IIT JEE Student Suicide: दिल्ली के ओखला इलाके में एक 17 साल की छात्रा ने सातवीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली। यह खौफनाक कदम उठाने से पहले लड़की ने एक सुसाइड नोट भी लिखा। सुसाइड नोट में लिखा है कि मम्मी-पापा मुझे माफ कर देना। मैं JEE क्रैक नहीं कर पाई। इस घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। चूंकि, वीडियो बेहद शॉकिंग है, जिसे देखना या दिखाया जाना सही नहीं है।
वीडियो में दिख रहा है कि एक युवक फोन पर बात कर रहा है। इस दौरान सड़क पर एक मोटरसाइकिल भी गुजरती नजर आ रही है। मोटरसाइकिल सवार के कुछ ही आगे बढ़ते हुए एक युवती सड़क पर गिरती दिख रही है। इसके बाद आसपास के लोग घटनास्थल पर इकट्ठा होकर ऊपर की ओर देखते नजर आ रहे हैं। आसपास के लोगों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर देती है।
बरामद हुआ सुसाइड नोट
पुलिस ने बताया कि शनिवार को जामिया नगर पुलिस स्टेशन में 11:25 बजे एक पीसीआर कॉल आई। इस कॉल में बताया गया कि ओखला मेन मार्केट में एक 17 साल की लड़की ने इमारत की 7वीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली है। पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। वहीं इस दौरान जब उसके कमरे की तलाशी ली गई तो एक सुसाइड नोट बरामद हुआ।
नहीं कर पाई JEE क्रैक
पुलिस का कहना है कि इस नोट के जरिए पता चला कि वो छात्रा 12वीं पास करने के बाद जेईई की तैयारी कर रही थी। वो JEE क्रैक नहीं कर पाई। उसने पढ़ाई के दबाव और मम्मी-पापा की उम्मीदों पर खरा न उतरने के कारण आत्महत्या की है। पुलिस ने 194 बीएनएसएस के तहत जांच शुरू कर कार्यवाही शुरू कर दी है।
अब तक आए कितने मामले
हाल ही में हुए एक सर्वे में पता चला है कि 67 फीसदी युवा शिक्षा और करियर के दबाव के कारण मानसिक रूप से परेशान रहते हैं। बिड़ला एजुकेशन ट्रस्ट की मानसिक स्वास्थ्य सेवा पहल एमपॉवर ने 30 कॉलेजों में सर्वे किया। इस सर्वे में लगभग 59 फीसदी बच्चे शैक्षणिक दबाव में थे। 67 में से 58 फीसदी बच्चों ने अपने दोस्तों से इस बारे में बात करने की बात कही। चौंकाने वाली बात ये है कि इनमें से मात्र 15 फीसदी बच्चों ने ही मनोचिकित्सक से संपर्क किया।
क्या बोले मनोविज्ञान के प्रोफेसर
इस पूरे मामले पर मनोविज्ञान के प्रोफेसर डॉ. आतिश तौकारी ने कहा- जिस तरह बच्चों में तनाव के कारण आत्महत्या के मामले देखने को मिल रहे हैं, ये चिंताजनक हैं। हम तनाव को जानकर उसे खत्म करना चाहते हैं, ताकि बच्चे ऐसे कदम न उठाएं और उन्हें समय रहते रोका जा सके।
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