रायपुर। स्कूली जीवन में मेधावी रहे विद्यार्थी महाविद्यालयों में प्रवेश करते हुए फिसड्डी साबित हो रहे हैं। यह हम नहीं केंद्रीय छात्रवृत्ति के आंकड़े कह रहे हैं। बारहवीं कक्षा में 80 पसेंटाइल हासिल करने वाले विद्यार्थियों को केंद्रीय छात्रवृत्ति योजना के तहत स्नातक स्तर पर 12 हजार और स्नातकोत्तर स्तर पर 20 हजार की राशि प्रदान की जाती है। प्रथम वर्ष में छात्रवृत्ति प्राप्त होने के बाद विद्यार्थियों को 50% अंक प्राप्त करना जरूरी होता है। इसके बाद ही उन्हें द्वितीय वर्ष में छात्रवृत्ति की राशि मिलती है। यही नियम आगे के वर्षों में भी लागू होती है। अर्थात विद्यार्थियों को प्रथम वर्ष से अंतिम वर्ष तक कम से कम 50% अंक प्राप्त करने होते हैं, तभी उनकी छात्रवृत्ति का नवीनीकरण हो सकता है। 

ये छात्रवृत्ति एमएचआरडी द्वारा सभी राज्य के छात्रों को प्रदान की जाती है। प्रदेश में प्रतिवर्ष सैकड़ों की संख्या में छात्र प्रथम वर्ष में छात्रवृत्ति के लिए पात्र होने के बाद द्वितीय वर्ष में इसे हासिल नहीं कर पा रहे हैं। अर्थात 12वीं में 80 पसेंटाइल हासिल करने वाले छात्र प्रथम वर्ष में 50 प्रतिशत अंक भी प्राप्त नहीं कर सक रहे हैं। शिक्षाविदों का कहना है कि विद्यालय और महाविद्यालय की पढ़ाई में बहुत अंतर होता है। प्रश्नपत्र के पैटर्न में भी बड़ा बदलाव होता है। विद्यार्थी इसके लिए तैयार नहीं रहते हैं। इस करण टॉपर छात्र भी पिछड़ जाते हैं।

ऐसे समझें पसेंटाइल को 

उदाहरण के लिए, छात्र ने कोई एग्जाम दिया और पेपर 100 नंबर का था। रिजल्ट आने पर छात्र को 80 नंबर मिले तो कहा जाएगा कि छात्र ने 80 परसेंट नंबर प्राप्त किया। यही पेपर 200 नंबर का हो और छात्र को 160 नंबर मिले तो भी परसेंटेज 80 ही रहेगा। इसी 200 के पेपर में छात्र को 150 नंबर मिले तो कहा जाएगा कि छात्र ने 75 परसेंट हासिल किए। अब ये ही 80 या 75 प्रतिशत हासिल करने वाला विद्यार्थी यदि परीक्षा में प्रथम स्थान पर रहता है तो उसका पसेंटाइल 100 होगा। दूसरे स्थान पर रहने वाले विद्यार्थी का पसेंटाइल 99.99 होगा। यदि कोई दो छात्र दूसरे स्थान पर है, तो दोनों का पसेंटाइल 99.99 होगा। मूलतः पसेंटाइल शीर्ष छात्रों की स्क्रूटनी के लिए इस्तेमाल होता है।

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पहले लाने होते थे 60%

2015 तक प्रथम वर्ष में छात्रों के लिए 60% अंक लाने अनिवार्य होते थे। इस नियम से आवेदन मिलने वाले छात्रों की संख्या अत्यंत कम हो गई थी। इसलिए इसे घटाकर 50% कर दिया गया। 10% की कटौती किए जाने के बाद भी विद्यार्थी छात्रवृत्ति नवीनीकरण के लिए पात्र नहीं हो पा रहे हैं।

इधर... महाविद्यालय भी कर रहे विलंब

केंद्रीय छात्रवृत्ति के लिए आवेदन व स्क्रूटनी सहित अन्य प्रक्रियाएं माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा पूर्ण की जाती है। छात्रों के आवेदन को महाविद्यालय स्तर पर जांचा जाता है। वहां से अप्रूव किए जाने के बाद ही माशिम इसे एमएचआरडी को भेजता है। माशिम इस बार केंद्रीय छात्रवृत्ति के अंतर्गत नवीन आवेदन और पुराने आवेदनों के नवीनीकरण के लिए अंतिम तिथि में 3 बार वृद्धि कर चुका है। 15 दिसंबर तक आवेदन मंगाए जाने के बाद महाविद्यालय स्तर पर सत्यापन की अंतिम तिथि 31 दिसंबर तय की गई है। महाविद्यालय भी इन आवेदनों को सत्यापित करने में विलंब कर रहे हैं। वर्तमान सत्र में 223 मामले हैं, जिनका महाविद्यालय स्तर पर सत्यापन नहीं होने के कारण वे पेंडिंग पड़े हैं। इस वर्ष माशिम को 1557 नए आवेदन मिले हैं। इनमें से 1164 को वैरिफाई किया गया है। पेंडिंग पड़े मामलों के अतिरिक्त शेष आवेदनों को पात्रता नहीं होने के कारण रिजेक्ट किया गया है।

नहीं बची छात्रवृत्ति

■ 2021 में नवीनीकरण के लिए 2 हजार 657 आवेदन मिले थे। इनमें से 1 हजार 924 आवेदन भी वेरिफाई हो सके। अर्थात 733 विद्यार्थी निर्धारित अंक प्राप्त नहीं कर सके।

■ 2022 में नवीनीकरण के लिए प्राप्त हुए 2 हजार 622 आवेदनों में से 1 हजार 971 आवेदन को मान्य किया गया। इस वर्ष 651 छात्रों के आवेदन रिजेक्ट किए गए।

■ 2023 में 3 हजार 754 आवेदन नवीनीकरण के लिए मिले थे। इनमें से 2 हजार 807 वेरिफाई हुई। शेष 1 हजार 667 आवेदन पेंडिंग रहे।

■ 2024 अर्थात मौजूदा वर्ष में 2 हजार 789 आवेदन नवीनीकरण के लिए मिले हैं। इनमें से 1 हजार 764 आवेदन को अब तक वेरिफाई किया जा चुका है। शेष 1 हजार 25 आवेदन पेंडिंग हैं। इनमें से कुछ दर्जियां महाविद्यालयों द्वारा वेरिफाई नहीं किए जाने के कारण भी पेंडिंग हैं।