रायपुर। मृत्यु की बाद दान में दी गई त्वचा की मदद से कई मरीजों का बिगड़ा चेहरा अब सुधरने लगा है। पिछले दिनों डीके अस्पताल में एक युवती की चपटी नाक को कास्मेटिक सर्जरी की मदद से सुंदर बनाया गया था। स्किन बैंक में सुरक्षित रखी गई त्वचा के उपयोग से अब तक दर्जनभर मरीजों का इलाज किया जा चुका है। राज्य में अभी दो अस्पतालों में स्किन बैंक की सुविधा है। इनमें एक निजी सेक्टर तथा दूसरा शासकीय डीके अस्पताल में मौजूद है। ब्रेनडेड मरीजों के अलावा अन्य मरीजों की मृत्यु के बाद रिश्तेदार उनकी त्वचा का दान इस स्किन बैंक में कर रहे हैं, जो दूसरे मरीजों की तकलीफ कम करने के काम में आ रहा है।
जानकारी के अनुसार , बर्न एवं प्लास्टिक सर्जरी विभाग में आने वाले मरीजों को आवश्यकता के अनुसार कास्मेटिक सर्जरी का लाभ भी मिलने लगा है। कुछ समय पहले अस्पताल में एक युवती की नाक की सर्जरी कर उसे सुंदर बनाया गया है। युवती अपनी चपटी नाक की परेशानी लेकर वहां के चिकित्सकों के पास पहुंची थी, जिसकी सर्जरी की गई थी। इसके अलावा डीके अस्पताल के इस विभाग में दर्जनभर अन्य मरीजों के शरीर का घाव भरने के लिए दान में मिली त्वचा का उपयोग किया गया है। जानकारी के अनुसार स्किन बैंक में अब तक आठ से अधिक परिवार ने अपने सगे-संबंधी की मृत्यु के बाद उनकी त्वचा दान में दिया था।
त्वचा रोगियों को छोड़ सबका दान
चिकित्सकों के अनुसार त्वचा का दान सामान्य मृत्यु के बाद भी किया जा सकता है। केवल त्वचा अथवा किसी गंभीर बीमारी से पीडित मरीजों की त्वचा दान में वही ली जाती। इसके लिए डीके अस्पताल के स्किन बैंक अथवा राज्य अंग एवं उत्तक प्रत्यारोपण संगठन के दफ्तर में संपर्क कर इस प्रक्रिया को पूरी की जा सकती है। दान में मिली त्वचा को एक निर्धारित तापमान में स्किन बैंक में दस साल भी सुरक्षित रखा जा सकता है।
आवश्यकता पर उपयोग
डीके अस्पताल के उपअधीक्षक डॉ. हेमंत शर्मा ने बताया कि , स्किन बैंक में दान में मिली त्वचा को सुरक्षित रखा जाता है। बर्न एवं प्लास्टिक विभाग में इलाज के लिए आने वाले मरीजों की सर्जरी में आवश्यकता अनुसार इसका उपयोग किया जाता है।