रायपुर। सरकारी दफ्तरों में फाइलों का ढेर अब बीते दिनों की बात हो सकती है। लाल फीते में लिपटी मोटी फाइलें एक टेबल से दूसरे टेबल पर नहीं दौड़ेंगी। न डंप होंगी। छत्तीसगढ़ सरकार ने एक जनवरी से ई ऑफिस सिस्टम के क्रियान्वयन के आदेश जारी कर दिए हैं। अप्रैल 2025 से विभागाध्यक्ष (एचओडी कार्यालय) संभागायुक्त, कलेक्टर और अन्य मैदानी कार्यालयों से शासन को भेजे जाने वाले सभी पत्र, दस्तावेज डिजिटल फार्मेंट में ईमेल द्वारा, ई ऑफिस के माध्यम से भेजे जाएंगे। ई ऑफिस क्रियानव्यन के संबंध में राज्य के मुख्य सचिव के हस्ताक्षर से जारी आदेश शासन के सभी विभागों, राजस्व मंडल, सभी संभागायुक्त, सभी विभागाध्यक्ष और सभी कलेक्टरों के भेजा गया है। आदेश में कहा गया है कि सुशासन की दिशा में कार्य करते हुए 1 जनवरी 2025 के पहले के पूर्व मंत्रालयों के सभी विभागों में ई ऑफिस के क्रियान्वयन का लक्ष्य रखा गया है। अगले चरण में समस्त विभागाध्यक्ष कार्यालय में भी ई ऑफिस के क्रियानव्यन का निर्णय लिया गया है।

छत्तीसगढ़ में राज्य शासन सुशासन के साथ कामकाज का संचालन करने का इरादा रखती है, लेकिन इससे पहले बरसों से सरकारी कार्यालयों में लाल फीताशाही का बोलबाला है। किसी दफ्तर में एक आवेदन को विभाग के जिम्मेदार अधिकारी तक पंहुचने के लिए कई-कई दिनों तक आवेदन को सरकारी फाइलों में रखा जाने जैसी शिकायतें तो आम रहीं हैं, लेकिन महत्वपूर्ण मामलों की फाइलें और दस्तावेज भी निचले स्तर के अधिकारी कर्मचारी लाल फीते वाली फाइलों में दबाकर रखने आदी बने रहे हैं। बिना किसी अतिरिक्त प्रभाव के ये फाइलें निचले स्तर पर ही दबी रहती थी। हालत ये रही कि अधिकारी फाइलों पर निर्णय लेने के लिए तैयार होते थे, लेकिन उन तक फाइलें पंहुचना ही मुश्किल हो जाता था। इस कार्यप्रणाली के कारण भ्रष्टाचार, घूसखोरी और लेन-देन की अवैध गतिविधियां बढ़ी हुई थी। सरकारी विभागों में एक साफ सुथरी और पारदर्शी कार्यप्रणाली विकसित होगी। प्रशासनिक कामकाज में तेजी आएगी और निचले स्तर के अमले के खिलाफ शिकायतें भी कम होंगी। सरकार का इरादा भी यही करने का है।

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ऐसे होगा काम

छत्तीसगढ़ सरकार का मंत्रालय जल्द ही पेपरलेस सिस्टम से काम करना शुरू कर देगा। ई-फाइल तकनीक से मंत्रालय में सभी नोटशीट ऑनलाइन लिखी और भेजी जाएंगी, जिससे फाइल के मूवमेंट में तेजी आएगी। मंत्रालय में कौन-सी फाईल किस स्तर पर, कितने दिनों से अटकी है, इसकी भी जानकारी तत्काल मिल सकेगी। प्रशासन स्तर पर फाइल के मूवमेंट की लगातार समीक्षा की जाएगी और सभी फाइलों के ऑनलाइन उपलब्ध होने से प्रशासन में पारदर्शिता आएगी।

अप्रैल से शुरू होगी ये व्यवस्था

मुख्य सचिव के निर्देश कहा गया है कि विभागाध्यक्ष, संभागायुक्त, कलेक्टर एवं अन्य मैदानी कार्यालय से शासन को भेजे जाने वाले पत्र दस्तावेज में पेपर एवं डाक व्यय के साथ-साथ गंतव्य कार्यालय पहुंचने में अनावश्यक देरी होगी। इसलिए संसाधन एवं भविष्य में पत्र, दस्तावेज डिजिटल फार्मेंट के द्वारा और ई आफिस के माध्यम से भेजे जाएंगे। निर्देश है कि 1 अप्रैल 2025 से सभी फाइलों का निराकरण ई ऑफिस के माध्यम से किया जाए।

क्रियान्वयन के लिए हो रही है ये तैयारी

ई-ऑफिस के लिए नाम आधारित शासकीय ई मेल आईडी की अनिवार्यता रहेगी। शासकीय ईमेल बनाने और प्रबंधन के लिए विभागों के लिए डीए एडमिन एकाउंट बनाया जा रहा है। यह विभाग के सभी शासकीय अधिकारी कर्मचारी के लिए ईमेल आईडी के अनुमोदन का काम करेंगे। इसी क्रम में हर विभाग कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी को नोडल अधिकारी नामांकित किया जाएगा, जो ई ऑफिस के लिए प्रबंधन और समन्वय का काम करेंगे।

अफसरों की ट्रेनिंग भी हो चुकी

राज्य शासन इस प्रणाली पर काम करने के तैयारी में पिछले कई महीनों से जुटा रहा है। यह सिस्टम इसी साल शुरु करने की तैयारी के लिए विभिन्न स्तर पर अफसर कर्मियों को अगस्त में ट्रेनिंग दी जा चुकी है। मंत्रालय को पेपरलेस बनाने के लिए राज्य सरकार के सचिव स्तर के नीचे के वरिष्ठ अधिकारियों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है। मंत्रालय के विभिन्न विभागों में कार्यरत उपसचिव से लेकर सहायक ग्रेड-3 तक के अधिकारी- कर्मचारियों को ई-ऑफिस का प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षण कार्यक्रम के दूसरे हिस्से में एडमिंस अधिकारियों जिसमें विशेष सचिव, संयुक्त सचिव, अवर सचिव स्तर के अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया है। इसी तरह से मंत्रालय के विभिन्न विभागों के सभी भार साधक सचिवों को ई-ऑफिस का प्रशिक्षण दिया जा गया है।