रायपुर। दशकों से चला आ रहा एनआरआई कोटे की धांधली छत्तीसगढ़ में खत्म हो जाएगी। पंजाब सरकार के लिए लागू किया गया सुप्रीम कोर्ट का आदेश छत्तीसगढ़ में लागू होगा। हरिभूमि की खबर के बाद हरकत में आई सरकार ने महाधिवक्ता से विधिक राय मांगी थी। स्वास्थ्यमंत्री श्यामविहारी जायसवाल ने कहा कि, महाधिवक्ता का अभिमत मिल गया है। उसके मुताबिक सुप्रीम कोर्ट का आदेश 24 सितंबर को आया है। उसके बाद दूसरे राउंड की काउंसलिंग में एनआरआई कोटे की आवंटित सीटों को रोक लगाई जाएगी। नए सिरे से नियम बनाकर हमेशा के लिए सिस्टम को सुधारा जाएगा।

श्री जायसवाल ने कहा कि,  सरकार अब विधि सम्मत कार्यवाही करेगी। धांधली को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा। चिकित्सा से संबंधित सभी पाठ्यक्रमों में एनआरआई कोटा का लाभ उसके वास्तविक हकदार को मिलेगा। छत्तीसगढ़ में इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को लागू किया जाएगा। दूसरे राउंड में दूर की रिश्तेदारी के प्रमाणपत्र के आधार पर एनआरआई कोटे से एडमिशन पर रोक लगेगी।

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माता-पिता का सर्टिफिकेट होगा मान्य

एमबीबीएस सहित अन्य पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने के लिए नए नियम के मुताबिक माता-पिता का विदेश में निवास करना ही मान्य किया जाएगा। यानी अब दूर की रिश्तेदारी इस कोटे का लाभ लेने के लिए मान्य नहीं की जाएगी। इस मामले में चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा जल्द ही आदेश जारी करने की तैयारी की जा रही है, जिसके बाद स्थगित काउंसिलिंग पुनः प्रारंभ की जाएगी।

मामा, बुआ, मौसी और ताऊ का रिश्ता नहीं चलेगा 

मामा, बुआ, मौसी और ताऊ के प्रमाणपत्र के आधार पर अप्रवासी भारतीय होने का लाभ एमबीबीएस सहित अन्य पाठ्यक्रमों में काफी लंबे समय से लिया जा रहा था। इस एडमिशन की आड़ में करोड़ों का लेनदेन हो रहा था, जिस पर भविष्य में रोक लगेगी। एडमिशन उन्हीं को मिल पाएगा, जो इसके वास्तविक हकदार होंगे और इसका प्रमाणपत्र प्रस्तुत करेंगे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले और हरिभूमि द्वारा प्रकाशित की जा रही लगातार खबरों के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इस मामले में विधिक सलाह मांगी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने 24 को दिया फैसला, उसके बाद के प्रवेश रद्द 

सुप्रीम कोर्ट द्वारा पंजाब हाईकोर्ट के फैसले को 24 सितंबर को सही ठहराया गया था। तब तक प्रदेश में एमबीबीएस, बीडीएस के प्रथम चरण का एडमिशन हो गया था। इसके बाद 28 सितंबर को दूसरे राउंड की काउंसिलिंग शुरू हुई थी, जिस पर यह उच्चतम न्यायालय का आदेश लागू किया जाएगा और दूर की रिश्तेदारी के सर्टिफिकेट के आधार एनआरआई कोटे से हुए एडमिशन पर रोक लगाई जाएगी। इसके बाद होने वाले पीजी एडमिशन में भी यह नियम लागू किया जाएगा और आगामी शिक्षण सत्र में एनआरआई कोटे से एडमिशन नए नियम के आधार पर किया जाएगा।

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राज्य में एनआरआई की 103 सीट

राज्य में वर्तमान में पांच निजी मेडिकल कालेज संचालित हो रहे हैं। एकमात्र कालेज में अप्रवासी भारतीय कोटे की 15 सीट है और बाकी चार में 22 सीट निर्धारित है। दूसरे राउंड की काउंसिलिंग तक 93 सीटों पर प्रवेश पूरा कर लिया गया था, शेष 10 सीटों पर एडमिशन मॉपअप के माध्यम से दिया जाना था। मॉपअप राउंड के आवंटन को मंगलवार को स्थगित करने का आदेश जारी किया गया था। 

खाली सीटें सामान्य छात्रों को

काउंसिलिंग के दौरान अगर निजी मेडिकल कालेज में एनआरआई कोटे की सीट खाली रह जाती है, तो उसका आवंटन नीट के आधार पर सफल सामान्य छात्रों को किया जाएगा। इसका सीधा लाभ प्रदेश के उन मेधावी छात्रों को मिलेगा, जो थोड़े कम अंक की वजह से एडमिशन से चूक जाते हैं।

लगेगी धांधली पर रोक

पुराने नियम के आधार पर एनआरआई कोटे से एडमिशन के नाम पर एक करोड़ से ज्यादा राशि में एमबीबीएस की सीट बेचने का गोरखधंधा इस आदेश के लागू होने के बाद थम जाएगा। अब तक वर्ष 2018 के नियम के आधार पर इस श्रेणी की सीटों का आवंटन किया जाता था, जिसका लाभ ऐसे छात्र भी उठाते थे जो अपात्र थे।

विधिक राय मिली, कार्यवाही कर रहे

स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने बताया कि,  विधिक सलाह मिल चुकी है, इस आधार पर 24 सितंबर के बाद के एनआरआई कोटे के एडमिशन पर ऐसे प्रमाणपत्र के उपयोग पर रोक लगाई जाएगी। दूसरे राउंड में हुए एडमिशन के दस्तावजों की जांच की जाएगी। एडमिशन के लिए एमसीआई से भी गाइडलाइन ली जाएगी।