रायपुर। प्रदेश के शासकीय विद्यालयों में शैक्षणिक सत्र 2025-26 से पहली से आठवीं कक्षा तक एनसीईआरटी किताबों से पढ़ाई कराई जाएगी। शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए पाठ्य पुस्तक निगम द्वारा किताबों का प्रकाशन पहले ही किया जा चुका है, इसलिए जून से शुरू होने जा रहे सत्र में पुरानी किताबों से ही अध्ययन-अध्यापन कराया जाएगा। हालांकि एनसीईआरटी किताबों को शत प्रतिशत उसके मूल स्वरूप में नहीं अपनाया जाएगा। इसमें कुछ स्थानीय अंश भी शामिल रहेंगे।
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद अर्थात एससीईआरटी को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है। गत दिनों इस संदर्भ में बैठक भी आयोजित की गई थी। वर्ष के अंत तक इसे अंतिम स्वरूप दे दिया जाएगा। चूंकि पाठ्य पुस्तक निगम द्वारा निःशुल्क वितरित की जाने वाली किताबों की छपाई संबंधित प्रक्रिया जून में शुरू होने वाले सत्र के पूर्व दिसंबर-जनवरी में ही प्रारंभ कर दी जाती है, इसलिए तय समय सीमा में किताबों को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
नहीं बदलेगी भाषा की किताबें
राज्य में छात्रों को हिंदी के अलावा जनजातीय भाषाओं की पढ़ाई भी करवाई जाती है। कई भाषाएं ऐसी हैं. जिनका अध्ययन केवल छत्तीसगढ़ में ही होता है। इस कारण भाषा की किताबों में बदलाव नहीं किए जाने का निर्णय लिया गया था। अर्थात भाषा की एनसीईआरटी किताबें प्रदेश में लागू नहीं होंगी। स्थानीय स्तर पर तैयार पुस्तकों से ही अध्ययन कार्य कराया जाएगा।
किया जाएगा अनुकूलन
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के अधिकारियों के अनुसार, एनसीईआरटी की किताबों का क्षेत्रीय परिवेश के आधार पर अनुकूलन किया जाएगा। अर्थात क्षेत्रीय उदाहरणों को शामिल किया जाएगा। विषय विशेषज्ञों का कहना है कि छोटे बच्चे अपने आस-पास के उदाहरणों से अधिक बेहतर तरीके से समझते हैं। इसलिए गांवों के नाम, व्यक्तियों के नाम, पेड़ों के नाम जैसी चीजों में बदलाव किया जाएगा। एनसीईआरटी किताबों में दिए गए उदाहरणों के स्वरूप को बदलते हुए इसमें स्थानीयता को जोड़ा जाएगा। इस पर कार्य प्रारंभ कर दिया गया है।
तैयारी चल रही
एससीईआरटी डायरेक्टर राजेंद्र कटारा ने बताया कि, अभी इस पर तैयारी चल रही है। किताबों का परीक्षण चल रहा है।