Crime Against Children: एक तरफ जब पूरा देश बाल दिवस मना रहा हो और राजधानी में ही बच्चों के साथ इस तरह की घटनाएं हो रही हों तो यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। क्योंकि दिल्ली में ऐसी एक परेशान कर देने वाली घटना सामने आई है। एक चार साल की बच्ची के साथ स्कूल बस में छेड़छाड़ का मामला सामने आया है। पुलिस ने कार्यवाई करते हुए इस मामले में तीन आरोपियों को हिरासत में लिया है।
पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज
पुलिस के मुताबिक, घटना सोमवार को हुई जब बस बच्ची को प्ले स्कूल से घर ले जा रही थी। घर लौटने के बाद बच्ची ने अपने माता-पिता को बताया कि बस में ड्राइवर, कंडक्टर और एक स्कूल अटेंडेंट ने उसके साथ छेड़छाड़ की। इसके बाद, माता-पिता ने प्ले स्कूल में शिकायत दर्ज कराई। स्कूल ने पुलिस को सूचित किया और पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया। हालांकि, पीड़ित बच्ची के माता-पिता ने औपचारिक शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया है। दिल्ली पुलिस के डीसीपी (शाहदरा) प्रशांत गौतम ने इस मामले की पुष्टि की है और बताया कि तीनों आरोपियों को हिरासत में लिया गया है।
भारत में बाल यौन शोषण के मामले दर्ज वृद्धि
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बाल अधिकारों के लिए काम करने वाली गैर-सरकारी संगठन 'चाइल्ड राइट्स एंड यू' (CRY) ने अपने शोध में पाया है कि भारत में बाल यौन शोषण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के आधार पर किए गए विश्लेषण से पता चला है कि साल 2022 में बाल रेप और छेड़छाड़ हमलों के 38,911 मामले दर्ज किए गए, जो कि 2021 में दर्ज 36,381 मामलों से अधिक हैं। 2016 से 2022 के बीच इन मामलों में 96 फीसदी की वृद्धि हुई है।
जन जागरूकता और मौन की संस्कृति को तोड़ें
CRY के रिसर्च डायरेक्टर शुभेंदु भट्टाचार्जी ने कहा कि बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के अधिक मामले सामने आने के पीछे खास वजह बेहतर जन जागरूकता और रिपोर्टिंग व्यवस्था में सुधार है। जारी किए गए हेल्पलाइन, ऑनलाइन पोर्टल, और विशेष एजेंसियों के माध्यम से पीड़ित और उनके परिवार अधिक आसानी से शिकायत दर्ज करा पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों को रोकने में अहम भूमिका निभाई है। हाई-प्रोफाइल मामलों के मीडिया कवरेज इन मुद्दों पर खुली चर्चा को प्रोत्साहित किया है, जिससे पीड़ित और उनके परिवार चुप्पी तोड़ने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। ऐसा मानना है कि बाल यौन शोषण जैसे संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा करने और उनका समाधान खोजने के के लिए सामाजिक दृष्टिकोण में बदलाव ने मौन की संस्कृति को तोड़ने में मदद की है।
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