Fake GST Fund Refund Fraud: दिल्ली सरकार की एसीबी ने जीएसटी रिफंड के एक बड़े घोटाले का खुलासा किया है। इस मामले में एसीबी ने सात लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें एक जीएसटी अधिकारी, तीन वकील, दो ट्रांसपोर्टर और एक कंपनी का मालिक शामिल है। इस संबंध में एसीबी के अधिकारी ने जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि आरोपितों ने फर्जी कंपनियों के लिए करोड़ों रुपये का जीएसटी रिफंड प्रदान किया, जिससे सरकारी राजकोष को भारी नुकसान हुआ है।

जीएसटी फर्जी रिफंड का बड़ा घोटाला

एसीबी के ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर मधुर वर्मा के मुताबिक, आरोपियों की पहचान जीएसटी अधिकारी बबीता शर्मा, वकील राज सिंह सैनी, नरेंद्र कुमार सैनी और मुकेश सोनी, ट्रांसपोर्टर सुरजीत सिंह और ललित कुमार और फर्जी कंपनी के मालिक मनोज गोयल के रूप में हुई है।

सरकारी खजाने में 54 करोड़ की लगाई सेंध 

उन्होंने बताया कि जीएसटी अधिकारी बबीता शर्मा ने 54 करोड़ रुपये के फर्जी कंपनियों को कथित तौर पर रिफंड मंजूर किए, जो इन तीन वकीलों ने फर्जी कंपनियां बनाई हुई थी। ट्रांसपोर्टक सुरजीत सिंह और ललित कुमार ने फर्जी ई-वे बिल और जाली माल रसीदें मुहैया कराईं थी। इसी तरह मनोज गोयल भी रिफंड से फायदा हुआ।

वर्मा ने बताया कि घोटाले की जांच में सामने आया कि आरोपियों ने फर्जी जीएसटी रिफंड का दावा करने के लिए करीब 500 गैर-मौजूद फर्मों द्वारा व्यावसायिक गतिविधियां को दिखाया था, जिसमें कागजों पर दवाओं और चिकित्सा वस्तुओं का निर्यात दिखाया गया था।

जीएसटी अधिकारी ने बनाई योजना

उन्होंने बताया कि जीएसटी अधिकारी बबीता शर्मा ने 96 फर्जी फर्मों के साथ एक योजना बनाई और 2021 और 2022 के बीच 35.51 करोड़ रुपये के 400 से अधिक रिफंड को मंजूरी दी। पहले वर्ष में केवल 7 लाख के रिफंड को मंजूरी दी गई, लेकिन बाद में बाकी की रकम को मंजूरी दे दी गई।

ऐसे हुआ खुलासा

दरअसल, फर्जी कंपनियों को रिफंड जारी करने में गड़बड़ी का शक सितंबर 2021 में हुआ था। इसके बाद जीएसटी विभाग ने इन फर्जी कंपनियों की जांच के लिए एक विशेष टीम भेजी। जांच में पाया गया कि जिन कंपनियों के रिफंड दिया गया, उन नाम की कोई कंपनी नहीं है और ना ही उनका कोई कार्यालय है। इसके बाद 5 अक्टूबर को एडिशनल कमिश्नर विवेक अग्रवाल के नेतृत्व में मामले की प्रारंभिक जांच के आदेश दिए गए थे। जांच के आधार पर 6 दिसंबर को विस्तृत जांच के लिए मामला एसीबी को सौंपा गया था। इसके बाद से एसीबी इस मामले की जांच कर रही थी। अब दिल्ली सरकार की एसीबी ने इस रैकेट का पर्दाफाश किया है।