राजा शर्मा-डोंगरगढ़। छत्तीसगढ़ के राजनादगांव जिले के डोंगरगढ़ में रेत माफियों की कार्रवाई पर कांग्रेस पार्टी ने प्रशासन के खिलाफ़ मोर्चा खोल दिया है। डोंगरगढ़ के एसडीएम और नायब तहसीलदार पर रेत चोरी का आरोप लगाते हुए थाने का घेराव कर दिया है। चोरी का आरोप लगाते हुए दोनों पर एफआईआर करने की मांग करते हुए ज्ञान सौंपा है।
मिली जानकारी के अनुसार, यह पूरा मामला राजनादगांव जिले के डोंगरगढ़ का हैं। जहां बीते दिनो ग्राम पंचायत मुड़पार मे रेत माफियों द्वारा रोड किनारे भारी मात्रा में रेत डंप कर रखा गया था। डंप की हुई रेत को एसडीएम के संज्ञान में आने के बाद 30 तारीख को एसडीएम और नायब तहसीलदार मौके पर पहुंचे।
जहां उन्होंने जब्ती की कार्रवाई की गई। लोगों के विरोध करने पर एसडीएम ने पुलिस बल की सहायता लेकर मौखिक कार्यवाही की है। वहीं जब्त की हुई रेत को ग्राम मुरमुंदा के कोटवार को उच्च अधिकारी द्वारा एक कापी में इंट्री कर ठेकदारों को सौंपने की बात कही है।
कांग्रेस शहर अध्यक्ष ने लगाया चोरी का आरोप
इस पूरे मामले में यदि नियम की बात कही जाए तो बड़ा सवाल यह उठता है कि, जप्त की हुई रेत को खनिज विभाग को सौंपा जाता हैं। खनिज विभाग रेत को इकठ्ठा कर विधिवत तरीके से नीलामी करती हैं नीलामी से प्राप्त रकम को शासकीय खजाने में जमा किया जाता हैं। ब्लॉक कांग्रेस कमेटी शहर अध्यक्ष विजय राज सिंह ने कहा की ये चोरी का मामला हैं और यह छोटी मोटी चोरी नही हैं। बल्कि, पूरा 800 ट्रीप रेत चोरी का मामला हैं। ग्राम मुड़पार से जामरी तक 800 ट्रीप रेत निकली गई है और प्रशासन को इसका पता भी नही है। जब प्रशासन को पता चला और जब्ती की कार्यवाही की गई तो रेत कहा हैं। क्या बताएगा प्रशासन बताएगा कि, वो रेत कहा हैं ?
बिना कागजी कार्रवाई के बेची गई रेत
उन्होंने आगे कहा कि, एक पत्र के माध्यम से जानकारी मिलती हैं कि, राजनादगांव निवासी प्रतीक अग्रवाल और बेलगांव निवासी लेखराम साहू को डंप रेत हटाने की जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन रेत को हटा कर क्या करना है उसका उल्लेख पत्र में नही हैं। हमें जानकारी मिली हैं कि, उक्त रेत को बेच दिया गया है। जबकि जब्ती से प्राप्त संपत्ति शासकीय मानी जाती हैं। ऐसे में शासकीय संपत्ति को बिना कागजी कार्यवाही और खनिज विभाग के जानकारी बगैर बेच दिया जाता है। जो अपने आप में बड़ी चोरी मानी जा सकती हैं। 800 टिप्पर रेत करोड़ो की चोरी का मामला हैं। जिसमें कही न कही संदिग्ध भूमिका शासकीय अधिकारी और कर्मचारियों की हैं। इस करोड़ों की हेराफेरी में दोषियों के विरुद्ध जांच कर एफआईआर करने की मांग को लेकर हम आज थाने में ज्ञापन सौंपने आए हैं।