50 साल का हुआ नोएडा: बना उत्तर प्रदेश के विकास का इंजन, पढ़ें रामायण-महाभारत काल से अब तक का सफर

Noida Foundation Day: राजधानी दिल्ली से सटा नोएडा आज किसी पहचान का मोहताज नहीं। नोएडा को बिजनेस और एजुकेशन हब के साथ ही रिहायशी शहरों में गिना जाता है। इसे उत्तर प्रदेश राज्य के विकास इंजन भी कहा जाता है। आज 17 अप्रैल 2025 को नोएडा पूरे पचास साल का हो गया है। आज यहां पर बड़ी-बड़ी कंपनियां, बिल्डिंग, ऑफिस, फैक्ट्रियां, मॉल्स आदि बन चुके हैं। यहां की सड़कें और हाईवे भी यात्रियों को काफी सहूलियत देते हैं।
आने वाले कुछ ही समय में यहां इंटरनेशनल एयरपोर्ट और फिल्म सिटी जैसी बड़ी उपलब्धियां होंगी। आप जानते होंगे कि एक समय पर नोएडा एकदम बीहड़ हुआ करता था। ऐसे में कई बार लोगों के मन में ये सवाल आता है कि आखिर इतनी जल्दी नोएडा बड़े-बड़े रिहायशी शहरों को टक्कर कैसे देने लगा और दिल्ली के पास में नोएडा बसाने की जरूरत क्यों पड़ी? आइए जानते हैं...
देश के लिए रोल मॉडल बना नोएडा
बता दें कि वर्तमान समय में गैर परंपरागत औद्योगिक इकाइयों के लिए बसा नोएडा पूरे देश के लिए रोल मॉडल बन चुका है। दिल्ली में बढ़ती जनसंख्या के कारण आजादी के बाद नए शहर बसाने की जरूरत पड़ी। जानकारी के अनुसार, जब दिल्ली में जनसंख्या के बढ़ने का दबाव बढ़ने लगा, तो केंद्र सरकार को इसके इर्द-गिर्द बाहर से आने वाले लोगों के अनियंत्रित होने की चिंता बनी। इसके कारण 7 मार्च,1972 में फैसला लिया गया और 50 गांवों को यमुना-हिंडन-दिल्ली बॉर्डर रेगुलेटेड एरिया घोषित किया गया। यूपी रेगुलेशन ऑफ बिल्डिंग ऑपरेशन एक्ट 1958 के तहत ये घोषणा की गई।
1976 में बसा नोएडा
इसके बाद जून, 1975 में इमरजेंसी लग गई। वहीं दूसरी तरफ दक्षिणी दिल्ली के ओखला इंडस्ट्रियल एरिया की तर्ज पर यमुना नदी के पूर्वी किनारे पर नोएडा बसाने की तैयारी शुरू हुई। यूपी इंडस्ट्रियल एक्ट 1976 के तहत नोएडा बसाया गया। नोएडा का फुल फॉर्म न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी है। ये एक गठित अथॉरिटी थी, जिसके नाम पर इस जगह को नोएडा नाम से घोषित किया गया। यानी इस शहर को बसाने के लिए जिस अथॉरिटी को गठित किया गया था, उसी के नाम पर नोएडा का नाम पड़ा। कई बार नोएडा का नाम बदलने की भी चर्चा हुई, लेकिन ऐसे मुमकिन नहीं हो पाया।
देश ही नहीं, विदेश में भी बनाई जगह
17 अप्रैल 1976 के बाद से नोएडा ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) शुरू की। इसके तहत नोएडा ने देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी अपनी जगह बनाई। इसके तहत प्रत्यक्ष रूप से लगभग 12 लाख लोगों को रोजगार मिला। कहा जाता है कि इस इंडस्ट्रियल हब से मिलने वाला राजस्व पूरे देश में सबसे ज्यादा है। वहीं, 1980 के दशक की शुरुआत में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में तेज विकास की गति को देखते हुए और भीड़ के दबाव को कम करने के लिए नोएडा और गुड़गांव को एनसीआर में शामिल किया गया।
नोएडा का खाका धीरेंद्र मोहन मिश्र ने तैयार किया था
बुलंदशहर के तत्कालीन जिलाधिकारी धीरेंद्र मोहन मिश्र ने नोएडा का खाका तैयार किया था। वे 14 अप्रैल, 1975 से लेकर 26 अप्रैल, 1976 जिलाधिकारी रहे। वहीं 17 अप्रैल, 1976 को नोएडा की विधिवत घोषणा की गई। 10 मई 1976 को धीरेंद्र मोहन मिश्र ने नोएडा के पहले सीईओ का स्वतंत्र रूप से पदभार संभाला। 17 अप्रैल, 1976 को सबसे पहले 36 गांवों की जमीन को अधिग्रहण कर नोएडा बसाने के लिए काम शुरू किया गया और फिर 18 मई 1978 को 14 नए गांवों का अधिग्रहण कर 50 गांवों में नोएडा बसाया गया।
उत्तर प्रदेश के विकास का इंजन है नोएडा
6 सितंबर, 1997 में नोएडा, बुलंदशहर और गाजियाबाद के कुछ इलाकों को जोड़कर गौतमबुद्ध नगर को जिला बनाया गया। विकास के मामले में बुलंदशहर और गाजियाबाद, नोएडा से पीछे रह गए और नोएडा प्रदेश में सबसे आगे निकल गया। नोएडा को उत्तर प्रदेश के विकास का इंजन भी कहा जाता है।
संजय गांधी ने दिया था नोएडा बसाने का आइडिया
जानकारी के अनुसार, संजय गांधी ने प्लेन से झांकते हुए तत्कालीन सीएम नारायण दत्त तिवारी को औद्योगिक विकास के लिए एक नया शहर बनाने का आइडिया दिया था। कहा जाता है कि आपातकाल के समय वे सीएम के साथ लखनऊ जा रहे थे। विमान के दिल्ली की सीमा में दाखिल होने से पहले उन्हें यमुना किनारे खेतों का इलाका नजर आया। उन्होंने औद्योगिक विकास के लिए यहां नया शहर बसाने का सुझाव दिया। इसके बाद अप्रैल 1976 में नोएडा की स्थापना के लिए अथॉरिटी बनाई गई।
नोएडा में चल रहे विकास कार्य
- ग्रेटर नोएडा के जेवर में नोएडा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बन रहा है, जो देश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा।
- नोएडा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट को आईजीआई एयरपोर्ट से जोड़ा जाएगा।
- इसके साथ ही नोएडा में कई नई कंपनियां निवेश करने आने वाली हैं।
- ग्रेटर नोएडा के सेक्टर-21 में इंटरनेशनल फिल्म सिटी बनने जा रही है।
सतयुग और द्वापर युग से नोएडा का संबंध
कहा जाता है कि नोएडा का संबंध महाभारत काल यानी द्वापरयुग से है। जानकारों की मानें, तो नोएडा इलाके में महाभारत काल में गुरु द्रोणाचार्य का आश्रम हुआ करता था। यहां वे अपने शिष्यों और बेटों के साथ रहा करते थे। यहीं उन्होंने कौरवों और पांडवों को शिक्षा दी थी। एकलव्य ने भी यहीं पर धनुर्विद्या का अभ्यास किया था।
वहीं नोएडा रामायण काल से भी जुड़ा है। कहा जाता है कि नोएडा के बिसरख गांव में रावण का जन्म हुआ था। बिसरख रावण के पिता विश्रवा ऋषि का गांव हुआ करता था। उनके नाम पर ही बिसरख नाम पड़ा था। कहा जाता है कि पूरे देश में बिसरख इकलौती ऐसी जगह है, जहां पर अष्टभुजीय शिवलिंग स्थित है। रावण ने यहीं पर अपनी शिक्षा भी प्राप्त की थी। हालांकि बाद में उनके कुकर्मों के कारण भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर दिया था।
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