Delhi Politics: दिल्ली महिला आयोग (DCW) के संविदा कर्मचारियों की बर्खास्तगी पर आम आदमी पार्टी और उसकी राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने भाजपा पर तीखे आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि भाजपा ने महिला विरोधी मानसिकता का परिचय देते हुए न सिर्फ महिलाओं के लिए न्याय की व्यवस्था को रोका है, बल्कि उन महिलाओं को भी नौकरी से निकाल दिया जो खुद अपनी जिन्दगी में कठीन परिस्थितियों से गुजर रही हैं। इसके अलावा आप सांसद स्वाति मालीवाल ने भी भाजपा पर हमला बोला है।
सैलरी देने के बजाय नौकरी से निकाला
आप अपने सोशल मीडिया हैंडल पर दावा कर रही है कि दिल्ली सरकार ने इन संविदा कर्मचारियों को स्थायी रोजगार देने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी और वे इस मुद्दे पर पीछे नहीं हटेंगे। पार्टी का आरोप है कि भाजपा ने दिवाली से पहले सैकड़ों कर्मचारियों को बर्खास्त कर यह साबित किया है कि वह महिलाओं के हितों के खातिर असंवेदनशील है। कई महिला कर्मचारियों ने भी भाजपा के इस कदम के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया। खास तौर से इस बात पर कि उनकी कई महीनों से तनख्वाह रुकी हुई थी और अब उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया है।
स्वाति मालीवाल ने की फैसले की निंदा
आप ने एलजी वीके सक्सेना पर आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली महिला आयोग की काम करने की क्षमता को बाधित किया, जिससे महिला सुरक्षा के कोशिशों पर नकारात्मक असर पड़ेगा। आखिर में संविदा कर्मचारियों की बर्खास्तगी पर आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच तनातनी का मामला महसूस होता साफ दिख रहा है। आप की राज्यसभा सांसद और DCW की पूर्व अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने पार्टी पर पलटवार करते हुए कहा है कि मैं DCW में काम करने वाली मेहनती संविदा कर्मचारियों को अचानक हटाए जाने की कड़ी निंदा करती हूं।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में महिलाओं लिए ईमानदारी से काम किया है। दिल्ली सरकार के फंड बंद करने के बाद भी कई महीनों से बिना वेतन के काम कर रहे हैं। DCW के मौजूदा सचिव का यह आदेश गैरकानूनी है। मैं दिल्ली सरकार और एलजी से अपील करती हूं कि इस आदेश को तत्काल वापस लिया जाए और इन कर्मचारियों की बहाली हो। साथ ही दिल्ली सरकार को दिवाली से पहले उन्हें वेतन भी देना चाहिए।
क्या है DCW से निकाले गए कर्मचारियों का मामला?
दिल्ली एलजी की मंजूरी से DCW के अप्रैल 2024 के आदेश के अनुपालन में आदेश पारित किया गया, जिसमें सभी संविदा कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गईं। यह आदेश महिला और बाल विकास विभाग ने 29 अप्रैल को जारी किया था, जिसमें उपराज्यपाल ने कर्मचारियों की समाप्ति की मंजूरी दी थी। आम आदमी पार्टी ने इस कदम के लिए भाजपा की आलोचना की और कहा कि यह फैसला दिवाली के मौके पर लिया गया, जिससे सैकड़ों कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।
DCW में कुल 223 संविदा पद थे, लेकिन अप्रैल में WCD यानी महिला और बाल विकास विभाग के जरिए सेवा समाप्त करने के समय आयोग में केवल 52 कर्मचारी तैनात थे। इसके अलावा 2017 में एलजी के जरिए नियुक्त की गई एक समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति को जारी नहीं रखा जा सकता है।
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