सूरज सिन्हा-बेमेतरा। छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में आज विश्व बांस दिवस के अवसर पर बांस से बने सबसे ऊंचे टावर का लोकार्पण किया गया। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से टावर का उद्घाटन किया। सृष्टि उद्योग कठिया ने विश्व के सबसे बड़े बस टावर का निर्माण किया है। एफिल टावर की तर्ज पर बने टॉवर की ऊंचाई 142 फिट है जो करीब 7400 किलोग्राम वजन है जिसको बनाने में 10 से 11 लाख लागत आई है।

दरअसल सृष्टि उद्योग कठिया ने विश्व के सबसे बड़े बस टावर का निर्माण किया है। जिसका लोकार्पण किया गया। एफिल टावर की तर्ज पर बने टावर की ऊंचाई 142 फिट है जो करीब 7400 किलोग्राम वजन है जिसको बनाने में 10 से 11 लाख लागत आई है। सृष्टि उद्योग क्रैश बैरियर कूच कवच को सफलतापूर्वक विभिन्न जगहों पर स्थापित करने के बाद उद्योग के फाउंडर और बांस प्रौद्योगिकी से जुड़े गणेश वर्मा ने दुनिया के सबसे ऊचें बैम्बू टावर को बनाया है। 

एफिल टावर की तर्ज पर बना बांस टावर 

यह टावर 140 फीट ऊंचा है। इसकी डिजाइन पेरिस के एफिल टावर जैसी दिखती है। सृष्टि उद्योग के फाउंडर गणेश वर्मा के स्टार्टअप को बांस के क्षेत्र में 15 पेटेंट मिल चुके हैं। यह भारत में बांस नवाचार के क्षेत्र में अग्रणी कंपनी है। उन्होंने बताया की यह बैम्बू टावर वैक्यूम प्रेशर इम्प्रेग्नेशन से उपचारित और हाई-डेंसिटी पॉलीएथिलीन से कोटेड बांस से बना है, जिसे बाहु-बल्ली भी कहा जाता है। इसका जीवनकाल 25 वर्षों से अधिक है। 

इसे  भी पढ़ें...कैंप में फायरिंग : खाने के लिए मिर्च नहीं देने पर CAF जवान ने अचानक खोल दिया फायर

बांस नवाचार में अद्भुत नमूना 

यह टॉवर पर्यावरण के अनुकूल विकल्प के रूप में हाईटेंशन बिजली सप्लाई टॉवर, दूरसंचार टॉवर, हाई मास्ट लाइट पोल्स और वॉच टॉवरों के लिए एक क्रांतिकारी समाधान प्रस्तुत करता है। दुनिया की पहली बांस क्रैश बैरियर के बाद यह बैम्बू टॉवर एक अद्भुत नवाचार है। यह स्टील की जगह बांस के उपयोग की संभावनाओं को और भी व्यापक करता है। बाहु-बल्ली के निर्माण के दौरान काफी मात्रा में अनुपयोगी बांस बच जाता है जिसका उपयोग बायो चारकोल बनाने में होता है। इस प्रक्रिया में काफी मात्रा में बायोविनेगर और बायोबीटूमीन का उत्पादन भी किया जाता है।

बांस उद्योग में रोजगार के अवसर

बांस उद्योग में रोजगार के अवसर 

यह उद्योग भारी संख्या में रोजगार पैदा करने वाला और किसानों को सीधे लाभ पहुंचाने वाला है। वर्तमान में बांस के क्रैश बैरियर्स, बैम्बू टॉवर, सुरक्षा फेंसिंग और अन्य उत्पादों की लागत स्टील के समकक्ष है। जैसे-जैसे उत्पादन की मात्रा बढ़ेगी। इसके लिए सहयोगी ईकोसिस्टम विकसित होगा। भविष्य में इनकी लागत में काफी कमी की उम्मीद की जा रही है। स्टील की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी और खनन चुनौतियों के कारण बांस एक स्थिर मूल्य विकल्प साबित हो सकता है। बड़े पैमाने पर उत्पादन में बांस स्टील की तुलना में किफायती साबित हो सकता है। बांस क्रैश बैरियर के अलावा रेलवे और सड़क परिवहन मंत्रालय भी बांस आधारित बाड़ लगाने के उपायों को लागू करने की दिशा में काम कर रहा है। जिससे अतिक्रमण और जानवरों के टक्कर से होने वाली दुर्घटनाओं को रोका जा सके।