेकिन, पिछले पांच सालों से रायपुर प्रेस क्लब आम चुनाव से वंचित रहा और पुरानी कार्यकारिणी के द्वारा कार्यकाल ख़त्म होने के बाद भी कभी मतदाता सूची तो कभी कोरोना काल के नाम से चुनावी प्रक्रिया को टाला जाता रहा।