रद्दी में रिकॉर्ड : लाल गठरियां में लिपटी मेकाहारा के मरीजों की कुंडली कमरे से बरामदे तक फैलीं

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प्रदेश के 13 सौ बिस्तर की क्षमता वाले अस्पताल में इस विभाग के पास पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने की वजह से मरीजों से संबंधित दस्तावेज भगवान भरोसे हैं।

रायपुर। प्रदेश के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल में इलाज कराने वाले मरीजों के दस्तावेज रद्दी में तब्दील होने लगे हैं। मरीजों के दस्तावेज भविष्य को ध्यान में रखते हुए सुरक्षित रखना जरूरी है, मगर उसे बाहर बरामदे में धूप, पानी, हवा की मार झेलते हुए बरामदे में रखना मजबूरी है। एमआरडी में रोजाना विभिन्न विभागों से पांच सौ से अधिक दस्तावेज पहुंचते हैं। विभाग के छोटे कमरे ऐसी फाइलों से भर चुके हैं और अस्पताल प्रबंधन द्वारा इसकी सुध नहीं लेने की वजह से बरामदे में लाल कपड़ों से बंधी फाइलों का अंबार लग गया है।

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इलाज कराने आने वाले मरीजों से संबंधित दस्तावेजों को भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सुरक्षित रखना जरूरी है। इसके लिए मेडिकल रिकॉर्ड डिपार्टमेंट संचालित होता है। प्रदेश के 13 सौ बिस्तर की क्षमता वाले अस्पताल में इस विभाग के पास पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने की वजह से मरीजों से संबंधित दस्तावेज भगवान भरोसे हैं। विभाग के पास पर्याप्त स्थान नहीं होने की वजह से यहां विभिन्न विभागों से आने वाले पांच सौ से अधिक दस्तावेजों को फाइल बनाकर लाल कपड़ों में लपेटकर बरामदे में रखना मजबूरी है। करीब दो साल से रोजाना मिलने वाली फाइल और दस्तावेजों को एमआरडी के बाहर गैलेरी में रखे जाने से वहां दस्तावेजों का अंबार लग गया है।

सुरक्षित रखना जिम्मेदारी

स्थिति ऐसी हो चुकी है कि विभाग के अंदर जाने के लिए वहां के कर्मचारियों से लेकर चिकित्सक सहित अन्य लोगों को तकलीफ उठानी पड़ती है। गलियारों के दोनों ओर लाल रंग के बस्ते में बंधे इन कागजों में कई फाइलें तो बीस से पच्चीस साल से अधिक पुरानी हो चुकी है, मगर नष्ट करने की अनुमति नहीं मिलने की वजह से इन्हें रखना मजबूरी बन चुकी है। विभाग के भीतर बनाए गए दो केबिन में फाइलें ठसाठस भरी हुई हैं और वहां केवल काम करने वाले एक-दो कर्मचारियों के बैठने की व्यवस्था है। सूत्रों का कहना है कि तंग कमरों में संचालित हो रही एमआरडी को पर्याप्त स्थान देने के लिए अस्पताल प्रबंधन का ध्यान कई बार आकर्षित किया जा चुका है, मगर उनकी ओर से अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है।

क्रशर मशीन का इंतजार

बरामदे में पड़ी फाइलों में काई दस्तावेज नष्टीकरण वाली स्थिति तक पहुंच चुके हैं। इसके लिए एमआरडी विभाग से पत्र भी प्रेषित किया जा चुका है, मगर अस्पताल प्रबंधन इसका आदेश जारी नहीं कर पा रहा है। इसकी एकमात्र वजह क्रशर मशीन का नहीं होना है। पुरानी क्रशर मशीन खराब हो चुकी है और नई की खरीदी के लिए अस्पताल प्रबंधन प्रक्रिया पूरी कर रहा है। मशीन आने तक फाइलों को बाहर रखना मजबूरी हो चुकी है।

कर रहे हैं व्यवस्था

चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसबीएस नेताम ने बताया कि, क्रशर मशीन की व्यवस्था हो जाने के बाद निर्धारित अवधि पूरी कर चुके दस्तावेजों को नष्ट किया जाएगा। विभाग के कमरों में जगह कम होने की वजह से दस्तावेजों को अस्थायी रूप से बाहर रखा जा रहा है।

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