रायपुर/जगदलपुर/ दरभा/मैनपुर/बैकुंठपुर/कोरबा। इस साल फरवरी से गर्मी अपना अहसास करा रही है। मार्च के प्रथम सप्ताह से ही पारा 40 डिग्री को छूने लगा है। उसका असर 60 फीसदी से अधिक बांधों में इसका असर देखने को मिला है। वहीं प्राकृतिक जल स्रोतों से प्रदेश में कई जलप्रपातों में तापमान में वृद्धि के कारण पानी की धार पतली हो गई है। आने वाले समय में इसी तरह तापमान में बढ़ोतरी हुई, तो इससे खेती-बाड़ी से लेकर पेयजल आदि की तमाम परेशानियां सामने आ सकती हैं। सिंचाई विभाग बांधों में पानी के स्तर पर रिपोर्ट जारी करता है। यह रिपोर्ट कहती है कि देश के प्रमुख बांधों में 60 फीसदी ऐसे हैं, जिनमें पानी का स्तर जरूरी लेवल से कम है। इस रिपोर्ट में बांधों में पानी का लाइव स्टोरेज स्टेटस बताया जाता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश के बांधों का जलस्तर सामान्य से कम है। प्रदेश के प्रमुख जलाशयों में आधे ऐसे हैं, जिनमें पानी का स्तर 50 प्रतिशत से कम है। प्रदेश के गंगरेल बांध में जलस्तर 40 प्रतिशत है। बड़ी बात ये है कि इन बांधों में अधिकतर मैदानी इलाकों में निस्तारी और सिंचाई के लिए उपयोगी है। प्रमुख बांधों में पानी कुल भराव 5355 मिलियन क्यूबिक मीटर से घटकर 2996 एमसीएम पर आ गया है। यह 55 परसेंट पानी का स्तर बताता है। इसी अवधि में पिछले साल का रिकॉर्ड देखें, तो स्टोरेज 75 प्रतिशत से अधिक था। प्रदेश के 12 बड़े बांधों में पिछले साल इसी सीजन में 75 फीसदी से अधिक जल मराव था, इस साल लगभग 56 प्रतिशत जल भराव है। पिछले साल के मुकाबले इसमें लगभग 19 प्रतिशत की भारी कमी देखी गई है।
गिरने लगा है बांगो का वाटर लेवल
कोरबा। प्रदेश का सबसे बड़ा जलाशय बांगो बांध का वाटर लेवल लगातार गिरने लगा है। मार्च के महीने में बांध का वाटर लेवल 60 फीसदी जा पहुंचा है। 10 मार्च की स्थिति में बांगो बांध का वाटर लेवल 352.5 फीसदी है जो बांध की कुल जल भराव क्षमता का 65 फीसदी है।
आधा दर्जन जल प्रपात व झरना सूखा
मैनपुर से 12 किमी दूरी पर कुल्हाड़ीघाट की पहाड़ी के ऊपर सैकड़ों फीट उंचाई से गिरते जलप्रपात बोतल धारा जिसे बारिश के दिनों में मैनपुर नगर से आसानी से देखा जाता है, पूरी तरह सूख गया है। यह जलप्रपात स्थल में कुंड में पानी भरा हुआ है। अभी भी गर्मी के दिनों में पर्यटक यहां पहुंच रहे हैं। हालंकि अब जलप्रपात का झरना सूख गया है। इस तरह क्षेत्र के और प्रमुख जलप्रपात गोडेना फाल, शेषपगार, कुलाप जलप्रपात, बुढ़ाराजा, बधियामाल जलप्रपात का झरना पूरी तरह सूख गया है।
गेज बांध में मात्र 37 प्रतिशत शेष जलभराव
बैकुण्ठपुर। कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर के निकट दो प्रमुख झुमका और गेज मध्यम श्रेणी की बांध परियोजना स्थित है। इस वर्ष जल भराव अपेक्षित नहीं हो पाया। मार्च महिने के पहले पखवाड़े में ही गेज बांध की स्थिति ठीक नहीं है। यहां के पानी को रिजर्व में पीने के लिए रखा गया है। जल संसाधन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार झुमका बांध में 10 मार्च की स्थिति में 77 प्रतिशत जल भराव है। वहीं गेज बांध में मात्र 37 प्रतिशत ही शेष जलभराव है, इसे पेयजल में उपयोग किए जाने के लिए रिजर्व में रखा गया है।
तीरथगढ़ जलप्रपात की धार होने लगी पतली
बारिश में गर्जना करती तीरथगढ़ जलप्रपात की धार गर्मी आते-आते पतली हो गई है। इन दिनों धार पतली होने से जलप्रपात का सौन्दर्य और जलधारा का वेग घटने लगा है। दरभा ब्लाक में मुनगाबहार नदी का पानी चन्द्राकार रूप से बनी पहाड़ी से 300 फीट नीचे सीढ़ी नुमा प्राकृतिक संरचनाओं पर गिरता है। पानी के गिरने से बना दूधिया झाग एवं पानी की बूंदों का प्राकृतिक फव्वारा पर्यटकों का मन मोह लेता है।
गर्मी के शुरुआती दिनों में ही सूखे जलप्रपात
मैनपुर-गरियाबंद जिले के उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के भीतर एक दर्जन के आसपास बेहद ही खूबसूरत और मनोरम जलप्रपात है, जो बारिश के दिनों में अपने पूरे शबाब पर रहता है। इन जलप्रपातों को देखने के लिए बड़े शहरों से लेकर 1 विदेशों तक से पर्यटक बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। गर्मी के शुरुआती इन दिनों में ही जलप्रपात सूखने लगे हैं। हालंकि जलप्रपातों के कुंडों में पानी आज भी भरा हुआ है, लेकिन जलप्रपात से सैकड़ों फीट उंचाई से गिरने वाली पानी की धार झरना अब बंद हो गये है। झरने वाली चट्टानों पर सिर्फ पानी टकराव के निशान दिखाई दे रहे हैं।
गर्मी में निस्तारी के लिए छोड़ा गया पानी
प्रदेश में आने वाले गर्मी की सीजन के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी गई है। बांधों से नहर के माध्यम ये पानी छोड़ा गया। गांवों के तालाबों में निस्तारी के लिए पानी एकत्रित करके रखा गया। वर्ष 2024 में अल नीनो का प्रभाव देखने को मिल रहा है, इसके कारण तापमान में वृद्धि देखने का मिल रही है। फरवरी गर्म रहा, वहीं अब मार्च के पहले सप्ताह से ही तेज धूप की वजह से इसमें और वृद्धि हो रही है।