रायपुर। संस्कृत विद्यामंडलम द्वारा बारहवीं कक्षा के परिणामों की घोषणा बीते दिनों कर दी गई। नतीजे स्कूलों को गुपचुप रूप से भेज दिए गए, लेकिन संस्कृत बोर्ड ने इसे अपनी वेबसाइट में अपलोड नहीं किया और ना ही नई मेरिट लिस्ट जारी की। इसके बाद हरिभूमि की टीम उन स्कूलों में पहुंची, जहां संस्कृत माध्यम से पढ़ाई होती है। यहां प्राचार्यों सहित अन्य जिम्मेदार से मुलाकात तक व्यक्तिगत रूप से परिणाम जुटाए गए। इसके बाद जो जानकारी सामने आई, वो चौंकाने वाली है। बारहवीं कक्षा की मेरिट लिस्ट में जगह बनाने वाली छात्रा अपनी ही कक्षा में टॉप नहीं कर सकी है। अन्य तथाकथित मेधावियों के परीक्षा परिणामों में भी बड़े बदलाव हुए हैं।
गौरतलब है कि, छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्या मंडलम के रिजल्ट में गड़बड़ी उजागर होने के बाद हुई रिचेकिंग की गई। हरिभूमि ने ही इस गड़बड़ी का खुलासा किया था। दोबारा जारी किए गए परिणाम में आश्चर्यजनक बदलाव हुआ है। कई छात्रों को पूर्व प्राप्त अंक से सात से दस प्रतिशत तक अंक कम मिले हैं। अबकी बार जारी किए गए परिणामों में मेरिट सूची नहीं निकाली गई है। जो अंक मिले हैं उसे ही प्राप्तांक के साथ उत्तीर्ण और अनुत्तीर्ण दर्शाया गया है।
एक स्कूल से थे तीन टॉपर
पूर्व में घोषित परीक्षा परिणामों के मुताबिक, बलरामपुर रामानुजगंज जिले के श्रीकोट हायर सेकेंडरी स्कूल से तीन छात्रों के नाम टॉपर लिस्ट में थे। इसमें यामिनी भगत, रीना पैकरा और पीतांबर पैकरा के नाम शामिल थे। श्रीकोट स्थित रामेश्वर गहिरा गुरु हायर सेकेंडरी स्कूल के प्राचार्य परसूराम ने बताया, पूर्व में जो रिजल्ट जारी हुआ था उसमें यामिनी भगत को 86.4 प्रतिशत, रीना पैकरा को 81 प्रतिशत और पीतांबर पैकरा को 80 प्रतिशत अंक मिले थे। पुनः मूल्यांकन के बाद यामिनी भगत और रीना पैकरा के अंक कम हुए हैं। दोनों को 78.14 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए। वहीं पीतांबर पैकरा को 78.74 प्रतिशत अंक मिले हैं।
प्रदेश की टॉपर अपनी ही कक्षा में पिछड़ी
जिला मुख्यालय जांजगीर से लगे ग्राम जरवे में संचालित स्वामी राम रतन संस्कृत उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की योगेश्वरी कश्यप को 75 प्रतिशत अंकों के साथ क्लास में दूसरा स्थान मिला है। पूर्व में जारी हुए परिणाम में योगेश्वरी को 82 प्रतिशत अंक मिले थे और प्रदेश में उसे आठवां स्थान प्राप्त हुआ था। जबकि पुनः जांच के बाद जो परिणाम जारी किए गए है, उसमें उसके अंक 82 प्रतिशत से घटकर 75 प्रतिशत हो गए, जबकि इसी स्कूल की छात्रा मालती कश्यप को 82 प्रतिशत अंक मिले हैं। बताया जाता है कि मालती को पहले 75 प्रतिशत अंक मिले थे, इसमें अब बढ़ोतरी हुई है।
दिख रहा है अंतर
श्रीकोट संस्कृत विद्यालय के प्राचार्य परशु राम ने बताया कि, प्राचार्य ने कहा पुनर्मूल्यांकन करने के बाद अंक में बदलाव दिख रहा है। उच्च स्तर पर किसी प्रकार की शायद गड़बड़ी होगी, तभी अंक में परिवर्तन नजर आ रहा है।