रायपुर। छत्तीसगढ़ का दक्षिण बस्तर पिछले कुछ दशकों से नक्सल आतंक के लिए ही जाना जाता रहा है। लेकिन पिछले पांच साल में यानी कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान यह क्षेत्र अफसरों और ठेकेदारों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार के गढ़ के रूप में भी पहचान बना चुका है। अभी कुछ दिनो पहले ही चार सड़कों काम निरस्त हुआ, इसके बाद एक और बड़ा मामला प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में भ्रष्टाचार का सामने आया है। सड़क बननी थी 10 किलोमीटर लंबी, लेकिन गांव तक पहुंचने से पहले ही सड़क गायब हो गई। इस मामले को लेकर अब क्षेत्र के नए विधायक ने जांच और कार्यवाही की बात कही है। यहां हम बात कर रहे हैं, पालनार, पेरमापारा से 20 किलोमीटर दूर मुलेर पहुंच मार्ग की। पैकेज क्रमांक 154 में सरकारी विभाग और ठेकेदार ने मिलकर बड़ा खेल किया है। यह सड़क आज तक मुलेर गांव से नहीं जुड़ पाई है।  

मेजरमेंट बुक में भर दिया 10 किमी. का ब्योरा 

साइन बोर्ड

दरअसल, 16 किमी लंबी सड़क में मुरम और मिट्टी से महज साढ़े सात किलोमीटर ही काम किया गया है। अधिकारियों ने मेजरमेंट बुक में 10 किमी सडक़ का ब्योरा भरा और विभाग से तीन करोड़ 90 लाख रुपए निकाल लिए। इस मामले के उजागर होने के बाद विभाग के अधिकारियों से इस विषय पर चर्चा की गई तो उन्होंने बात ही नहीं की। लेकिन अहम बात तो ये है कि, जवानों की सुरक्षा के साये में बनी मुरूम और मिट्टी की इस सड़क में जमकर भ्रष्टाचार किया गया है। जिसमें करोड़ों रुपए का गबन ठेकेदार जो कांग्रेस नेता बताए जा रहे है और अधिकारियों ने मिलकर किया है। माओवाद की आड़ में इस विभाग ने ऐसे कई कारनामों को अंजाम दिया है। 

स्लेब की जगह बना दी पाइप वाली पुलिया 

पुलिया

इस पूरे नक्सल प्रभावित इलाके में सड़कों में भ्रष्टाचार की एक बड़ी लंबी फेहरिस्त है। इस मामले को लेकर जब तत्कालीन ईई संतोष नाग से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि, इसका मेजरमेंट मृत सब इंजीनियर अरुण मरहाबी ने किया था और एसडीओ पटेल ने इसका भौतिक सत्यापन किया है। यदि सड़क 10 किलोमीटर नहीं बनी है तो विभाग इसकी रिकवरी ठेकेदार से कर सकता है। यह मामला सड़क की दूरी खा जाने तक ही सीमित नहीं है। बल्कि इस सड़क पर स्लेब पुलियों का निर्माण किया जाना था। लेकिन ठेकेदार, कांग्रेस नेता और विभाग के अधिकारियों ने मिलकर पाइप पुलियों का निर्माण करवा दिया। इस सडक़ पर  आठ पुलियों का निर्माण हुआ है। जिसमें सिर्फ एक पुलिया ही स्लेब डालकर बनाई गई है। इतना ही नहीं सड़क बनाने के लिए भी आस-पास की मिट्टी को अवैध तरीके से खोदकर सड़क तैयार करवाई गई। इतना ही नहीं ठेकेदार ने सड़क बनाने के लिए जंगलों का भी दोहन किया और बिना परमिशन पेड़ काट डाले। 

पूरी प्रक्रिया में अनेक गड़बड़ियां

गीदम-बीजापुर सड़क मार्ग निर्माण कार्य के लिए कुल 30 किलोमीटर तक टेंडर जारी किया गया था। जिसमें फरसमुदुर और पोंदुम से पटेपारा होते हुए बतुमपारा तक 8 करोड़ 42 लाख रुपये का टेंडर जारी किया गया था। वहीं मोखपाल से छोटे गुडरा की सड़क का ठेका टेंडर से 10 प्रतिशत अधिक रेट पर 6 करोड़ 78 लाख रुपये का लिया गया था। डामर रोड जो कि, माहराकरका से छोट हड़मा मुंडा तक है, जिसकी कुल लागत 4 करोड़ 46 लाख रूपये है। इन सडक़ों की निविदा अधिकारियों ने कार्यालय के सिस्टम में फर्जी तरीके से तैयार की। साथ ही संवाद नंबर भी तैयार किया। 

काम निरस्त किया, लेकिन जिम्मेदारों पर नहीं हुई कोई कार्रवाई

कार्यालय से महाप्रबंधक छत्तीसगढ़ संवाद को पत्र भी लिखा गया था, लेकिन यह पत्र उस कार्यालय तक भेजा ही नहीं गया। निविदा की पूरी प्रक्रिया फर्जी तरीके से कार्यालय में पूरी कर को वर्क ऑर्डर चहेते ठेकेदारों थमा दिया गया। इन कामों को लेकर विभाग ने ठेकेदारों को करोड़ों रुपए एडवांस भी दिए। इस मामले की जानकारी जब कलेक्टर को लगी तो उन्होंने सभी कामों को निरस्त कर दिया। लेकिन बड़ा सवाल है कि, जो लोग इस पूरी साजिश का हिस्सा थे, उन पर क्या कार्रवाई होगी.... क्या ठेकेदारों से इस फर्जीवाड़े की रिकवरी होगी और इन पर क्या कार्रवाई की जाएगी। इन सड़कों में भ्रष्टाचार करने वाले कई सफेदपोश नेता ही ठेकेदार हैं।  

विधायक बोले- जांच के बाद होगी कार्यवाही, नहीं बख्शे जाएंगे दोषी 

इस पूरे मामले को लेकर जब क्षेत्रीय विधायक चैतराम अटामी बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि, जिन सड़कों में भ्रष्टाचार सामने आया है वो कांग्रेस सरकार के कार्यकाल का है। यह मामला जैसे ही कलेक्टर के संज्ञान में आया तो उन्होंने इसको निरस्त कर दिया है। जिन सड़कों में भ्रष्टाचार हुआ है उन सभी की जांच होगी। भ्रष्टाचार में जो भी अधिकारी, कर्मचारी और ठेकेदार शामिल है उन सभी पर कार्रवाई होगी। इस मामले में किसी को भी बक्शा नहीं जाएगा।