रायपुर। रायपुर जिले में मनरेगा के तहत काम करने के लिए मजदूर मिल नहीं पा रहे हैं। इसके कारण दो साल में 1723 तालाबों में से अब तक मात्र 646 तालाबों के गहरीकरण के कार्य पूर्ण हो पाए हैं, वहीं शेष 1077 तालाबों के गहरीकरण के कार्य अधूरे हैं। इन अधूरे कार्यों को पूरा कराने के लिए विभाग को अब गर्मी के सीजन का इंतजार है, क्योंकि इन दिनों धान की कटाई से लेकर धान उपार्जन केंद्रों, मंडियों में धान की तौलाई, वाहन से धान की लोडिंग-अनलोडिंग सहित अन्य कई काम में मजदूर लगे हुए हैं। 

इसके कारण मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों का टोटा हो गया है, जिसके कारण तालाबों के गहरीकरण के अलावा मनरेगा से संबंधित अन्य कार्यों में भी मजदूर बहुत कम संख्या में काम करने पहुंच रहे हैं। इधर विभाग को अब गर्मी के सीजन का इंतजार है, क्योंकि इसी सीजन में मजदूर खाली हो जाएंगे, जिसके बाद रोजी- रोटी के लिए मनरेगा के काम में जुट जाते हैं। इस तरह मार्च से मई तक मनरेगा के लिए पीक सीजन का होता है, इसलिए इस सीजन में मनरेगा में सबसे ज्यादा मजदूर काम करने पहुंचते हैं।

पीक सीजन में 1 लाख 20 हजार से ज्यादा मजदूर करते है काम

पीक सीजन यानी गर्मी के महीनों में मनरेगा के तहत काम करने के लिए 1 लाख 20 हजार से ज्यादा मजदूर पहुंचते हैं, लेकिन इन दिनों करीब 35 से 40 हजार मजदूर ही मनरेगा का काम करने पहुंच रहे हैं। दिसंबर माह में यह आकड़ा और कम था। विभागीय अधिकारियों के अनुसार दिसंबर माह में करीब 20 हजार मजदूर ही काम करने पहुंच रहे थे, जिसकी संख्या अब बढ़कर 35 से 40 हजार तक पहुंच गई है। अधिकारियों का कहना है कि जून महीने से मनरेगा में मजदूरों की संख्या घटना शुरू हो जाती है, क्योंकि बारिश के सीजन में जहां मनरेगा अंतर्गत होने वाले कार्य बंद हो जाते हैं, वहीं मजदूर भी खेती- किसानी में जूट जाते हैं। बारिश के सीजन  के बाद धान की कटाई का काम शुरू हो जाता है, जो दिसंबर तक चलता है। इस कारण ज्यादातर मजदूर धान की कटाई से लेकर उपार्जन केंद्रों एवं मंडियों में धान की खरीदी-बिक्री आदि काम में मजदूरी करते हैं। जैसे-जैसे धान की बिक्री-खरीदी का काम खत्म होता है, वैसे-वैसे मजदूर मनरेगा के काम पर लौटते हैं।

इसे भी पढ़ें...नगरीय निकाय चुनाव : भाजपा ने की प्रांतीय अपील समिति की घोषणा, जिला प्रभारियों की सूची भी जारी

ब्लॉक वार तालाबों के गहरीकरण की स्थिति

वर्ष 2023-24 में     स्वीकृत      पूर्ण     अधूरे
अभनपुर               1170       184      95
आरंग                   276         230      46
धरसींवा                133           91      41
तिल्दा                  482          180      302

वर्ष 2024-25   स्वीकृत      पूर्ण     अधूरे

अभनपुर          143            86        57
आरंग              118            82        36
धरसींवा            75             46        29
तिल्दा              217           178       39

संख्या घटती बढ़ती है इसलिए विलंब

मनरेगा विभाग के सहायक परियोजना अधिकारी रोशनी तिवारी ने बताया कि, मजदूरों की संख्या घटती-बढ़ती है, इसलिए काम में विलंब होता है। तालाबों के निर्माण पूर्ण करने के लिए समय-सीमा तय नहीं होता, क्योंकि यह मजदूरों के काम पर आने पर निर्भर करता है। गर्मी के सीजन में पौक रहता है, इसलिए इन महीनों में सबसे ज्यादा मजदूर काम करने पहुंचते है, जिससे काम में तेजी आती है।