रविकांत सिंह राजपूत-मनेन्द्रगढ़। इस विकास के दौर में जब हम चांद तक पहुंचने की बात करते नजर आते हैं। यह बातें महादेव टीकरा पहुंचकर बेमानी नजर आने लगती है। मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिले में कई गांव आज भी ऐसे हैं। यहां के ग्रामीण नदी, झिरिया, से पानी पीने को मजबूर हैं। 

आज भी इसी पर निर्भर है भीषण गर्मी में उन्हें पानी के लिए लंबा सफर तय करना होता है। उबड़ खाबड़ रास्ते से होकर झिरिया पहुंच कर फिर पानी भरकर लौटते हैं। आज के इस विकास के दौर में भी आदिवासी और पंडो जनजाति के लोग झिरिया से पानी लाकर किसी तरह अपना गुजारा कर रहें हैं। एमसीबी जिले के उजियारपुर गांव से कुछ दूरी पर ही ग्राम पंचायत सोनवर्षा है जिसके ग्राम महादेव टिकरा है। यहां कुछ घर गोंड आदिवासी और बाकि पंडो जनजाति के लोग निवास करते हैं। 

दूर दराज से पानी भरने आ रही महिलाएं 

हैंडपंप से निकलता है गंदा पानी 

यहां लगभग 22 घर है, सभी के सभी झिरिया का पानी पीते हैं। गांव की मितानीन नयन कुंवर का कहना है कि, कहने को 2 हैंडपंप है लेकिन दोनों में गंदा पानी निकलता है। जलजीवन मिशन का काम हुआ है। परन्तु आज तक उसमे पानी नहीं आता हैं। यहां के ग्रामीणों का कहना है कि, वो जब से यहां रह रहे है। तभी से वो झरिया का पानी पी रहे है। पानी के लिए उन्हें झरिया तक जाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। 

नल से निकल रहा गंदा पानी