लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों से तिहाड़ जेल में बंद सीएम अरविंद केजरीवाल को बड़ा झटका लगा है। आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी न केवल दिल्ली में बल्कि पंजाब में भी पीछे चल रहे हैं। राजधानी दिल्ली में तो 'आप' का समर्थन कर रही कांग्रेस को भी यहां मायूसी झेलनी पड़ेगी। दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर बीजेपी प्रत्याशी भारी अंतर से बढ़त बनाए है। जानकारों का कहना है कि अब इस मार्जिन में ज्यादा बदलाव नहीं होगा। आम आदमी पार्टी ने जहां दिल्ली और हरियाणा में गठबंधन किया था, वहीं पंजाब में अकेले चुनाव लड़ा। हरियाणा के कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट पर आप और कांग्रेस के संयुक्त प्रत्याशी सुशील गुप्ता और बीजेपी प्रत्याशी नवीन जिंदल के बीच भी कांटे की टक्कर चल रही है। इस लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी से जुड़ी तमाम अपडेट्स यहां पढ़िये...
दोपहर 1 बजे दिल्ली की स्थिति
दोपहर एक बजे तक सभी सातों लोकसभा सीटों पर बीजेपी आगे चल रही है। चांदनी चौक से प्रवीन खंडेलवाल 19215, नार्थ ईस्ट से मनोज तिवारी 79071, ईस्ट दिल्ली से हर्ष मल्होत्रा 25736, नई दिल्ली से बांसुरी स्वराज 25882, नार्थ वेस्ट दिल्ली से योगेंद्र चंदोलिया 97415, पश्चिमी दिल्ली से कमलजीत सहरावत 67247 और साउथ दिल्ली से रामबीर बिधूड़ी 60801 वोटों से आगे चल रहे हैं।
दोपहर 1 बजे पंजाब की स्थिति
दोपहर एक बजे तक के रुझानों के मुताबिक, कांग्रेस 6 और आम आदमी पार्टी 3 सीटों पर बढ़त के साथ है। बीजेपी की बात करें तो फिरोजपुर लोकसभा सीट से गुरमीत सिंह सोढी 1273 वोटों के साथ आगे हैं। यहां कांग्रेस से शेर सिंह मैदान में हैं। आम आदमी पार्टी से प्रत्याशी जगदीप सिंह काका तीसरे स्थान पर चल रहे हैं। उधर, एक सीट पर शिरोमणि अकोली दल और दो सीटों पर निर्दलीय आगे चल रहे हैं।
11:00 बजे- दिल्ली में भी आप को बड़ा झटका
अभी तक के रुझानों में आम आदमी पार्टी को दिल्ली में भी बड़ा झटका दिखाई दे रहा है। दिल्ली की सात लोकसभा सीटों में से 6 सीटों पर बीजेपी प्रत्याशी आगे चल रहे हैं, वहीं एक सीट पर कांग्रेस आगे है। कांग्रेस ने चांदनी चौक लोकसभा सीट से जयप्रकाश अग्रवाल को उतारा है, वे बीजेपी प्रत्याशी प्रवीण खंडेलवाल को कड़ी चुनौती दे रहे हैं। उधर, कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से आप प्रत्याशी सुशील गुप्ता 993 वोटों के अंतर से नवीन जिंदल से पीछे छूट गए हैं।
10:45 बजे- पंजाब में कांग्रेस 7 और आप 3 सीटों पर आगे
आम आदमी पार्टी को भरोसा था कि विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव में भी भारी बहुमत मिलेगा, लेकिन अभी तक के रुझान बताते हैं कि कांग्रेस 7 सीटों पर और आप महज सिर्फ 3 सीटों पर आगे चल रही है। शिरोमणि अकाली दल की बात करें तो एक सीट पर आगे है, जबकि दो सीटें अन्य के खाते में बढ़त बना रही है।
हमें भरोसा सकारात्मक परिणाम आएंगे- गोपाल राय
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन पर कहा कि हमने बेहद अच्छे तरीके से चुनाव लड़ा है। हमें भरोसा है कि इंडिया गठबंधन जीतेगा और देश में तानाशाही का अंत होगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली का चुनाव भी बेहद रोचक रहा। भरोसा है कि यहां से सकारात्मक परिणाम आएंगे।
10:15 बजे- कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से सुशील गुप्ता आगे
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के संयुक्त प्रत्याशी सुशील गुप्ता कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट पर 9 हजार से अधिक सीटों पर आगे चल रहे हैं। बीजेपी से नवीन जिंदल दूसरे स्थान पर हैं, जबकि इनेलो से अभय चौटाला तीसरे स्थान पर चल रहे हैं।
आप ने दिल्ली में 4 लोकसभा सीटों पर लड़ा चुनाव
आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में गठबंधन किया था। गठबंधन के तहत आप ने चार और कांग्रेस ने 3 सीटों पर प्रत्याशी उतारे। आम आदमी पार्टी ने नई दिल्ली से सोमनाथ भारती, पूर्वी दिल्ली से कुलदीप कुमार, पश्चिमी दिल्ली से महाबल मिश्रा और दक्षिण दिल्ली से सही राम पहलवान को चुनाव मैदान में उतारा था। बाकी, तीन सीटों पर कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी उतारे थे। चांदनी चौक से जेपी अग्रवाल, उत्तर पूर्वी से कन्हैया कुमार और उत्तर पश्चिमी दिल्ली से उदित राज को प्रत्याशी बनाया था। अभी तक के रुझानों में सभी 7 सीटों पर बीजेपी प्रत्याशी बढ़त बनाए हैं।
आप ने इन मुद्दों पर लड़ा चुनाव
आम आदमी पार्टी ने राहुल मोदी के उठाए मुद्दों को उठाया था। पीएम मोदी पर तानाशाही, संविधान की रक्षा, लोकतंत्र खतरे में, बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दे पर चुनाव लड़ा। आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल 10 मई को अंतरिम जमानत पाकर तिहाड़ से रिहा हुए तो चुनाव प्रचार में उन्होंने सबसे पहला एजेंडा अपनी गिरफ्तारी को बनाया। उन्होंने कहा कि वो देश के लिए जेल गए हैं और जो चाहते हैं कि जेल से बाहर रहूं तो मुझे वोट देना। हालांकि अरविंद केजरीवाल के इस बयान ने आप को फायदे की बजाए नुकसान पहुंचाया।
विशेषकर, स्वाति मालीवाल पिटाई कांड के बाद से आम आदमी पार्टी पूरी तरह से बैकफुट पर आ गई थी। तीन दिन तक इस मामले पर चुप्पी साधने के बाद भी अरविंद केजरीवाल अपने पीए बिभव कुमार का समर्थन करते नजर आए। जानकारों का कहना है कि इस मामले में केजरीवाल की चुप्पी आप के लिए भारी साबित हुई है। कांग्रेस को अंदेशा था कि यह मुद्दा नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए अरविंद केजरीवाल से दूरी बना ली। बावजूद इसके कांग्रेस को भी दिल्ली की जनता का समर्थन नहीं मिल पाया है।