Delhi National Lok Adalat: दिल्ली राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण (DSLSA) ने शनिवार को वर्ष 2024 की चौथी और अंतिम राष्ट्रीय लोक अदालत का सफल आयोजन किया। इस आयोजन ने विवाद समाधान और न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया। दिल्ली उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश और DSLSA के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति विभु बाखरू ने तीस हजारी कोर्ट परिसर का दौरा कर व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया। इस मौके पर प्रमुख जिला एवं सत्र न्यायाधीशों, DSLSA के सदस्य सचिव राजीव बंसल और अधिकारी भी मौजूद रहे।  

विवाद समाधान के लिए सशक्त मंच

DSLSA के सदस्य सचिव राजीव बंसल ने राष्ट्रीय लोक अदालत को विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए एक प्रभावी मंच बताया। उन्होंने कहा कि यह पहल न्यायिक प्रणाली को अधिक सुलभ और निष्पक्ष बनाने के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। न्यायमूर्ति विभु बाखरू ने समाज के अलग- अलग वर्गों, खासकर ट्रांसजेंडर व्यक्तियों, एसिड अटैक सरवाइवर और वरिष्ठ नागरिकों की सक्रिय भागीदारी की सराहना की।  

2.79 लाख मामलों में से 1.56 लाख का समाधान

राष्ट्रीय लोक अदालत में 352 पीठों का गठन किया गया, जिसमें कुल 2,79,496 मामलों को निपटारे के लिए प्रस्तुत किया गया। इनमें ट्रैफिक चालान, लोन वसूली, ग्राहके के विवाद, और अन्य न्यायिक मामले शामिल थे। 1,56,692 मामलों का निपटारा कर 1708.21 करोड़ रुपये की सेटलमेंट राशि तय की गई।  

राष्ट्रीय लोक अदालत के जरूरी आंकड़े
  
ट्रैफिक चालान: 1,92,965 चालानों का निपटारा कर 1.67 करोड़ रुपये जुर्माने के रूप में वसूले गए।  
MACT मामला:  सुनील बनाम गजेंद्र शीर्षक से 90 लाख रुपये के मुआवजे का फैसला साकेत न्यायालय परिसर में हुआ।  
जिला न्यायालय: 1,54,973 मामलों का निपटारा कर 270.81 करोड़ रुपये की सेटलमेंट राशि तय हुई।  
कंस्यूमर फोरम: 206 मामलों का निपटारा 8.78 करोड़ रुपये की राशि पर किया गया।  
लोन वसूली न्यायाधिकरण: 173 मामलों में 1422.62 करोड़ रुपये की निपटान राशि तय हुई।  
बिजली विवाद: 1320 मामलों का समाधान कर 5.14 करोड़ रुपये की राशि पर सहमति बनी।  

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न्याय तक सभी की पहुंच सुनिश्चित करने की पहल
  
इस राष्ट्रीय लोक अदालत ने न्यायिक प्रणाली को तेजी से कार्यशील बनाने में अहम भूमिका निभाई। न केवल हजारों विवादों का समाधान हुआ, बल्कि आर्थिक निपटान के रूप में 1708.21 करोड़ रुपये का बड़ा सेटलमेंट भी हुआ। यह प्रयास सामाजिक सौहार्द और कानूनी जागरूकता बढ़ाने में मील का पत्थर साबित हुआ। दिल्ली राष्ट्रीय लोक अदालत ने न केवल न्याय प्रक्रिया को गति दी, बल्कि समाज के हर वर्ग को न्याय तक पहुंचने का अवसर भी दिया। यह आयोजन न्यायिक सुधार और विवाद समाधान की दिशा में एक प्रेरणादायक उदाहरण बनकर उभरा।