धन्य कुमार जैन - राजनांदगांव। पूर्व सांसद अभिषेक सिंह ने संसदीय चुनाव में 40.43 फीसदी मत हासिल किए थे। इससे पहले इतने अधिक मत किसी को नहीं मिले हैं। राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र में अब तक 17 बार चुनाव हो चुके हैं। सबसे अधिक मत हासिल करने के लिहाज से देखा जाए तो विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह नंबर वन पर हैं। 2014 के आम चुनाव में 1591373 मतदाताओं में से 643473 ने उनके पक्ष में मतदान किया था। उन्होंने 40.45 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। वहीं टॉप-टेन में सबसे आखिरी में भाजपा के प्रदीप गांधी हैं। श्री गांधी को 28.04 फीसदी वोट मिले थे।
मदन तिवारी के नाम दो रिकॉर्ड
मौजूदा सांसद संतोष पांडे टॉप-टेन की सूची में 38.59 प्रतिशत मत हासिल कर दूसरे नंबर पर हैं। पांडे को 662387 वोट मिले थे। तीसरे और चौथे नंबर पर मदन तिवारी का नाम है। तिवारी ने भारतीय लोकदल की टिकट पर चुनाव लड़कर 1957 में 33.10 और 1977 में 33.05 प्रतिशत वोट प्राप्त किए थे।
वोरा पांचवे तो आठवें स्थान पर रमन
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा को 1998 के चुनाव में 968222 मतदाताओं में से 304709 ने वोट दिया था। उन्हें 31.47 प्रतिशत मत मिले थे और वह पांचवे स्थान पर हैं तो मुख्यमंत्री बनने के पहले संसदीय चुनाव लड़ने वाले डॉ. रमन सिंह ने 1999 में श्री वोरा को मात दिया था। इस चुनाव में डॉ. सिंह को 29.96 प्रतिशत वोट मिले थे। छठवें स्थान पर भाजपा के मधुसूदन यादव 31.02 और सातवें नंबर पर भी भाजपा के ही धरमपाल गुप्ता ने 30.06 फीसदी वोट हासिल किया।
शिवेन्द्र बहादुर जीते रिकार्ड तीन बार
राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र और कांग्रेस की राजनीति में खैरागढ़ राज परिवार की एक लंबे समय तक तूती बोलते रही है। इस परिवार के चार सदस्यों ने छह बार लोकसभा में प्रतिनिधित्व किया, किन्तु मतों के लिहाज से कोई उल्लेखनीय रिकार्ड नहीं बना पाए। इतना जरूर है कि इस परिवार के शिवेंद्र बहादुर सिंह ने तीन बार नेतृत्व करने का रिकार्ड जरूर कायम किया है। वह संसदीय इतिहास में एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्हें लंबे समय तक नेतृत्व करने का मौका मिला। खैरागढ़ रियासत के राजा बीरेंद्र बहादुर सिंह सन 62 के चुनाव में 16.12 प्रतिशत मत हासिल कर लोकसभा में पहुंचे थे। 440331 मतदाताओं में से 71012 ने उनके पक्ष में मतदान किया था। श्री सिंह एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्हें मात्र 16.12 फीसदी वोट मिले। इसी प्रकार रानी पदमावती देवी ने 1967 में 25.85 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। इसी परिवार के युवराज शिवेंद्र बहादुर सिंह ने छह बार चुनाव लड़कर तीन बार जीत दर्ज किया। श्री सिंह को 1980 में 21.03, सन 84 में 26.36 और 91 के चुनाव में 21.19 प्रतिशत मत मिले थे। युवराज देवव्रत सिंह तीन बार चुनाव लड़कर मात्र एक बार ही कामयाब हो सके।