Delhi News: डायबिटीज के इलाज को और बेहतर बनाने के लिए दिल्ली के सबसे बड़े अस्पताल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया है, जिसकी मदद से दूर बैठकर भी डायबिटीज और इससे होने वाली बीमारियों का इलाज किया जा सकता है।

सॉफ्टवेयर से होगा इन बीमारियों का इलाज

इस सॉफ्टवेयर की मदद से स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के साथ ही छोटे इलाकों तक पहुंच बनेगी। इसकी मदद से डायबिटीज और इससे होने वाली आंख, किडनी और तंत्रिका तत्रों की समस्याओं का इलाज किया जा सकेगा। इस सॉफ्टवेयर में मरीज के ब्लड प्रेशर या डायबिटीज पाए जाने के अनुपात को डालना होगा। इसके बाद यह सॉफ्टवेयर खुद ही बता देगा कि मरीज को कौन सी दवा और कितनी मात्रा में दी जानी चाहिए। इसके अलावा ये सॉफ्टवेयर यह भी बताएगा कि कोई मरीज पहले से दवा का सेवन कर रहा है तो क्या डोज को बढ़ाने या घटाने की आवश्यकता है या नहीं।

एम्स के डॉक्टर ने दी जानकारी

इस सॉफ्टवेयर के बारे में एम्स के एंडोक्रिनोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉ. निखिल टंडन ने जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि सेंटर फॉर कार्डियोवस्कुलर रिस्क रिडक्शन इन साउथ एशिया (CARRS) के तहत टाइप टू डायबिटीज के मरीजों को शामिल कर दस सालों तक इसका अध्ययन किया गया।

समय की होगी बचत

उन्होंने बताया कि इस सॉफ्टवेयर की मदद से डॉक्टर को मरीज की बीमारी की हिस्ट्री जानने में अधिक समय नहीं लगेगा और वह मरीजों को सिर्फ उपचार संबंधी सलाह देंगे। इससे समय की भी बचत होगी।

डॉ. टंडन ने कहा कि CARRS के तहत अध्ययन में टाइप टू डायबिटीज वाले 1146 मरीजों को शामिल किया गया था। इस सॉफ्टवेयर की मदद से डायबिटीज के चलते होने वाली किडनी, आंख और तंत्रिका तंत्रों की बीमारियों को 32 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। इस तकनीक की मदद से ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा हार्ट की समस्याओं में भी 28 प्रतिशत तक की कमी लाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि सॉफ्टवेयर को कंप्यूटर की जानकारी रखने वाला कोई भी व्यक्ति ऑपरेट कर सकता है और वर्तमान में सीडीएसएस का संचालन पंजाब में नर्स के जरिए किया जा रहा है।