रायपुर। छत्तीसगढ़ निजी विवि विनियामक आयोग के अध्यक्ष का पद बीते कई माह से रिक्त है। फिलहाल कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में ब्रजेश सिंह मिश्रा पदस्थ हैं। अंदरुनी सूत्रों के अनुसार, जल्द ही इसमें स्थायी नियुक्ति की तैयारी की जा रही है। इसके लिए प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। इस रेस में दुर्ग विवि की पूर्व कुलपति डॉ. अरूणा पल्टा, छत्तीसगढ़ महाविद्यालय के रिटायर प्राध्यापक टोपलाल वर्मा से लेकर दुर्गा महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य एसएस खनुजा तक के नाम शामिल हैं।

एसएस खनुजा छत्तीसगढ़ निजी विवि नियामक आयोग के सदस्य भी रह चुके हैं। राजधानी तथा दुर्ग के रिटायर प्राध्यापक, प्राचार्य और कुलपति के अलावा दूसरे जिलों तथा विश्वविद्यालयों से भी कुछ नामों को लेकर चर्चाएं चल रही हैं। इनमें स्वामी विवेकानंद तकनीकी विवि के पूर्व कुलपति प्रो. एमके वर्मा, मप्र के भोज विवि के संजय तिवारी और बीजी सिंह भी शामिल हैं। नई नियुक्ति को लेकर निश्चित तिथि की घोषणा नहीं की गई है। कार्यकारी अध्यक्ष द्वारा ही संबंधित कार्य किए जा रहे हैं।

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हुई थी शिकायत

गौरतलब है कि, निजी विश्वविद्यालयों द्वारा प्रवेश तिथियों के निर्धारण में मनमानी को लेकर शिकायत सत्र प्रारंभ होने के पूर्व में आई थी। इसे लेकर प्राइवेट कॉलेज एसोसिएशन द्वारा आपत्ति दर्ज की गई थी। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा प्रवेश के लिए तय की गई अंतिम तिथि के बाद भी प्राइवेट यूनिवर्सिटी छात्रों को दाखिले प्रदान कर रहे थे। इस दौरान भी निजी विवि विनियामक आयोग की भूमिका को लेकर सवाल उठे थे।

मॉनिटरिंग बनी चुनौती

गौरतलब है कि, वर्तमान शैक्षणिक सत्र से प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू कर दी गई है। इसके अंतर्गत कई तरह के बदलाव शासकीय और निजी दोनों ही विश्वविद्यालयों में किए जाने हैं। शासकीय विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा विभाग के अधीन सीधे तौर से आते हैं, जबकि निजी विश्वविद्यालय अप्रत्यक्ष रूप से प्राइवेट यूनिवर्सिटी में नियमों के पालन संबंधित कामकाज प्रमुख रूप से निजी विवि नियामक आयोग द्वारा ही किए जाते हैं। एनईपी नियमों की मॉनिटरिंग करने विभाग को पसीना बहाना पड़ रहा है।