रायपुर-ललित राठोड़ / भिलाई-जेएम तांडी/ धमतरी-संतोष सोनकर / जगदलपुर-राजेश दास । राजधानी में दूसरे राज्यों से गांजा की तस्करी थमने का नाम नहीं ले रही, इसलिए अब शहर में गांजे का कारोबार लगातार बढ़ने लगा है। नई सरकार आने के बाद पुलिस की कार्रवाई ने गांजे के कारोबार में जो असर दिखाया था, अब वह भी धीरे-धीरे कम होने लगा है।

हालांकि सरकार की सख्ती से तस्करों ने गांजे की कीमत 50 फीसदी तक बढ़ा दी है। इसके साथ ही अब गांजे की पुड़िया भी अलग-अलग कीमतों पर बेचने लगे हैं। तस्करों के गुर्गों का कहना है कि बीते दो महीने में छत्तीसगढ़ सीमा और रेलवे समेत पुलिस द्वारा गांजा जब्त किए जाने से बड़ा नुकसान हुआ है। इस वजह से अब तस्करों ने गांजा खरीदने और बेचने का तरीका भी बदल दिया है। हरिभूमि ने जब इसकी पड़ताल की, तो पता चला, मोती बाग स्थित मस्जिद के पास गुर्गे सुबह और दोपहर की जगह अब केवल शाम के वक्त गांजा बेच रहे हैं। ऐसा इसलिए ताकि पुलिस की कार्रवाई से बचा जा सके। दो महीने पहले 100 में गांजे की एक पुड़िया बेची जा रही थी, जिसे अब 150 रुपए कर दिया है।

पुलिस से बचने सड़क पर तैनाती 

पुलिस की कार्रवाई का भय गांजा कारोबारियों को भी है। शाम 5 बजे गोल बाजार, पंडरी ओवरब्रिज के नीचे समेत मोतीबाग में गांजा बेचना शुरू होता है, जो रात 8 बजे तक चलता है। इस बीच आधे से एक किलोमीटर तक सड़क पर गुगों की तैनाती की जा रही है। पुलिस के आने की स्थिति में तत्काल सूचना पहुंचाई जाती है। इसीलिए गांजा कारोबारी पुलिस की गिरफ्त से बाहर चल रहे है। इसके अलावा गांजा बेचने के लिए अपने भरोसेमंद आदमी को रखे हुए है। गुर्गों को एक बार में दिनभर के लिए गांजा की पुड़िया नहीं देते, बल्कि उसे दिन में तीन से चार बार में गिनकर 50 और सौ रुपये की पुड़िया दी जाती है।

अब तीन राज्यों का गांजा

शहर में पहले ओडिशा का गांजा मिलता था, लेकिन अब झारखंड और बिहार का भी गांजा लोगों को बताकर बेचा जा रहा है। सबसे अच्छी क्वालिटी का गांजा ओडिशा का बताया जा रहा है। झारखंड और बिहार के गांजा की पहचान भी बता रहे हैं। तीनों तरह के गांजे की कीमत 150 रुपए निर्धारित की गई है। अब वे 300 और 500 वाली पुड़िया भी बेच रहे हैं।

ओडिशा बार्डर पर सख्ती इसलिए झारखंड से पहुंच रहा गांजा

राजधानी में लंबे समय से गांजे की सर्वाधिक तस्करी ओडिशा से होती रही है। नई सरकार आने के बाद ओडिशा बार्डर के साथ ट्रेनों में भी सख्ती बढ़ गई है। इस वजह से अब गांजा कारोबारियों ने झारखंड और बिहार से भी गांजा खरीदना शुरू कर दिया है। एक गुर्गे ने हरिभूमि को बताया कि ओडिशा के गांजे की तुलना में झारखंड और बिहार का गांजा महंगा है। साथ ही पुलिस से बचते हुए इसे राजधानी तक लाने की लागत भी बढ़ गई है। इस कारण शहर में गुर्गों ने गांजे का दाम भी बढ़ा दिया है। ओडिशा बार्डर पर पुलिस की सख्ती अधिक है, जबकि झारखंड बोर्डर पर पुलिस को गांजा तस्करों की भनक भी नहीं है। इसका ही फायदा तस्कर उठा रहे हैं।

तस्करों को बख्शा नहीं जाएगा

रायपुर एसपी संतोष सिंह ने बताया कि, गांजा और सिंथेटिक इम्स बेचने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। किसी को बख्शा नहीं जाएगा। लोकल तस्करों के साथ पूरे नेटवर्क को पकड़ कर कार्रवाई की जाएगी। 

गांजे की कीमत 50 की : पुड़िया 100 रुपए में

धमतरी। कुछ समय पहले एक से दो ग्राम के गांजे की पुड़िया 30 रुपए में मिल जाती थी। वहीं 25 ग्राम गांजा 250 रुपए में आसानी से मिल रहा था लेकिन सरकार बदलते ही गंजेड़ियों की शामत आ गई है। सरकार नशे के कारोबार को लेकर सख्त रवैया अपना रही । है। कड़ाई के चलते गली मोहल्लों तक पहुंचने वाले अवैध गांजे का सप्लाई चैन टूट गया। माल की आपूर्ति कम होने से गांजे की कीमत दोगुनी हो गई। इन दिनों 30 रुपए में मिलने वाला गांजा 50 से 100 रुपए हो गया है। वहीं 25 ग्राम गांजा 500 रुपए में बिक रहा है।

कम उम्र के बच्चों पर संदेह न होने का उठा रहे तस्कर फायदा

जगदलपुर। सरकार बदलने व शासन की सख्ती के बाद नशे के खिलाफ पुलिस प्रशासन भी मुस्तैद हो चुकी है। पड़ोसी राज्य ओडिशा से कम कीमत पर गांजा खरीदकर देश के अलग-अलग राज्यों में खपाने का सिलसिला लगातार जारी है। लेकिन तस्करों ने पुलिस की सख्ती के बाद अब इस धंधे में तस्करी के लिए नाबालिगों का इस्तेमाल कर रहे है। उल्लेखनीय है कि 2 दिन में 3 अलग मामलों में 2 नाबालिगों समेत 7 आरोपियों को गिरफ्तार कर लाखों रूपए का अवैध गांजा बरामद किया है। लेकिन गांजा तस्करों के खिलाफ पिछले कुछ घटों में हुई कार्रवाई में जिस तरह नाबालिगों का इस्तेमाल किया गया है उससे इस बात का खुलासा होता है कि तस्करों ने अब इस अवैध कारोबार में नाबालिगों को इस्तेमाल कर रहे है। गांजा तस्करों के खिलाफ कार्रवाई करने वाले कोतवाली थाना प्रभारी लीलाधर राठौर ने बताया कि गांजा तस्करों के खिलाफ लगातार कार्रवाई जारी है लेकिन जांच के दौरान इस बात का पता चला है कि मुख्य तस्करों द्वारा नाबालिगों का तस्करी में इस्तेमाल किया जा रहा है।

पनारापारा, ताबांकोनी व नयामुण्डा इलाका नशे के लिए बदनाम 

कोतवाली थाना क्षेत्र का पनारापारा, ताबांकोनी व बोधघाट थाना क्षेत्र का नयामुण्डा इलाका नशे के सामान के लिए बदनाम है। यहां 50 व 100 रूपए में गांजा की पुड़िया व 50 से 2 सौ रूपए तक उपलब्ध रहता है। हालाकि पुलिस द्वारा इन इलाकों में लगातार कार्रवाई भी की जा रही है। लेकिन नशे के इस अवैध धंधे में पूरी तरह लगाम नहीं लग सका है सख्ती से कार्रवाई नहीं होने से ऐसे लोगों के हौंसले बुंलद है।

पोस्टल से ठिकानों तक पहुंच रहा गांजा

भिलाई। जिले में गांजा तस्करी के अवैध कारोबार को पुलिस ने लगाम लगाने के बाद अब भिलाई-दुर्ग में पोस्टल से ठिकानों तक गांजा पहुच रहा है। गांजा तस्कर पुलिस के डर से ठिकाना बदल-बदल कर गांजे का अवैध कारोबार बेखौफ तरीके से कर रहे है। इसके अलावा 50 रुपए की गांजा का पुड़िया अब 100 से 150 रुपए महंगे में बिक रही रही है। ओडिशा,आंध्रप्रदेश से हर साल 600 करोड़ से अधिक का गांजा देश के करीब 20 राज्यों में तस्करी कर पहुंचाया जाता है। गांजा आपूर्ति का मुख्य रास्ता छत्तीसगढ़ के बस्तर, महासमुंद, रायगढ़ से होकर भिलाई-दुर्ग पहुच रहा है। इन्हीं तीन जिलों के अलग- अलग रास्तों से तस्कर गांजे की खेप अनेक राज्यों में लेकर जाते हैं। लगातार गांजा तस्कर भिलाई-दुर्ग में पकड़े जाने के बाद गांजा का बड़ा कारोबार अब चोरी छिपे चल रहा है। 

यहां सन्नाटा पसरा 

भिलाई में खुर्सीपार, चरोदा, पुरैना, बालाजी नगर, पावर हाउस कैम्प, छावनी, सुपेला, भिलाई नगर, उतई, नेवई, पाटन, कुम्हारी, नंदिनी अहिवारा, दुर्ग ग्रीन चौक, घोडी लाइन, दुर्गा चौक, हरनाबांध गांजा तस्करों का प्रमुख अड्डा है। पुलिस की लगाम के बाद इन क्षेत्रों में गांजा का अवैध कारोबार बंद है। अब तस्कर अपना कारोबार ठिकाना बदल-बदल कर कर रहे है। खबर है कि खुर्सीपार क्षेत्र ऐसा है जहां गांजा का कारोबार अब भी अपराधी किस्म के युवकों द्वारा किया जा रहा है।

नशे को लेकर चल रहा है अभियान

एएसपी अभिषेक झा ने बताया कि, नशे के खिलाफ पुलिस का जिले में बड़ा अभियान चल रहा है। लगातार नरो की तस्करी करने वालों को पुलिस गिरफ्तार भी कर रही है। जिले में नरो का कारोबार करने वालों को नहीं बख्शा जाएगा। इसके अलवा हर चौक चौराहों पर पुलिस बल तैनात होकर वाहनों की चेकिंग करते रहते है।से हर साल 600 करोड़ से अधिक का गांजा देश के करीब 20 राज्यों में तस्करी कर पहुंचाया जाता है। गांजा आपूर्ति का मुख्य रास्ता छत्तीसगढ़ के बस्तर, महासमुंद, रायगढ़ से होकर भिलाई-दुर्ग पहुच रहा है। इन्हीं तीन जिलों के अलग- अलग रास्तों से तस्कर गांजे की खेप अनेक राज्यों में लेकर जाते हैं। लगातार गांजा तस्कर भिलाई-दुर्ग में पकड़े जाने के बाद गांजा का बड़ा कारोबार अब चोरी छिपे चल रहा है।