ललित राठोड़ - रायपुर। राजधानी के इतिहास में पहली बार 40 सालों के बाद पुरानी बस्ती स्थित दूरी हटरी में भगवान जगन्नाथ के लिए नया रथ तैयार किया जा रहा है। इस बार रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ के साथ बलभद्र और सुभद्रा नए रथ में सवार होकर शहर भ्रमण करेंगे। वर्तमान में जिस रथ भगवान की यात्रा अलग निकाली जाती है, वो 40 साल से भी पुराना है। हर साल मरम्मत के बाद इस्तेमाल किया जाता है। वर्तमान में रथ भी खराब हो चुका है, जिसके कारण मंदिर प्रबंधन ने नया रथ तैयार करने का फैसला लिया है।
भगवान जगन्नाथ का रथ बनाने की जिम्मेदारी मुस्लिम कारीगर को मिली है, जो सेवा भाव के साथ काम कर रहे हैं। हरिभूमि से कारीगर हबीब खान ने खास बातचीत में बताया कि भगवान का यह रथ हिंदू मुस्लिम की एकता है। सेवाभाव के रूप में बेटा रियाज के साथ काम कर रहा हूं। रथ बनाने के लिए अभी तक पैसों को लेकर कोई बात मंदिर प्रबंधक से हुई है। बंद लिफाफे में अगर 1100 भी मिल जाए तो मुझे स्वीकार है। उन्होंने बताया कि राजधानी का यह पहला रथ होगा, जिसमें मात्र दो से तीन लोग आसानी से चला सकते हैं। पुराने रथ को खींचने के लिए कम से कम 10 लोगों की आवश्यकता पड़ती थी।
60 फीसदी नीम की लकड़ी का उपयोग
कारीगर के मुताबिक भगवान का रथ नीम की लकड़ी से ही बनाया जाता है। रथ को टिकाऊ बनाने के लिए इसमें सरई का भी इस्तेमाल किया गया है। 80 फीसदी रथ नीम से बन रहा है। उन्होंने बताया कि रथ की ऊंचाई 17 फीट होगी और इसका कुल वजह 2500 किलो तक रहेगा। यह रथ 1000 किलो तक वजह उठा सकता है। रथ का 70 सालों तक इस्तेमाल किया जा सकेगा। इसके अलावा रथ में लोहे के चक्के लगे हुए हैं। रथ में चढ़ने के लिए अलग से सीढ़ी भी बनाई गई है। कारीगर हबीब गोंदिया और नागपुर में भी उत्कल समाज के लिए रथ बना चुके हैं।
रथ में नई तकनीक का इस्तेमाल
रथयात्रा के दिन भारी भीड़ के कारण रथ को मोड़ने में दिक्कत होती है, इसलिए इस रथ में नई तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। रथ में स्टीयरिंग की सुविधा मिलेगी, जिसे दो आदमी बड़ी आसानी से कहीं भी मोड़ सकते हैं। दुर्घटना से बचने के लिए इसमें ब्रेक की भी सुविधा रहेगी। लकड़ी में आकर्षक नक्काशी की जा रही है, जो रथ की शोभा बढ़ाएगी। कारीगर के मुताबिक हिंदू धर्म के मुताबिक रथ का निर्माण किया जा रहा है। 17 अप्रैल से रथ बनाने का काम शुरू किया है, जो मई में बनकर तैयार हो जाएगा।