रायपुर। रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव में उपयोग में लाई जाने वाली ईवीएम मशीनों की कमीशनिंग की गई। इसमें 19 मशीनें डिफेक्टिव निकलीं, जिसके कारण इन मशीनों को रिजेक्ट कर दिया गया है। अब इन मशीनों का 13 नवंबर को होने वाले मतदान के दिन पोलिंग बूथों में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। सेजबहार स्थित स्ट्रांग रूम में ईवीएम मशीनों की कमीशनिंग का काम गुरुवार को समाप्त हुआ। उपचुनाव के लिए जिला प्रशासन को 1523 ईवीएम मशीनें उपलब्ध कराई गई हैं। इनमें बीयू 719, सीयू 379 व वीवीपैट की संख्या 425 है। इन मशीनों का मतदान से पूर्व कमीशनिंग कराया गया है।
कमीशनिंग के माध्यम से तकनीकी रूप से खराब या डिफेक्टिव हो चुकी मशीनों को अलग करना है। इसके लिए हैदराबाद से दो इंजीनियरों की टीम आई हुई है, जिनके द्वारा बारीकी से मशीनों की जांच की गई। जांच के दौरान इनमें से 5 बीयू, 1 सीयू व 13 वीवीपैट डिफेक्टिव निकलीं। डिफेक्टिव मशीनों को रिजेक्ट कर दिया गया है। इन मशीनों का अब चुनाव में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
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मॉकपोल के बाद ईवीएम मशीनें स्ट्रांग रूम में सीलबंद
कमीशनिंग व मॉकपोल के बाद चुनाव में इस्तेमाल की जाने वाली ईवीएम मशीनों को जिला उप निर्वाचन अधिकारी, रिटर्निंग ऑफिसर पुष्पेंद्र शर्मा सहित अन्य चुनाव अधिकारियों की उपस्थिति में स्ट्रांग रूम में रखकर उसे सीलबंद किया गया है। स्ट्रांग रूम को अब मतदान दलों को पोलिंग बूथों के लिए रवाना करने के दिन खोला जाएगा।
कमीशनिंग के बाद हुआ मॉकपोल
जिला उप निर्वाचन अधिकारी उमाशंकर बंदे ने बताया कि, 5 से 7 नवंबर तक कमीशनिंग का कार्य चला है। कमीशनिंग के बाद चुनाव में खड़े भाजपा- कांग्रेस सहित अन्य विभिन्न राजनीतिक दलों के कई प्रत्याशियों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में मॉकपोल भी किया गया। मॉकपोल के दौरान कमीशनिंग में सही पाई कमीशनिंग में सही पाई गई कुछ ईवीएम मशीनों में प्रतिनिधियों ने एक- एक वोट डालकर मशीनों को परखा। हालांकि जिन मशीनों में ट्रायल के रूप में वोट डाले गए, उनका इस्तेमाल भी चुनाव में नहीं किया जाएगा।