रुचि वर्मा - रायपुर। प्रदेश में थोक में ऐसे विद्यालय हैं, जहां छात्र शिक्षकों के लिए तरस रहे हैं। इसके उलट ऐसे विद्यालय भी हैं, जहां छात्र है ही नहीं हैं, लेकिन थोक में शिक्षक हैं। बगैर छात्रों को पढ़ाए शिक्षक मोटा वेतन भी ले रहे हैं, परंतु किसी को भी यहां व्यवस्था सुधारने में कोई दिलचस्पी नहीं है। केंद्र को समग्र शिक्षा के राज्य कार्यालय द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड अर्थात पीएबी को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदेश में 32 स्कूलों में एक भी छात्र नहीं हैं। इस संदर्भ में जब प्रबंध सूचनातंत्र प्रभारी से चर्चा की गई तो उनका कहना था कि ऐसे स्कूलों की संख्या 32 नहीं बल्कि 108 है।

रिपोर्ट में एकल शिक्षकीय विद्यालयों तथा 50 से कम दर्ज संख्या वाले विद्यालयों का भी उल्लेख है। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश में 48 हजार 743 शासकीय विद्यालय हैं। पिछले सत्र यानी 2023-24 में इनमें से 21 हजार 481 स्कूलों में नवप्रवेशी छात्रों की संख्या 50 से भी कम रही। यह भी पता चला है कि छत्तीसगढ़ में 5 हजार 392 ऐसे स्कूल हैं, जहां मात्र एक शिक्षक ही कार्यरत है अर्थात ये स्कूल सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि प्रदेश के 29.09 प्रतिशत यानी 12 हजार से ज्यादा स्कूलों में छात्र- शिक्षक अनुपात संतुलित नहीं हैं। अर्थात यहां शिक्षक या तो कम हैं अथवा अधिक हैं।

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सभी राज्यों से मांगी जाती है रिपोर्ट

दरअसल, प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड प्रत्येक वर्ष सभी राज्यों के समग्र शिक्षा कार्यालय से रिपोर्ट मंगाता है। इसमें स्कूल संख्या, छात्रों की दर्ज संख्या, शिक्षक संख्या सहित सभी तरह की जानकारी शामिल रहती है। इसी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। सत्र प्रारंभ होने के पूर्व ही इन स्कूलों की जानकारी मांग ली जाती है। राज्य समग्र शिक्षा द्वारा सत्र 2024-25 के लिए इस वर्ष की शुरुआती तिमाही में रिपोर्ट भेज दी गई थी। इसके बाद जुलाई माह से नवीन सत्र प्रारंभ हुआ। इस सत्र में ऐसे स्कूलों की संख्या 108 बताई जा रही है।

एक बानगी... छात्र नहीं, बगैर कार्य तीन शिक्षक ले रहे वेतन, बंद करने ग्रामीण दे चुके अर्जी

मजे की बात यह है कि,  ऐसे स्कूलों की जानकारी होने और तमाम तरह के आंकड़े होने के बाद भी शासन-प्रशासन को इसकी सुध नहीं है। यहां छात्र एक भी नहीं हैं, लेकिन शिक्षक थोक में हैं और बगैर किसी कार्य के नियमित वेतन हासिल कर रहे हैं। इन स्कूलों को बंद करने ग्रामीण खुद ही आवेदन दे चुके हैं, लेकिन किसी के कानों में जूं तक नहीं रेंगती। ऐसा ही एक मामला जशपुर जिले में सामने आया था। जशपुर जिले के ग्राम पंचायत दिवानपुर के शासकीय प्राथमिक शाला हलबोहा में एक भी छात्र नहीं है, लेकिन शिक्षक तीन हैं। यहां पहली से पांचवीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है, लेकिन एक भी छात्र ने प्रवेश नहीं लिया। हेडमास्टर समेत तीन शिक्षक पदस्थ हैं।

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वेतन और सुविधाओं पर करोड़ों खर्च

प्रति स्कूल में शिक्षकों के वेतन, कार्यालय सहायक और स्वीपर के वेतन में लाखों रुपए खर्च होते हैं। अधिकारियों के अनुसार, प्रदेश में छात्रविहीन स्कूलों की संख्या 108 है। ऐसे में करोड़ों रुपए सरकार उन स्कूलों पर खर्च कर रही है, जिसमें एक भी विद्यार्थी नहीं है। कई जिलों में ग्रामीण स्वस्फूर्त इन स्कूलों को मर्ज करने की मांग कर चुके हैं। उनके द्वारा आवेदन भी दिए गए हैं, लेकिन कोई कार्रवाई ही नहीं हो रही है। शासकीय प्राथमिक शाला हलबोहा को युक्तियुक्तकरण नियम के तहत एक किमी में पदस्थ टूकुपखना विद्यालय में मर्ज करने की तैयारी थी, लेकिन फिलहाल यह भी ठंडे बस्ते में है।

32 नहीं 108 स्कूल

समग्र शिक्षा एमआईएस प्रभारी शैलेंद्र वर्मा  ने बताया कि, आप किस रिपोर्ट की बात कर रहे हैं, मुझे नहीं पता। मेरी जानकारी में ऐसे 108 स्कूल हैं, जहां छात्रों की दर्ज संख्या शून्य है। इनकी जानकारी नहीं दे सकते हैं, क्योंकि ऊपरी स्तर पर मनाही है।

सार्वजनिक नहीं कर सकते नाम

समग्र शिक्षा प्रबंध संचालक संजीव झा ने बताया कि,  हां, ऐसे स्कूल हैं जहां दर्ज संख्या शून्य हैं। हम स्कूलों के नाम सार्वजनिक नहीं कर सकते हैं। ये आंकड़े केवल पीएबी की मीटिंग के लिए निकाले गए थे।