जिला पंचायत सदस्य पेश कर रहीं मिसाल : आंगनबाड़ियों में बच्चों की देख रेख के साथ ही सुविधाओं की भी कर रही मानिटरिंग

Sukma, District Panchayat, Women & Child Development, Chairman Geeta Kawasi, Public Service
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सभापति गीता कवासी आंगनबाड़ी के बच्चों के साथ पोषण आहार लेते हुए।
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले की जिला पंचायत सदस्य एवं महिला बाल विकास की सभापति गीता कवासी शानदार मिसाल पेश कर रही हैं। 

लीलाधर राठी - सुकमा छत्तीसगढ़ के सुदूर और नक्सल प्रभावित सुकमा जिले की जिला पंचायत सदस्य एवं महिला बाल विकास की सभापति गीता कवासी जनसेवा की एक ऐसी मिसाल बनकर उभरी हैं। जो न केवल अपने कर्तव्यों के प्रति सजग हैं, बल्कि आम लोगों से भी आत्मीय रूप से जुड़ी हुई हैं।

क्षेत्र बड़ा हो गया पर काम वही

सभापति गीता कवासी का मानना है कि, कोई भी पद छोटा या बड़ा नहीं होता, बल्कि काम करने का तरीका और नीयत सबसे महत्वपूर्ण होती है। वे कहती हैं कि, जिस जनता ने मुझे चुना है, उनके बच्चों से लेकर उनकी हर जिम्मेदारी मेरी है। मैं पूरी ईमानदारी से जनता की उम्मीदों पर खरी उतरने का प्रयास करूंगी। महज दो महीने पहले उन्हें जिला पंचायत सदस्य के रूप में जिम्मेदारी मिली, लेकिन इससे पहले भी वे जनपद सदस्य के रूप में सेवा दे चुकी हैं। वे कहती हैं, पहले क्षेत्र छोटा था, अब क्षेत्र बड़ा हो गया है, मगर काम वही है, लोगों की सेवा।

Sukma, District Panchayat, Women & Child Development, Chairman Geeta Kawasi, Public Service
Geeta Kawasi with Anganwadi childrens

खुद पोषण आहार की गुणवत्ता का स्वाद लेकर करती हैं जांच

सभापति गीता कवासी न केवल एक जनप्रतिनिधि हैं, बल्कि एक संवेदनशील मां भी हैं। वे कहती हैं, हर माँ चाहती है कि, उसके बच्चों को अच्छा और पोषक आहार मिले। मैं भी एक माँ हूं, हर माँ का दर्द समझती हूं। इसी सोच के साथ उन्होंने यह संकल्प लिया है कि, सुकमा जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों और माताओं को उच्च गुणवत्ता वाला पोषण आहार मिले और यही उनकी प्राथमिकता है। वे आम लोगों की तरह ही जीवन जीती हैं। अक्सर आंगनबाड़ी केंद्रों में जाकर बच्चों, गर्भवती और शिशुवती माताओं के साथ बैठती हैं। उनका हालचाल पूछती हैं और खुद पोषण आहार की गुणवत्ता का स्वाद लेकर जांच करती हैं।

प्रेरणादायक उदाहरण बनी सभापति गीता कवासी

सुकमा जैसे संवेदनशील और दुर्गम क्षेत्रों में जहां अधिकारियों और कर्मचारियों का पहुँचना भी मुश्किल होता है, वहां गीता कवासी निडरता से पहुंचती हैं और हर आंगनबाड़ी केंद्र में जाकर खुद निरीक्षण करती हैं। वे कार्यकर्ताओं को सफाई, भोजन की पौष्टिकता और बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने के निर्देश देती हैं। उनकी यह प्रतिबद्धता और सादगी न केवल जनता का विश्वास जीत रही है, बल्कि अन्य जनप्रतिनिधियों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण भी बन गई है।

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