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केंद्रीय गृहमंत्री अमित साह से मिलने से पहले आत्मसमर्पित नक्सलियों ने अंतागढ़ का दौरा किया। वहां पर उन्होंने विभिन्न शिक्षण संस्थानों का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने स्कूली बच्चों से भी बातचीत की।

फिरोज खान-अंतागढ़। छत्तीसगढ़ ही नहीं देश के हर नक्सल प्रभावित राज्य में नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन तेज है और जवान लगातार नक्सलियों की कमर तोड़ रहे हैं। यही कारण है कि, अब माओवाद के खात्मे को करीब माना जा रहा है। देश के गृहमंत्री अमितशाह बस्तर दौरे पर हैं। उनसे मिलने जा रहे आत्मसमर्पित नक्सली पहले अंतागढ़ पहुंचे। वहां पर उन्होंने विभिन्न शिक्षण संस्थानों का दौरा किया और छत्तीसगढ़ सरकार की वर्तमान शिक्षा व्यवस्था से रूबरू हुए। 

दौरे पर आए सारे पूर्व नक्सली महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले से आए थे। उन्होंने स्कूली बच्चों से भी सवाल-जवाब किया। वहीं एक पूर्व नक्सली कमांडर ने बताया कि, समर्पण से पहले जब वह अबूझमाड़ इलाके में सक्रिय हुआ करता था तब कैसे जल-जंगल-जमीन की लड़ाई के नाम पर भोले-भाले आदिवासियों को सरकार के खिलाफ भड़काया जाता था और हाथ में हथियार देकर सरकार के खिलाफ खड़ा किया जाता था। तब यहां की शिक्षा व्यवस्था का बहुत बुरा हाल था और आज आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर अलग है।

छात्रों ने आत्मसमर्पित नक्सलियों से किया सवाल-जवाब 

वहीं समर्पित पूर्व नक्सलियों ने स्कूली बच्चों से सवाल-जवाब भी किया। उन्होंने बताया कि, किस तरीके से सरकार के खिलाफ उनके अंदर नफरत डालकर माओवाद संगठन के साथ जुड़ने को मजबूर किया जाता था। जब सरकार की चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी उन तक पहुंची तो सच्चाई को स्वीकार कर उन्हें आत्मसमर्पण की प्रेरणा मिली। 

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