रायपुर-लक्ष्मण लेखवानी/ जगदलपुर- अनिल सामंत / राजनांदगांव-नितिन राजपूत / अंडा-संजय साहू / धमतरी-दिलीप देवांगन / बिलासपुर विकास चौबे।  पिछले कुछ दिनों से जिले में खनिज विभाग सक्रिय होकर अवैध परिवहन और उत्खनन के मामलों में लगातार कार्रवाई कर रहा है लेकिन सवाल उन घाटों को बंद करने को लेकर है जहां से रेत निकालने की अनुमति ही नहीं है। रायपुर और बिलासपुर में करीब दो दर्जन रेत घाट हैं। इनमें से केवल एक को अनुमति है। लेकिन बाकी पर भी अवैध उत्खनन जारी है। सेंदरी, घुटकू, लोफंदी में मंगला से लेकर दयालबंद, मधुबन, राजकिशोर नगर, तोरवा, सरकंडा, कुदूदंड, सकरी, दोमुहानी सब जगह हाइवा और ट्रैक्टर देखे जा सकते हैं। 


इसी साल फरवरी 2023 में ही ठेके पर दिए गए अमलडीहा व उदईबंद घाट के साथ ही कोटा क्षेत्र की 4 खदानों को भी पर्यावरण अनुमति नहीं मिल सकी है। रेत की कीमत 2500 रुपए ट्रैक्टर है। अफसर दबी जुबान में कहते हैं कि घाटों पर कार्रवाई खतरनाक साबित हो सकती है। वे पांच या छह की संख्या में कार्रवाई करने जाते हैं लेकिन घाट पर सैकड़ों लोग होते हैं। उन्हें राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त होता है। ऐसे में जब घाट से गाड़ियां सड़क पर आती हैं तो कार्रवाई करते हैं। ऐसे में तस्करी रुकती नहीं है। खनिज विभाग के अफसर खौफ के मारे घाट बंद नहीं करा पा रहे। सवाल यही है, अगर घाट बंद हैं तो गाड़ियां आ कहां से रही हैं।

साल भर से कालाबाजारी जारी, रोक नहीं 

एनजीटी के नियमों के मुताबिक 15 जून से 15 अक्टूबर तक रेत खदानों में खनन पर रोक रही। इसके साथ ही जिले में एक भी खदान का विधिवत आबंटन भी नहीं हुआ है, इसलिए सब रेत घाट बंद माने गए। यह सब लेकिन कागजों में रहा और कहीं कोई लगाम नहीं है। दूसरी ओर खदान बंद होने के साथ ही रेत की कालाबाजारी पिछले साल भर से जारी है। खनन माफिया एक तरह से गुंडागर्दी से अवैध रूप से रेत की खुदाई करने पर उतारू हैं। इसके चलते शासन को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हो रहा है और आम जनता को मुफ्त की रेत अब भी 20 से 22 हजार रुपए हाइवा में मिल रही है। रेत की कीमत प्रति ट्रैक्टर 900 से 1000 रुपए थी जो धीरे-धीरे बढ़कर 2500 रुपए तक पहुंच गई है।

बारिश सीजन खत्म होने के बाद से खदानों में चल रहा अवैध खनन का कारोबार 

बारिश का सीजन खत्म होने के बाद से रायपुर सहित प्रदेश के कई जिलों में रेत, चूना पत्थर एवं मुरुम खदानों में अवैध रूप से खनन का काम चल रहा है। जिन खदानों में अवैध रूप से खनन का काम चल रहा है, उनमें से कई खदानों को तो जिला पर्यावरण विभाग से अब तक एनओसी नहीं मिल पाई है, जबकि दूसरी ओर सेंट्रल एनजीटी ने भी नवंबर माह से खनिजों के खनन पर रोक लगाया हुआ है। इसके बावजूद रेत, चूना पत्थर एवं मुरुम के कारोबारी बिना किसी डर के खदानों में अवैध रूप से दिन- रात न केवल खनन करा रहे है, बल्कि परिवहन भी करा रहे हैं।

खदानों में जान का खतरा, बिना हथियार जाने से कतराती है टीम

अवैध खनन को रोकने लगातार कार्रवाई करने का खनिज विभाग के अधिकारियों द्वारा दावा किया जाता है। गश्त करने वाली टीम में खनिज निरीक्षक या इंस्पेक्टर के नेतृत्व में 4-5 सिपाही सहयोग के रूप में शामिल रहते हैं, जिनके पास हथियार के नाम पर सिर्फ डंडा रहता है, जबकि खदानों में अवैध खनन के दौरान बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहते है, जिससे उन्हें जान का खतरा भी बना रहता है। इस भय से टीम भी खदानों में नहीं जाती और संबंधित क्षेत्रों में चेक पाइंट या प्रमुख सड़कों पर भ्रमण कर अवैध परिवहन में संलिप्तगाड़ियों को पकड़कर खानापूर्ति कार्रवाई करती है।

रायपुर जिले में दो सौ खदानें, मुरुम को मिली अनुमति 

रायपुर । रायपुर जिले में रेत, चूना पत्थर, मुरुम की लगभग दो पाइव सो खदाने है। कलेक्टर डा. सर्वेश्वर भुरे ने बताया कि मुरुम की खदानों को अनुमति मिल चुकी है। रेत और चूना पत्थर की खदानों को अभी नहीं मिल पाई है। उन्होंने बताया कि अवैध परिवहन एवं खदानों दोनों की जांच की जा रही है, जिसके अनुसार कार्रवाई भी की जा रही है।

बस्तर में भी नहीं थम रहा खनिजों का अवैध कारोबार

बस्तर। बस्तर जिले में भी खनिज खदानों में अवैध रूप से कारोबार धड़ल्ले से जारी है। प्रशासन का रेत माफियाओं पर नियंत्रण नही है। जिस रेत को साल-दो साल पहले 3 से 5 हजार की दर से एक टिप्पर याने 400 फीट आसानी से मिल जाता था अब वह 7 से 8 हजार रुपये 400 फीट और 600 फीट 10 हजार में बालू माफिया अवैध रूपः से बिक्री कर रहे है। यही हाल गिट्टी का भी है। इस सम्बंध में खनिज मामलों के जानकार सुरेश गुप्ता का कहना है कि पूर्ववती सरकार के गलत नीतियों के चलते प्रदेश में रेत माफिया की मनमानी चली। खनिकर्म पट्टा लीज अथवा रॉयल्टी को नियमतः लागू करने कोई प्रयास नही किया गया। खनिज माफियाओं के अवैध उत्खनन और परिवहन के बाद ग्रीन ट्रिब्युनल के दखल के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पिछले कुछ माह से रेत कारोबार पर रोक लगी रही।

रायगढ़ जिले में अवैध खनन जारी

रायगढ़ । रायगढ़ जिले के घरघोड़ा में कुरकुट नदी में बेतहाशा अवैध खनन हो रहा है। इस क्षेत्र में बहियामुड़ा, कारीछापर, कंचनपुर, बारौद आदि इलाकों में  अवैध खनन किया जा रहा है। खनिज विभाग मुख्य सड़कों पर तो कार्रवाई करता है लेकिन इन खदानों को बंद नहीं करवा पा रहा है। पूरी रात रेत माफ़िया अवैध खनन करते हैं।


हर दिन करेंगे कार्रवाई

सहायक खनिज अधिकारी अनिल साहू ने बताया कि, बेलगहना, खेराडंगनिया, पोड़ी, घुटकू, खोंगसरा, दर्रीघाट में गाड़ियां जब्त की गई है। अमला हर दिन कार्रवाई करने जा रहा है। 

खाई में तब्दील खदानें

राजनांदगांव। अविभाजित राजनांदगांव जिले में मुरूम, रेत और गिट्टी के अवैध उत्खनन को खनिज महकमे ने खुली छूट दे रखी है। हालात यह है कि अवैध कारोबार में नेताओं की सीधी दखल होने के कारण प्रशासन भी शिकायतों को नजर अंदाज कर रहा है। यही कारण है कि जिले में अवैध उत्खनन को लेकर आए दिन आंदोलन और धरना प्रदर्शन भी हो रहे हैं। राजनांदगांव जिले में रेत की एक भी खदान अभी स्वीकृत नहीं है, फिर भी रेत माफिया द्वारा देर रात को नदी के घाट में अवैध उत्खनन किया जा रहा है। सर्वाधिक शिकायतें मोहला-मानपुर इलाके से सामने आ रही है। यहां तस्करों द्वारा रेत की जमकर तस्करी की जा रही है। यही हाल मुरूम का है। मुढ़ीपार इलाके में रेलवे ट्रेक के करीब खदानें खाई में तब्दील कर दी गई है। मनगटा में वन चेतना के समीप खाई में तब्दील खदानों में सुरक्षा 7 के कोई प्रबंध नहीं किए गए हैं। जिसके कारण हर साल वहां पर्यटकों की मौत भी हो रही है।