रायपुर। आश्विन शुक्ल पक्ष पर बुधवार को शहर में चावल की खीर बनाकर शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। नवरात्रि के बाद मंदिरों में पूर्णिमा को लेकर तैयारी शुरू हो गई है। रात्रि 12 बजे भगवान की विशेष पूजा-अर्चना कर भोग लगाया जाएगा, जिसके बाद लोगों को प्रसाद वितरण करेंगे। शहर में परंपरा अनुसार घर समेत चौक-चौराहों में चंद्रमा की रोशनी के अमृत वर्षा के लिए रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 16 अक्टूबर को रात्रि 08 बजकर 40 मिनट पर होगी।

वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन 17 अक्टूबर को शाम को 04 बजकर 55 मिनट पर होगा। इस दिन चंद्रोदय शाम को 05 बजकर 05 मिनट पर होगा। महामाया मंदिर में लगभग 30 किलो दूध से खीर व रबड़ी बनाई जाएगी। पुजारी ने बताया कि, 11 बजे माता का विशेष श्रृंगार किया होगा, जिसके बाद 12 बजे से महाआरती होगी। माता को खीर का भोग लगाने के बाद प्रसाद भक्तों को वितरित करेंगे। अगले दिन सुबह भी भक्तों को खीर का प्रसाद दिया जाएगा। इसके अलावा शहर के प्राचीन मंदिरों में भी खीर बनेगी।

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फूलों से जुगलजोड़ी का करेंगे श्रृंगार

पुरानी बस्ती स्थित दूधाधारी मठ में भगवान श्रीराम की विधिवत पूजा के बाद भक्तों को खीर का प्रसाद वितरित किया जाएगा। इस दौरान भगवान का विशेष श्रृंगार की तैयारी है। देर रात तक भगवान के दर्शन करने मंदिर मठ खुला रहेगा। महाआरती के बाद सभी भक्तों को प्रसाद में खीर दी जाएगी। इसके अलावा टाटीबंध के इस्कॉन मंदिर, समता कालोनी के राधाकृष्ण और खाटू वाले श्याम बाबा व जवाहर नगर के राधाकृष्ण मंदिर में जुगलजोड़ी सरकार का विविध फूलों से मनमोहक श्रृंगार के बाद चंद्रमा की रोशनी में रखी खीर का भोग लगाया जाएगा।

गायत्री शक्तिपीठ में आयुर्वेद पद्धति से बनाऐगी खीर

शरद पूर्णिमा के अवसर पर समता कॉलोनी स्थित गायत्री शक्तिपीठ में आयुर्वेद पद्धति से खीर बनाई जाएगी। गायत्री परिवार के आयुर्वेद जानकार का कहना है कि शरद पूर्णिमा को रात में खीर खाने का अधिक महत्व होता है। इस दिन औषधियुक्त खीर बनाई जाती है। जो आम लोगों की विभिन्न बीमारियों से रक्षा करती है। इस तरह के खीर सेवन से महिलाओं को स्वास्थ्यगत समस्याओं से छुटकारा मिलता है।

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अस्थमा और दमा मरीजों को बांटी दवा

रामकृष्ण जनसमूह ट्रस्ट द्वारा लाखेनगर में अस्थमा और दमा मरीजों को दवा बांटकर शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी। संस्था द्वारा प्रतिवर्ष जड़ी- बूटी युक्त दवाओं का वितरण किया जाता है। रात्रि 9 बजे मंडली द्वारा भजन कृर्तन कार्यक्रम शुरू होगा, जो देर रात 12 बजे तक जारी रहेगा। इस दौरान आम लोगों को जड़ी-बूटियों से मिश्रित खीर के साथ कमरदर्द, पीलिया, श्वांस, दमा, पथरी, बेमची समेत अन्य बीमारियों से निजात दिलाने निशुल्क प्रसाद वितरित होगा। सालों से शहर में यह परंपरा चली आ रही है।

कालीबाड़ी में माता लक्ष्मी की पूजा

बंगाली समाज में कालीबाड़ी स्थित मंदिर में शाम 7 बजे लक्ष्मी माता की विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। इसके बाद रात में खीर बनाकर वितरित की जाएगी। मंदिर के सदस्य ने बताया कि बंगाली में दीपावली के दिन होने वाली पूजा शरद पूर्णिमा के दिन भी की जाती है। इस दिन से माता लक्ष्मी घर में पधारती हैं। पूजा का भी विशेष महत्व होता है। मंदिर के अलावा शहर में बंगाली समाज के घरों में पारंपरिक रंगोली व माता की विशेष पूजा होगी।