रायपुर। जन्मजात कटे-फटे होंठ और तालू के साथ जन्मे बच्चों की मुस्कान प्लास्टिक सर्जरी के माध्यम से लौटाई जा रही है। इसके लिए डीके अस्पताल के बर्न एवं प्लास्टिक सर्जरी विभाग में हर महीने आधा दर्जन ऑपरेशन किए जा रहे हैं। इसके अलावा किसी हादसे में मिले जख्म अथवा अलग हो चुके अंगों को जोड़कर मरीजों की जान भी बचाई जा रही है। चिकित्सकों के अनुसार अस्पतालों के ज्यादातर विभागों में होने वाली सर्जरी के बारे में लोगों को आसानी समझ आ जाता है, मगर प्लास्टिक सर्जरी ऐसा विभाग है, जिसके बारे में लोगों को कम ही जानकारी होती है। आम लोगों को इस विभाग के माध्यम से दी जाने वाली सुविधा के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए वर्ल्ड प्लास्टिक सर्जरी डे मनाया जाता है।
यह विभाग ऐसा है, जहां किसी वजह से खराब हो चुके शरीर के हिस्से को निकालकर उसका पुनर्निर्माण किया जाता है। डीके अस्पताल में संचालित बर्न एवं प्लास्टिक सर्जरी विभाग के चिकित्सक भी इसी प्रयास में जुटे हुए हैं। उनके द्वारा हर महीने दस से ज्यादा मरीजों की कटे होंठ, फटे तालू और कान की प्लास्टिक सर्जरी कर राहत प्रदान की जा रही है। इसके अलावा किसी बुरे हादसे में आए चेहरे के फ्रैक्चर सहित अन्य विकृतियों और कट चुके अंग को वापस जोड़कर लोगों को राहत दिलाई जा रही है। छत्तीसगढ़ के अलावा यूपी, बिहार, झारखंड और ओडिशा के मरीज भी यहां ऑपरेशन के जरिए राहत पा चुके हैं।
हर महीने सौ ऑपरेशन
डीके अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. हेमंत शर्मा ने बताया कि विभाग की ओपीडी में प्रतिदिन 30 से 40 मरीज पहुंचते हैं। साथ ही यहां हर महीने सौ मरीजों का ऑपरेशन किया जाता है। यहां डॉ. दक्षेश शाह, डॉ. कृष्णकांत ध्रुव, डॉ. वी. दयाल तथा डॉ. एन. खूबचंदानी काम कर रहे हैं। प्लास्टिक सर्जरी के इस विभाग में हर वर्ष 10 हजार से ज्यादा लोग बाह्य रोग विभाग में अपना इलाज करा रहे हैं और प्रतिवर्ष करीब 4000 लोगों का ऑपरेशन किया जा रहा है। जेएन मेडिकल कॉलेज एवं डीके सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल में वर्ष 2005 से प्लास्टिक सर्जरी की सुविधा मिल रही है और यहां एमसीएच कोर्स का संचालन भी किया जा रहा है।
शासकीय स्तर पर एकमात्र स्किन बैंक
शासकीय स्तर पर डीके अस्पताल में एकमात्र स्किन बैंक का संचालन हो रहा है, जहां अब तक डेढ़ दर्जन से ज्यादा परिवारों ने अपने रिश्तेदारों की त्वचा दान में दी है। इसके माध्यम से कई बार गंभीर मरीजों की सर्जरी कर लोगों की जान बचाई गई है। दान में मिली त्वचा का 60 प्रतिशत से अधिक उपयोग बर्न विभाग में भर्ती होने वाले मरीजों के लिए किया जाता है। यहां कॉस्मेटिक सर्जरी, जिसमें चेहरे, नाक, बाल, स्तन एवं अनचाही चर्बी के इलाज की भी मरीजों को सुविधा मिल रही है।