रायपुर। छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय के मंत्रीमंडल का शपथ ग्रहण समारोह हो गया है। मंत्रीमंडल में सभी 9 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली। इनमें टंक राम वर्मा, ओपी चौधरी, लखन लाल देवांगन, श्याम बिहारी जायसवाल और लक्ष्मी राजवाड़े पहली बार मंत्री बने हैं। टंक राम वर्मा, लक्ष्मी राजवाड़े और ओपी चौधरी पहली बार चुनाव जीतकर विधायक चुने गए हैं।
कैबिनेट में 6 ओबीसी, 3 आदिवासी और 2 सामान्य वर्ग के मंत्री
राजभवन में शुक्रवार को सुबह 11.45 बजे से शुरू हुए समारोह में बृजमोहन अग्रवाल, रामविचार नेताम, दयालदास बघेल केदार कश्यप, लखन लाल देवांगन, श्याम बिहारी जायसवाल, ओपी चौधरी, लक्ष्मी राजवाड़े और टंकराम वर्मा को राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने शपथ दिलाई। बता दें साय कैबिनेट में 12 में 6 ओबीसी, 3 आदिवासी, 2 सामान्य और 1 एससी हैं। एक जगह खाली हैं। प्रदेश में 13 सदस्यों का मंत्रिमंडल होता है, सीएम साय के साथ 2 डिप्टी सीएम पहले ही शपथ ले चुके हैं।
एक पद के लिए इन नेताओं पर मंथन जारी
9 नेता मंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। एक मंत्री पद अभी साय सरकार में रिक्त है। इस पद के लिए राजेश मूणत, अमर अग्रवाल, रेणुका सिंह, गुरु खुशवंत साहेब और धरमलाल कौशिक जैसे दिग्गज नेताओं ने दावेदारी की है। इन नामों पर बीजेपी के केंद्रीय नेताओं का मंथन अभी जारी है।
साय ने 13 को ली थी सीएम पद की शपथ
बता दें कि तीन दिसंबर को चुनाव के परिणाम आने के बाद 13 दिसंबर को रायपुर के साइंस कॉलेज में विष्णुदेव साय ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उनके साथ अरुण साव और विजय शर्मा ने उपमुख्यमंत्री की शपथ ली थी। मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ कई राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद थे।
छत्तीसगढ़ के 9 मंत्रियों के बारे में जानें सबकुछ
ब्रजमोहन अग्रवाल
रायपुर दक्षिण से लगातार आठवीं बार विधायक बने। 2023 के चुनाव में सर्वाधिक 67919 मतों के अंतर से जीत दर्ज की है। कांग्रेस ने उनके खिलाफ महंत रामसुंदर दास को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन हार गए। बृजमोहन ने पोस्ट ग्रेजुएशन के साथ एलएलबी की डिग्री ली है। 1990 में पहली बार विधायक बने बृजमोहन ने राजनीतिक की कॅरियर की शुरुआत विद्याथी परिषद से की थी। कॉलेज में छात्र संघ अध्यक्ष चुने गए। अविभाजित मप्र में युवा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष व सरकार में राज्य मंत्री रहे। रमन सरकार में भी तीनों बार कैबिनेट मंत्री रहे। भूपेश सरकार के समय भाजपा विधायक दल के मुख्य सचेतक रहे हैं।
रामविचार नेताम
रामविचार नेताम रामानुजगंज विधानसभा से छह बार के विधायक हैं। इससे पहले वे पाल विधानसभा से चार बार विधायक चुने गए। 2000 से 2003 सरगुजा में भाजपा जिलाध्यक्ष, 2003 से 2005 तक रमन सरकार में अजाक मंत्री, 2005 से 2008 तक गृह जेल व सहकारिता मंत्री, 2008 से 2012 तक पंचायत व ग्रामीण विकास मंत्री और 2012 से 2013 तक जल संसाधन मंत्री रहे। 2014 में भाजपा के राष्ट्र्रीय मंत्री, 2015 में भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय प्रभारी और 2016 से 2020 तक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। 2016 से 2022 तक राज्यसभा सांसद भी रहे।
ओपी चौधरी
आईएएस से विधायक और मंत्री बने ओपी चौधरी रायपुर के कलेक्टर थे। 2018 में इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ली थी। भाजपा ने खरसिया विधानसभा से टिकट दिया, लेकिन कांग्रेस के उमेश पटेल से चुनाव हार गए थे। 2023 में भूपेश सरकार में मंत्री रहे उमेश पटेल को हराकर पहली बार विधायक बने। 2 जून 1981 को जन्मे ओपी ने 2005 में 23 साल की उम्र में पहले प्रयास में ही यूपीएएसी की परीक्षा पास की। सबसे पहले कोरबा में बतौर सहायक कलेक्टर पदस्थ किए गए। 2007 में एसडीएम और फिर जांजगीर चांपा में जिला पंचायत सीईओ बनाए गए। रायपुर नगर निगम के कमिश्नर और 2011 दंतेवाड़ा कलेक्टर बने।
लक्ष्मी राजवाड़े
भटगांव विधानसभा से पहली बार विधायक बनीं लक्ष्मी राजवाड़े को भी कैबिनेट में जगह दी गई है। 10 नवंबर 1992 को जन्मीं लक्ष्मी ने 12वीं तक पढ़ाई की है। 2022 में बीए द्वितीय वर्ष उत्तीर्ण किया। 2015 में सूरजपुर जनपद की सदस्य बनीं, 2023 में पहली बार भटगांव से विधायक बनीं। चुनाव आयोग के शपथ पत्र के मुताबिक, लक्ष्मी के पास 1.41 करोड़ की संपत्ति है। पित ठाकुर प्रसाद राजवाड़े पंचायत सचिव रह चुके हैं।क्ष्मी राजवाड़े मंत्रीमंडल में एकमात्र महिला हैं।
टंकराम वर्मा
61 साल के टंकराम वर्मा रिटायर टीचर हैं। टंकराम ने एलएलबी तक शिक्षा ग्रहण की है। 1993 से सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय हैं। क्षेत्र में रामायण और भागवत कथा करवाने के नाम से ख्याति मिली। बलौदा बाजार ग्रामीण भाजपा जिला अध्यक्ष हैं। टंकराम के पास दो करोड़ से अधिक की संपत्ति है। बलौदाबाजार से पहली बार विधायक बने। टंकराम वर्मा रमन सरकार के सदस्य दयालदास और केदार कश्यप के पीए थे।
लखनलाल देवांगन
लखनलाल देवांगन का जन्म 12 अप्रैल 1962 को हुआ। उन्होंने सातवीं तक की पढ़ाई की है। चुनाव आयोग के शपथ पत्र के मुताबिक, लखनलाल के पास 58 लाख 66 हजार 304 रुपए हैं। पार्षद से राजनीति में एंट्री। 2005 में कोरबा नगर निगम केमेयर बने। 2013 में पहली बार विधायक बने। 1982 में राजकुमारी देवांगन से शादी की। एक बेटा और तीन बेटियां हैं।
दयालदास बघेल
1 जुलाई 1954 को जन्में दयालदास बघेल ने 10वीं तक शिक्षा हासिल की है। पेशा खेती किसानी है। 2003 में पहली बार विधायक बने। रमन कार्यकाल में मंत्री पद संभाला। वर्तमान में गुरु रूद्र को हराकर विधायक बने। चुनाव आयोग के शपथ पत्र के मुताबिक, दयालदास के पास 3.80 करोड़ की संपत्ति है। अमला बघेल उनकी पत्नी का नाम का नाम है। दो बेटे और चार बेटियां हैं।
केदार कश्यप
केदार कश्यप का जन्म 5 नवंबर 1974 को बस्तर में हुआ। केदार ने हिन्दी साहित्य में एमए किया है। भाजपा के दिवंगत नेता बलिराम कश्यप के बेटे हैं। बस्तर की राजनीति में केदार बड़े आदिवासी नेता बनकर उभरे हैं। 2018 में मिली हार के बाद भी केदार ने संगठन को संभाले रखा। 2003 में पहली बार नारायणपुर से विधायक बने। 2001 में शांति कश्यप से शादी की। एक बेटा और 2 बेटी हैं।
श्याम बिहारी जायसवाल
श्याम बिहारी जायसवाल का जन्म 01 अक्टूबर 1976 में हुआ। उन्होंने रसायन से एमएससी की है। 2013 में पहली बार मनेद्रगढ़ से विधायक बने। लेकिन 2018 में उनको हार का सामना करना पड़ा। उनकी पत्नी का नाम कान्ति जायसवाल हैं। इनके 1 बेटी और 2 बेटा है।