रायपुर। नगर निगम के पूर्व महापौर एजाज ढेबर ने कहा., शहर को राजधानी का स्वरूप देने का प्रयास अपने पांच साल के कार्यकाल में किया। 70 वार्डों में जो विकास कार्य किए हैं, उसका लाभ कांग्रेस को मिलेगा। रायपुर नगर निगम में एक बार फिर महापौर कांग्रेसी होगा। एक सवाल के जवाब में पूर्व महापौर ने कहा कि मुझे अपनों और गैरों ने, दोनों ने ही परेशान किया। लेकिन विकास की रफ्तार कम नहीं होने दी। आईएनएच न्यूज- हरिभूमि के प्रबंध संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने उनसे सीधी बात में विशेष चर्चा की। श्री ढेबर ने कई मुद्दों पर बेबाकी से से जवाब दिए। पेश है बातचीत के कुछ अंश। 

कैसे बीते पांच साल, किसने ज्यादा हलाकान किया, अपनों ने या गैरों ने?

परेशान तो दोनों ने किया। जब गैर रहते हैं तो वे दुश्मन का पता रहता है। अपने रहते हैं तो बाद में पता चलता है, तो दुश्मन ही ज्यादा रहे। रायपुर शहर और एक जिले के रूप में पहचान थी। उसे  राजधानी का स्वरूप देने का प्रयास किया। बाहर का कोई व्यक्ति आता है तो उसे लगना चाहिए कि राजधानी आए हैं। कुछ हद तक हम सफल भी हुए। 90 प्रतिशत काम बेहतर तरीके से किया। भाजपा के समय में ऐसी जगहों पर काम हुआ, जहां कोई नहीं रहता था। जैसे नवा रायपुर है, वहां बसाने का प्रयास किया।

मेयर बनने के बाद ऐसा क्या किया कि रायपुर को नया स्वरूप मिला?

रायपुर शहर की पहचान तालाबों और मंदिरों से होती थी। करीब 38 तालाबों को सौंदर्याकरण कराया। बूढ़ातालाब की एक अलग पहचान है, उसे किसी ने नहीं संवारा, उसके साथ 37 तालाबों को संवारा। 24 घंटे पानी देने का काम हमने शुरू किया। फिल्टर प्लांट बनवाया। लोगों को पीलिया जैसी बीमारियों से जूझना पड़ता था। मेरे कार्यकाल में पीलिया की बीमारी नहीं दिखी। पानी का स्तर फिल्टर प्लांट के जरिए सुधारने के अलावा पाइपलाइन बदली गईं। बाजारों का व्यवस्थापन हमारे कार्यकाल में हुआ। रोड-नाली का काम हमने किया। राजधानी का स्वरूप देने का काम किया। यातायात सुधारने का प्रयास किया और नया बस स्टैंड शुरू कराया।

सालभर पहले विधानसभा चुनाव में शहर की चारों सीटें कांग्रेस हार गई?

रायपुर ही नहीं, जितने शहर हैं, वहां पर महतारी वंदन योजना में 74 लाख महिलाओं को पैसे देने की बात का असर हुआ। प्रदेश के कई शहर बिलासपुर, रायगढ़ सहित कई जगहों पर हारे। रायपुर दक्षिण के चुनाव का संचालन मैंने किया था। यहां पर दो माह का पैसा एडवांस में महिलाओं को दे दिया गया था, जो हार का प्रमुख कारण रहा। मैंने राजनीति में नीचे से शुरुआत की थी। मुस्लिम फैक्टर के कारण मुझे शहर से विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया गया, ऐसा लगता है। स्वच्छता के लिए देश में रायपुर शहर छठे नंबर पर है, यहां एक मुस्लिम महापौर है। विधानसभा चुनाव लड़ाने से कांग्रेस डरती क्यों हैं। पार्षद चुनाव में सबसे ज्यादा मतों से जीता। अप्रत्यक्ष तरीके से महापौर चुना गया। पार्टी और पार्षदों का सहयोग मिला, जिससे यह पद मिला।

साय और भूपेश सरकार में क्या अंतर देखते हैं?

उस सरकार में लगता था कि मुख्यमंत्री है और सरकार नाम की कोई चीज है। इस सरकार का कोई विजन नहीं दिखता। सरकार में निर्णय लेने की कमी है। जो निर्णय लिए जाते हैं, ऊपर से लिए जा रहे हैं। सरकार में कोई ठोस काम अब तक देखने को नहीं मिला। 

महापौर रहते परिवार के स्तर पर कितने परेशान रहे?

परिवार के लोगों ने ऐसा किया, वैसा किया, इसके नाम से परेशान रहा। मेरे परिवार के लोगों में विपरीत परिस्थिति में भी मैं विचलित नहीं हुआ। उस समय भी रायपुर के बारे में सोचता था। जो गलत है, वह गलत है। कानून की दृष्टि से जो अपराधी है, उसके साथ वैसा ही व्यवहार होना चाहिए, यह मेरी सोच रही है।

आपकी भावी राजनीति की योजना क्या है? पत्नी के लिए महापौर का टिकट मांगेंगे?

मैं चुनाव नहीं लड़ना चाहता। अगर पार्टी चाहेगी तो जहां से कहेगी, चुनाव लडूंगा। महापौर बनने के बाद अब चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं रही। सभापति के रूप में प्रमोद दुबे हमारे सहयोगी और समाधान रहे। महापौर पति कहलाने की इच्छा नहीं है। मेरी पत्नी ने स्वयं इंकार कर दिया था। उन्होंने कोई अच्छी महिला को टिकट मिले, यह खुद कहा। फिर भी पार्टी में उनके टिकट के लिए प्रयास करूंगा।

नेता प्रतिपक्ष के रूप में मीनल चौबे के साथ कैसा अनुभव रहा। महापौर के रूप कैसी रहेंगी?

नेता प्रतिपक्ष के रूप में मीनल चौबे एक अच्छी महिला हैं। नगर निगम के काम का अनुभव है। उनमें निगम चलाने की क्षमता है। फिर भी महापौर इस बार तो कांग्रेस की ही बनेंगी। हमने 70 वाडर्डों में जो काम किया है, उसका प्रतिफल महापौर चुनाव में कांग्रेस को मिलेगा।