अनिल सामंत - जगदलपुर। शहर के लक्ष्मीनारायण मंदिर परिसर स्थित भूतेश्वर महादेव मंदिर में हर वर्ष श्रावण मास में साक्षात महाकाल विराजते हैं। यहां हर दिन भूतेश्वर महादेव में का श्रृंगार अलग-अलग रूपों में किया जाता है। यह परंपरा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि श्रद्धालुओं के लिए विशेष रूप से दर्शनीय होता है। पहले दिन महाकाल के स्वरूप में महादेव का दर्शन करना उन श्रद्धालुओं के लिए विशेष सुखदायक होता है, जो उज्जैन जाने में असमर्थ होते हैं। इस प्रकार की पूजा और आयोजन से भक्तों में भक्ति और उत्साह की वृद्धि होती है।
भूतेश्वर महादेव देवालय की खासियत देखने शहर व ग्रामीण अंचलों सहित पड़ोसी राज्य ओडिशा के लोग भी काफी संख्या में इस मंदिर तक पहुंचते हैं। इंद्रावती नदी का किनारा मंदिर को और आकर्षक स्वरूप देता है। फूलों से सजाकर महाकाल का स्वरूप दिए जाने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि महादेव स्वयं यहां विराजमान हैं। पहले दिन महाकाल के खरुप में महादेव का शृंगार करने में 3 घंटे से अधिक का समय लगा। कठिन परिश्रम के बाद जो स्वरूप नजर आया, वह बेहद आकर्षक लग रहा था।
देवालय की विशेषता अन्य देवालयों से भिन्न
आचार्य त्रिपाठी के मुताबिक शहर के प्रवीर वार्ड पनारापारा में रियासतकालीन लक्ष्मीनारायण मंदिर परिसर में स्थित भूतेश्वर महादेव मंदिर दूसरे देवालयों की तुलना में खास है, क्योंकि 3 तरफ से यह श्मशान से घिरा है।
प्रतिदिन महादेव का होता है विशेष श्रंगार
आचार्य पंडित रोमित रामराज त्रिपाठी प्रतिदिन शाम 4 बजे भूतेश्वर महादेव का श्रंगार करने बैठते हैं। भगवान महादेव को अलग- अलग देवताओं के रूप में शृंगार से आकर्षक रूप दिया जाता है। खासबात यह है,जिस देवता का रूप महादेव पर दिया जाता है, हूबहू उसी पर ि देवता के रूप में नजर आते है। जैसे महाकाल, हनुमान, नीलकंठ हरिहर, अर्धनारीश्वर, गणपति आदि का श्रृंगार भक्तों के बीच काफी चर्चित है। शृंगार के लिए प्रतिदिन ढाई से तीन घण्टे लगते है। विशेष श्रृंगार के साथ हर दिन भोलेनाथ का रूद्राभिषेक भी किया जाता है।