वंदे भारत से अधिक जोन की प्रीमियम ट्रेनों की कमाई
वंदे भारत की जितनी आय नहीं उससे अधिक चलाने में हो रहा रेलवे का खर्च
ललित राठोड़ - रायपुर। बिलासपुर और नागपुर के बीच चलने वाली सेमी हाईस्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस दो साल बाद भी कमाई के मामले में पीछे चल रही है। इस ट्रेन के मेंटेनेंस और चलाने में जितना खर्च हो रहा है, उससे अधिक रेलवे को घाटा होने लगा है। केंद्र सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट होने के कारण नुकसान के बाद भी इसे चलाया जा रहा है। हाईटेक सुविधाओं से लैस इस ट्रेन को अब भी यात्री नहीं मिल रहे हैं। वंदे भारत और अन्य प्रीमियम ट्रेनों की तुलना करें, तो राजधानी, दुरंतो, हमसफर की स्थित बेहतर है।
इन ट्रेनों से रेलवे की आय में अच्छी वृद्धि देखने को मिल रही है। हरिभूमि ने जब वंदे भारत एक्सप्रेस की कमाई को लेकर जब पड़ताल की, तो पता चला, वंदे भारत पर ज्यादा खर्च होने का कारण उसके रैक में लगाए गए मल्टीपल लोकोमोटिव है। इनकी वजह से ट्रेन ज्यादा बिजली लेती है। वहीं अन्य ट्रेनों में एक-एक लोकोमोटिव लगाया गया है, जिससे बिजली खर्च बहुत कम है। वंदे भारत में कई लग्जरी सुविधाएं और किराया ज्यादा होना भी घाटे के कारणों में शामिल है।
दो साल में 40 करोड़ खर्च और 25 करोड़ कुल आय
रेलवे के जानकारों के मुताबिक बिलासपुर-नागपुर वंदे भारत को चलाने का खर्च दो साल में लगभग 40 करोड़ है, लेकिन इस ट्रेन से रेलवे को कुल आय लगभग 25 करोड़ ही हुई है। त्योहार के सीजन में ही वंदे भारत में यात्री अधिक मिलते हैं। सामान्य दिनों 60 प्रतिशत सीटें ही भर पा रही हैं। इसके अलावा हमसफर और राजधानी एक्सप्रेस को चलाने का खर्च 60 करोड़ तक है, लेकिन कमाई वंदे भारत से तीन गुना अधिक है। वंदे भारत में कोच कम करने और स्टॉपेज बढ़ाने के बाद भी कमाई नहीं बढ़ी है।
नागपुर से बिलासपुर का किराया 200 महंगा
वंदे भारत एक्सप्रेस में नागपुर से बिलासपुर तक सीटें अधिक खाली रहती हैं। इसका मुख्य कारण यह भी है कि वंदे भारत में जाने और आने का किराया एक सामान नहीं है। सीसी कोच में बिलासपुर से नागपुर का किराया जहां 1075 है, तो वहीं नागपुर से बिलासपुर आने के लिए इसी कोच में यात्रियों को 1240 किराया देना पड़ता है। 165 रुपए अधिक देना पड़ता है। ऑनलाइन टिकट खरीदने पर 200 रुपए तक टिकट महंगा हो जाता है। ईसी कोच में 30 रुपए नागपुर से अधिक है।
सीसी कोच में 100 सीट हर दिन खाली
वंदे भारत एक्सप्रेस पहले 16 कोच के साथ चलती थी, लेकिन यात्री कम होने से अब यह ट्रेन 8 कोच के साथ चलती है। बिलासपुर से नागपुर के बीच सीसी कोच में 380 से अधिक सीट है, वहीं ईसी कोच में 36 सीटे हैं। प्रतिदिन सीसी कोच में बिलासपुर से नागपुर के बीच 380 में 180 सीट ही भर पाती है। 150 से अधिक सीटें हर दिन खाली रहती हैं। इसके अलावा 36 ईसी कोच में केवल 15 सीट में यात्री बैठे नजर आते हैं।