Delhi Water Crisis: राजधानी दिल्ली में जल संकट को लेकर राजनीति जारी है। रविवार को दिल्ली के मंत्री और AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए है। उन्होंने कहा कि हरियाणा की बीजेपी सरकार झूठ बोल रही है। जब से जल मंत्री आतिशि अनिश्तिचकालीन धरने पर बैठी हैं, तब से पानी और कम कर दिया है।
दरअसल, आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने प्रेसवार्ता की। इस दौरान उन्होंने कहा कि इस बार राजधानी का तापमान 50 डिग्री से भी ऊपर चला गया। यह बेहद ही चिंता की बात है। इस गर्मी में लोगों की पानी की खपत बढ़ी है। ऐसे में दिल्लीवालों को ज्यादा पानी की जरूरत है। दिल्ली में हरियाणा और उत्तर प्रदेश से पानी आता है। हरियाणा से रोजाना 613 MGD पानी आना चाहिए। लेकिन, पिछले कई दिनों से हरियाणा कम पानी भेज रहा है। जिससे दिल्ली में पानी का उत्पादन कम हो रहा है। आप मंत्री ने आरोप लगाते हुए कहा कि हरियाणा की बीजेपी सरकार लगातार कम पानी भेज रही है और इसे लेकर सरेआम झूठ बोल रही है।
आप नेता ने आरोप लगाया कि दिल्ली की जल मंत्री आतिशी के अनशन पर बैठने से पहले हरियाणा की बीजेपी सरकार 100 MGD कम पानी भेजती थी तो वहीं 21 जून से 100 MGD से भी ज्यादा कम पानी भेजा जा रहा है।
सौरभ भारद्वाज बोले- चुप हैं पीएम
आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि एक देश-एक चुनाव और टीम इंडिया की बात करने वाले लोग अपने ही देश की राजधानी के लोगों को प्यासा मार रहे हैं। हरियाणा की बीजेपी सरकार ने जानबूझकर दिल्ली का पानी रोक रखा है। इस मामले में प्रधानमंत्री चुप बैठे हैं। उन्हें दिल्ली का संकट नहीं दिख रहा है। कुछ दिनों पहले वह और जल मंत्री आतिशी LG से मिलने गई थीं, तब उन्होंने पूरी मीटिंग को रिकॉर्ड किया था। अगर LG साहब उस वीडियो को दिखा देंगे तो पूरे देश को पता चल जाएगा कि दिल्ली के लिए कौन काम कर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि LG को BJP के सांसदों और अधिकारियों की बातचीत और बैठकों की वीडियो को भी सार्वजनिक करना चाहिए।
आप नेता ने पेपर लीक को लेकर भी उठाए सवाल
आप के मंत्री ने पेपर लीक और पेपर कैंसिल को लेकर भी सवाल उठाएं। उन्होंने कहा कि यह सामान्य बात नहीं है। इससे छात्रों का बहुत बड़ा नुकसान होता है। छात्रों के समय और पैसे की बर्बादी होती है। पेपर लीक और पेपर रद्द होने से साबित हो गया है कि केंद्र सरकार की NTA और केंद्रीय शिक्षा मंत्री पूरी तरह से फेल हो गए हैं। इस पूरे मामले की जांच अगर सीबीआई कर रही है तो सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में की जाए या Joint Parliamentary Committee इस मामले की जांच करें। यह पूरा गड़बड़झाला केंद्र सरकार की ही एक संस्था ने किया है। ऐसे में उसी सरकार की एक संस्था दूसरी सरकारी संस्था की कैसे जांच कर सकती है?