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स्वामी आत्मानंद विद्यालय द्वारा गतिविधियों के लिए पांच लाख रूपए शासन से मांगे गए थे, लेकिन उन्हें सिर्फ 79 हजार रूपए ही मिल सके हैं। चॉक डस्टर का बिल भी नहीं भर सके हैं।

रायपुर। प्रदेश के स्वामी आत्मानंद विद्यालय नए साल में भी संकट से उबर नहीं पाए हैं। आत्मानंद विद्यालयों द्वारा रख-रखाव सहित सालभर होने वाली गतिविधियों के लिए पांच लाख रूपए शासन से मांगे गए थे, लेकिन उन्हें सिर्फ 79 हजार रूपए ही मिल सके हैं। दिसंबर अंत में उन्हें ये राशि जारी की गई थी। इस राशि से वे उधार में खरीदे गए चॉक डस्टर सहित अन्य अध्ययन सामग्री का बिल भी नहीं भर सके हैं। विद्यालयों में 10 जनवरी से प्रायोगिक परीक्षाएं प्रारंभ हो रही हैं। वहीं 20 जनवरी से प्री बोर्ड शुरू हो जाएंगे। 

जनवरी से परीक्षाओं का दौर शुरू हो जाता है, इसलिए दिसंबर माह में भी वार्षिकोत्सव का आयोजन किया जाता रहा है। इस बार जिले के किसी भी आत्मानंद विद्यालय में वार्षिकोत्सव का आयोजन नहीं किया जा सका है। पैसे नहीं होने की स्थिति में इसकी संभावना भी नजर नहीं आ रही है। राजधानी के स्वामी आत्मानंद विद्यालयों के प्राचार्यों का कहना है कि उनके द्वारा सत्र प्रारंभ होने के पूर्व से चॉक- डस्टर, साफ-सफाई, मेंटेनेंस सहित सहित अन्य कार्य उधार पर कराए जा रहे थे। जो पैसे मिले हैं, उससे पूरी तरह से उधारी ही बकाया नहीं हो पाया है।

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इसलिए मांग रहे आकस्मिक निधि 

शासकीय विद्यालयों में नवमी और दसवीं कक्षा के लिए 415 रुपए फीस निर्धारित है। ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा के लिए 445 रुपए फीस ली जाती है। इसके लिए अलावा विद्यालयों द्वारा शाला विकास निधि ली जाती है। प्रत्येक शासकीय विद्यालयों में यह भिन्न-भिन्न होती है, लेकिन सामान्यतः विद्यालयों में यह राशि एक हजार रूपए से अधिक नहीं होती है। छात्रों से प्राप्त होने वाली शाला विकास की इस राशि से विद्यालय के वार्षिकोत्सव सहित अन्य आयोजन किए जाते हैं। स्वामी आत्मानंद विद्यालयों में इस तरह का कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। इसलिए पिछली सरकार में शासन द्वारा 5 लाख रूपए प्रत्येक आत्मानंद विद्यालय को आकस्मिक निधि प्रदान की जाती थी। इससे ही विद्यालय का मेंटेनेंस संबंधित संपूर्ण खर्च निकलता था।

खेल सामग्री उधार खाते से

विद्यालयों में एक पीरियड खेल का भी होता है। इसमें शतरंज, फूटबॉल, वॉलीबॉल, क्रिकेट, टेनिस सहित कई तरह के खेल शामिल रहते हैं। इसके लिए खेल सामग्री भी विद्यालयों द्वारा दुकान से उधार में ली गई है। बच्चे उधार की सामग्री से ही खेल रहे हैं। इसके भरोसे ही वे जिला स्तरीय और राज्य स्तरीय खेल प्रतियोगिताओं में शामिल हो रहे हैं। कुछ पैसे समग्र शिक्षा से आत्मानंद विद्यालयों को मिले थे, लेकिन छात्र संख्या को देखते हुए वे भी अपर्याप्त साबित हुए। कुछ विद्यालय उधार की सामग्री से ही खेल प्रतियोगिताओं की तैयारी कर रहे हैं।

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