बिलासपुर। फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी करने के मामले में प्रशासन की लापरवाही और छूट दिए जाने से पूरा प्रकरण ही ठंडे बस्ते में चला गया है। मुंगेली के साथ ही दूसरे जिलों के 48 से अधिक लोगों को नोटिस देते हुए राज्य मेडिकल बोर्ड के सामने स्वास्थ्य परीक्षण कराने कहा गया था, लेकिन चार बार बुलाने के बाद भी कोई नहीं पहुंचा। सामान्य प्रशासन विभाग भी औपचारिकता ही दिखाता रहा और नोटिस का खेल जारी रहा। अब कार्रवाई नहीं होने पर दिव्यांग संघ ने 3 दिसंबर को रायपुर में सीएम हाउस तक पैदल मार्च करने की चेतावनी दी है। दिव्यांग संघ के मुताबिक 28 अगस्त को शासन ने आश्वासन दिया था कि सख्त कार्रवाई होगी उसके बाद आंदोलन स्थगित किया गया था लेकिन कुछ नहीं किया गया।
गौरतलब है कि, मुंगेली जिले के लोरमी विकासखंड के 6 से 7 गांव ऐसे हैं, जहां पिछले 10 सालों में 300 से अधिक लोग बहरे हो गए हैं। मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी सर्टिफिकेट के आधार पर 147 लोग श्रवण बाधित कान के दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने के बाद सरकारी नौकरी भी कर रहे हैं। हालांकि इसमें अधिकांश के फर्जी होने के आरोप भी लग रहे हैं। खास बात यह भी है कि इनमें से अधिकतर का सरनेम राजपूत, राठौर और सिंह है। यह सभी बिलासपुर, मुंगेली और जांजगीर-चांपा जिले के निवासी हैं। अधिकांश फर्जी प्रमाण पत्र भी लोरमी और जांजगीर-चांपा जिले से बनाए गए है। इसकी चर्चा पूरे प्रदेश में है। छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ के मुताबिक अधिकांश प्रमाण पत्रों में बिलासपुर और मुंगेली में पदस्थ दो डाक्टरों के हस्ताक्षर हैं। इनमें से एक डॉक्टर बिलासपुर में स्वास्थ्य विभाग में महत्वपूर्ण पद पर पदस्थ हैं।
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कृषि विभाग में सबसे अधिक गड़बड़ी
विकलांग संघ के मुताबिक, अकेले 53 लोग कृषि विभाग में ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के पद पर पदस्थ हैं। वहीं तीन लोग कृषि शिक्षक के पद पर काबिज हैं। ध्यान रहे राज्य शासन की ओर से दिव्यांगों की विशेष भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। सबसे पहले ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी पद के लिए भर्ती हुई। इसमें जमकर फर्जीवाड़ा किया गया। जिनकी नियुक्ति हुई उनमें से अधिकांश लोगों ने श्रवण बाधित होने का फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र पेश किया है। इस विभाग की जांच सबसे जरूरी है क्योंकि सबसे अधिक गड़बड़ी यहीं हुई है।
इन विभागों में सालों से कर रहे नौकरी
दिव्यांग संघ के प्रदेश अध्यक्ष बोहित राम चन्द्राकर ने बताया कि, वर्तमान में पीएससी से सलेक्ट होकर 7 डिप्टी कलेक्टर, 3 नायब तहसीलदार, 3 लेखा अधिकारी, 3 पशु चिकित्सक, 2 सहकारिता निरीक्षक सहित 21 लोग फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र लगाकर सरकारी नौकरी कर रहे है। लगातार शिकायतों के बाद भी जांच नहीं हो रही है और अधिकारी मामले को दबाकर बैठे हैं। विकलांग संघ के मुताबिक अकेले 53 लोग कृषि विभाग में ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के पद पर पदस्थ हैं। वहीं तीन लोग कृषि शिक्षक के पद पर काबिज हैं।
300 से अधिक मेडिकल सर्टिफिकेट पर सवाल
लोरमी ब्लाक के सारधा, लोरमी, सुकली, झाफल, फुलझर, विचारपुर, बोड़तरा गांव के लोगों के बने 300 से अधिक दिव्यांग प्रमाण-पत्रों पर सवाल उठ रहे हैं। एक गांव के एक ही वर्ग से एक साथ इतने सफल अभ्यर्थियों के श्रवण बाधित होने पर लंबे समय से सवाल विकलांग संघ उठा रहा है लेकिन जांच और कार्रवाई दूर की बात है। हरिभूमि के लगातार खुलासे के बाद इन सभी के प्रमाण पत्रों की जांच के लिए नोटिस जारी किया गया था लेकिन कोई नहीं पहुंचा। जिन पर आरोप लग रहे हैं उन्हें 24 और 27 अगस्त 2024 को राज्य मेडिकल बोर्ड रायपुर के सामने हाजिर होना था लेकिन कोई नहीं पहुंचा। इसके बाद प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया और मामला शांत कर दिया गया। इस पूरे मामले में अधिकारियों पर मिलीभगत के आरोप भी लग रहे हैं।
जांच और कार्रवाई होगी
मुंगेली अतिरिक्त कलेक्टर निष्ठा पांडे तिवारी ने बताया कि, विकलांग संघ की ओर से मिली शिकायत के बाद कुछ लोगों को राज्य मेडिकल बोर्ड से जांच कराने के लिए नोटिस जारी किया गया था। उस दौरान कोई नहीं पहुंचा। बाद में जानकारी मिली है कि कई लोगों को कोर्ट से स्टे मिल गया है। स्टे हटने के बाद जांच और दूसरी कार्रवाई होगी।