रायपुर। छत्तीसगढ़ की सिंचाई परियोजनाओं में से एक महानदी गोदावरी कछार के पानी का 136.45 करोड़ रुपए उद्योगों ने नहीं दिया है। किसान भी तकरीबन 14 करोड़ के कर्जदार हो गए हैं। यह एक परियोजना का हाल है। इधर, महानदी परियोजना अंतर्गत गंगरेल का पानी का भी उद्योगों और किसानों के साथ निस्तारी के लिए बंटवारा होता है। यहां भी बकाया बताया जा रहा है। अकेले धमतरी जिले में ही किसानों पर तीन करोड़ का कर्ज है। गौरतलब है, खरीफ फसलों की सिंचाई के लिए बांधों से पानी दिया जाता है। राज्य के किसानों से सिंचाई के लिए उपयोग किए जाने वाले पानी के लिए सिंचाई कर लिया जाता है।
महानदी गोदावरी कछार परियोजना में अब भी किसानों पर 14.20 करोड़ सिंचाई कर बकाया है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2019-20 और 2020-21 में किसानों के सिंचाई कर का माफ करने की घोषणा की थी। घोषणा के आधार पर किसानों के करीब 207 करोड़ का सिंचाई कर भी माफ किया गया है। छत्तीसगढ़ में किसानों को सिंचाई के लिए पानी दिया जाता है, उनमें प्रति एकड़ 91 रुपए के हिसाब से कर लिया जाता है। कांग्रेस सरकार के समय सिंचाई कर माफ किया गया था। उसमें 20 प्रतिशत किसानों को इसका लाभ नहीं मिला, क्योंकि वे हर साल अपना कर पटाते रहे हैं। ऐसे किसानों को इसका लाभ बाद के वर्षों में दिया गया। बताया गया है कि प्रदेश के 15 लाख से अधिक किसानों द्वारा सिंचाई के लिए पानी लिया जाता है। प्रदेश में सिंचाई कर की वसूली के लिए 30 जून का समय तय रहता है। विभाग के अधिकारियों के अनुसार उसके बाद ही बकाया की वास्तविक स्थिति स्पष्ट होगी।
80 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में सिंचाई परियोजनाएं बहुत महत्वपूर्ण हैं। राज्य की लगभग 80 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और काफी हद तक कृषि पर निर्भर है। राज्य में औसत वर्षा 1300 मिमी है और पूरा राज्य धान-जलवायु क्षेत्र में है। मानसून में बदलाव का सीधा असर कृषि फसलों मुख्यतः धान पर पड़ता है। इन परिस्थितियों में अधिक सिचाई सुविधाएं राज्य की प्राथमिक आवश्यकता बन गई है। वहीं पेयजल और अन्य उपयोग के लिए भी बांधों से पानी दिया जाता है।
उद्योगों पर 136.45 करोड़ बकाया
राज्य में उद्योगों को भी उसके औद्योगिक जरूरतों के आधार पर बांधों के माध्यम से पानी दिया जाता है। महानदी गोदावरी कछार से उद्योगों को दिए जाने वाले पानी का कूल 136.45 करोड़ रुपए बकाया है। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि उद्योगों के बकाया का यह आंकड़ा अनुमानित जून के अंत में इसका अंतिम आंकड़ा जारी होगा। कई उद्योगों के बकाया की राशि विवादों के कारण लंबित है। बताया गया है कि सीएसआईडीसी द्वारा भी बांधों पानी का करार किया जाता है। उसका भी 35 करोड़ रुपए बाकी है। उद्योग विभाग द्वारा इसके भुगतान के संबंध में निर्देश जारी किए जाते हैं।