कोरबा। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के छुरीकला में रहने वाले कार सेवक डाल चंद सोनी का वर्षों पुराना सपना पूरा होने जा रहा है। अयोध्या के मंदिर में श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। इससे वे ही नहीं पूरा देश प्रसन्न है।

डाल चंद सोनी संघर्ष के दौरान अयोध्या में कार सेवकों के साथ मौजूद थे। वे विवादित बाबारी ढांचा के गिरने के दौरान हुई हिंसा का शिकार भी हुए थे। 34 बरस के बाद जिस तरह से राममंदिर अस्तीत्व में आने वाला है तो डाल चंद सोनी का मन बाग-बाग हो गया है। 

कोरबा से 56 लोगों का जत्था गया था अयोध्या 
दरअसल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आह्वान पर श्री राम मंदिर आंदोलन के लिए 24 अक्टूबर 1992 को कारसेवक ठाकुर जुड़ावन सिंह के नेतृत्व में 56 लोगों का जत्था अयोध्या जाने के लिए निकला था। कोरबा जिले के अनेक कार सेवक ट्रेन के माध्यम से बिलासपुर से इलाहाबाद के रास्ते अयोध्या गए। उस समय यूपी में जनता दल की सरकार थी और मुलायम सिंह मुख्यमंत्री थे। इलाहाबाद में कारसेवकों को पुलिस गिरफ्तार कर रही थी। इसकी सूचना मिलने पर एक स्टेशन पहले नैनी में उतरकर कार सेवक नाव के जरिए यमुना नदी को पार कर इलाहाबाद पहुंच गए।

कारसेवकों के साथ हुई थी बर्बरता 
इलाहाबाद में एक आम सभा के बाद सभी को अयोध्या कूच करने का आदेश हुआ। इलाहाबाद के आगे बड़ी पुल पर अंधेरे का फायदा उठाकर सभी कारसेवकों को गिरप्तार कर लिया गया। बड़ी बर्बरता से सभी को मारा गया। छोटे –बड़े, बूढ़े सबको लाठी डंडे से पीटा गया। उस भगदड़ में अनेक कारसेवक घायल हो गए और कई साथी बिछड़ गए। सभी को रात में गिरफ्तार किया गया था और दूर अनजान अस्थाई जेल में रात भर रखा गया था।

बड़ी जद्दोजहद के बाद अयोध्या पहुंचे थे कारसेवक 

कारसेवकों ने सुबह होते ही जेल के गेट को तोड़ दिया और अयोध्या की ओर जाने लगे। उनके पास कोई साधन नहीं था। वे पैदल चलकर इलाहाबाद, सुल्तानगंज और फिर फैजाबाद जिला को बड़ी कठिनाइयों का सामना कर  बड़ी जद्दोजहद के बाद हम सभी लोग अयोध्या पहुंच गए। उस वक्त मुख्यमंत्री मुलायम सिंह ने दावा किया था कि, अयोध्या में कोई भी परिंदा पर नहीं मार सकता है। 

भगदड़ और फायरिंग में कई कारसेवकों ने गंवाई जान 
बावजूद इसके कार सेवक वहां पहुंच गए। विवादित ढांचे को गिराने के लिए 2 नवंबर 1992 को ढहाने के लिए चारों तरफ से कार सेवकों की टोली बढ़ने लगी। पुलिस ने पहले आंसू गैस छोड़े फिर लाठी चार्ज कर बड़ी बर्बरता के साथ कारसेवकों पर हमला किया गया। लाठी चार्ज के साथ पुलिस ने फायरिंग भी चालू कर दिया। फायरिंग में  कई कारसेवकों की मौके पर ही मौत हो गई। कई भगदड़ में घायल हो गए।

प्रभु राम की प्राण-प्रतिष्ठा का सपना अब सच होगा
कार सेवक डालचंद सोनी ने बताया कि, उस दौरान प्रभु श्री राम के प्राण प्रतिष्ठा का हमने सपना देखा था। वह सपना पूरे 34 साल बाद पूरा हो रहा है। इससे हम बहुत खुश हैं। कई कारसेवकों के बलिदान के बाद अंतत: प्रभु राम अपने भव्य मंदिर में विराजेंगे। इस खुशी में 22 जनवरी को हम फिर एक बार दिवाली मनाएंगे।