रायपुर। बिना लाइसेंस बोतल बंद पानी का कारोबार करने वाले दो कारोबारियों पर न्यायालय ने 20-20 हजार के जुर्माने के साथ एक-एक दिन कारावास की सजा सुनाई। छह साल पहले खाद्य विभाग की टीम ने गरियाबंद में यह कार्रवाई की थी, जिसमें लिए गए सैंपल में पानी मिसब्रांड और सब स्टैंडर्ड का पाया गया था। इसके अलावा सीजेएम कोर्ट से इस साल की पहली तिमाही में 18 प्रकरणों में कारोबारियों पर 2.92 लाख जुर्माना और तीन कारोबारियों को दंड दिया गया। खाद्य एवं औषधि प्रशासन की टीम घटिया खाद्य पदार्थों की बिक्री रोकने के लिए कार्रवाई कर रही है। लिए गए सैंपलों की रिपोर्ट आने के बाद प्रकरण न्यायालय में पेश किए जाते हैं, जिसमें सुनवाई के बाद न्यायालय द्वारा मामले की गंभीरता को देखते हुए जुर्माना अथवा सजा का फैसला सुनाया जाता है। 

वर्ष 2017-18 में खाद्य विभाग ने बोतलबंद पानी की गुणवत्ता को परखने के लिए विभिन्न जिलों में जांच करते हुए पानी के सैंपल लिए थे। इस दौरान गरियाबंद में दो फैक्ट्री को बिना लाइसेंस कारोबार करने के मामले में सील किया गया था। बाद में वहां के सैंपल भी अमानक पाए गए थे। मामला सीजेएम कोर्ट में पेश किया था, जिसमें पिछले दिनों सजा सुनाई गई। संबंधित कारोबारियों को एक-एक दिन के कारावास के साथ 20-20 हजार रुपए जुर्माना किया गया। इसी तरह बालोद जिले में एक होटल की जलेबी में खाद्य रंग मिलने का मामला सामने आया था, जिस पर भी 20 हजार फाइन के साथ कोर्ट उठने तक की सजा सुनाई गई थी।

रायपुर में मामले लंबित 

सूत्रों के अनुसार, खाद्य एवंऔषधि प्रशासन की रायपुर टीम द्वारा भी समय-समय पर खाद्य पदार्थों के नमूने लेने की कार्यवाही की जाती है। सैंपल की रिपोर्ट मिलने के बाद बड़ी संख्या में प्रकरण सुनवाई के लिए न्यायालय में पेडिंग हैं। पेंडिग प्रकरणों की संख्या पांच सौ तीस से अधिक है, जिस पर फैसले का इंतजार किया जा रहा है। 

इन प्रकरणों में भी जुर्माना

1. होली के दौरान दुर्ग जिले में एक पैकेटबंद मिठाई का सैंपल जांच में अमानक, 35 हजार जुर्माना।
2. जांजगीर में पिछले साल एक नामी कंपनी के शहद का सैंपल अमानक, मामले में 25 हजार फाइन।
3. राजनांदगांव जिले में पिछले साल की होली में बिकने वाले पनीर की गुणवत्ता कम, 25 हजार जुर्माना।
4. धमतरी में नमकीन और खोवा सहित कुछ अन्य जिलों में भी अलग-अलग अर्थदंड ।

विवेचना के प्रकरण पेश

खाद्य एवं औषधि प्रशासन  के सहायक नियंत्रक सर्वेश यादव ने बताया कि, खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता परखने के मामले में सभी जिलों को निश्चित अवधि में प्रकरणों की जांच कर मामला न्यायालय में पेश करने निर्देश दिया गया है। विभागीय टीम लगातार खाद्य पदार्थों के सैंपल ले रही है।