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दिल्ली सरकार राजधानी के लोगों के लिए रोजाना मनोरंजन के कार्यक्रमों का आयोजन करवा रही है। ताकि वह तनावपूर्ण वातावरण में आनंदित हो सकें।

Delhi: दिल्ली वासियों के लिए रोजाना मनोरंजन के कार्यक्रमों का आयोजन दिल्ली सरकार करवा रही है। यह बात दिल्ली के कला संस्कृति और भाषा विभाग मंत्री सौरभ भारद्वाज ने गुरुवार को कही है। उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा कि दिल्ली सरकार का कला संस्कृति और भाषा मंत्रालय रोजाना दिल्ली वालों के लिए अलग-अलग नाटक और मनोरंजन के कार्यक्रम लेकर आ रहा है, ताकि आप तनावपूर्ण वातावरण में आनंदित हो सकें।

मंत्री सौरभ भारद्वाज ने दी जानकारी

उन्होंने लोगों को आमंत्रित करते हुए कहा कि इन कार्यक्रमों में प्रवेश निशुल्क है। सौरभ द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, गुरुवार की शाम 5.30 बजे मंडी हाउस स्थित लिटिल थियेटर ग्रुप ऑडिटोरियम में 'कंधे पर बैठा था सांप' नाटक का मंचन किया गया। वहीं, इसी ऑडिटोरियम में गुरुवार को 6.30 बजे 'रेजंगला' कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसके अलावा श्री राम सेंटर ऑडिटोरियम में जान-ए-गजल कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इन कार्यक्रमों में कलाकारों की प्रस्तुतियों को देखकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले दिल्ली सरकार ने 2 से 4 जनवरी तक हास्य रंग उत्सव और 4 से 6 जनवरी तक लाफ्टर वीकेंड का आयोजन करवाया था, जिसमें भारी संख्या में दिल्ली वासियों ने पहुंचकर मनोरंजन किया था। दोनों ही कार्यक्रमों में आम जनता का प्रवेश बिल्कुल मुफ्त था। इन आयोजनों में हास्य कलाकार सुनील ग्रोवर, एहसान कुरैशी और कवि अशोक चक्रधर, अशोक जेमिनी ने अपनी प्रस्तुति देकर लोगों को हंसी-मजाक से लोटपोट कर दिया था। इस आयोजन के पीछे सरकार का मकसद लोगों का न केवल मनोरंजन करना है, बल्कि एक ऐसा माहौल देना है, जहां लोग सामूहिक रूप से एकत्र होकर खुशी का अनुभव कर सकें।

दिल्ली के युवा थिएटर निर्देशकों का उत्सव

12 जनवरी तक चलने वाला युवा नाट्य समारोह दिल्ली के युवा थिएटर निर्देशकों का उत्सव है, क्योंकि साहित्य कला परिषद पहली बार युवा निर्देशकों के लिए एक मंच प्रस्तुत करता है। युवा नाट्य समारोह का आयोजन लिटिल थिएटर ग्रुप, मंडी हाउस में नई प्रतिभाओं को खोजने का एक अवसर है। इसके माध्यम से युवा निर्देशक खुद को कल के थिएटर सितारों के जीवंत और नवीन दृष्टिकोण में देख सकेंगे। इस महोत्सव के माध्यम से उभरती प्रतिभाओं को पोषित कर एक पहचान मिल सकेगी और दिल्ली के सांस्कृतिक परिदृश्य के भविष्य को आकार दिया जा सकता है।

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