Delhi AIIMS: दिल्ली एम्स ने एक और कमाल किया है। एम्स ने जैली, अंगूर और खाली बर्तन जैसे सामानों के इस्तेमाल कर इंसान का दिमाग (मॉडल) तैयार कर दिया है। न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉक्टर्स अब इसका इस्तेमाल दिमाग की सर्जरी सीखने के लिए कर रहे हैं। इससे पहले सिर्फ किताबों और शव के माध्यम से परीक्षण किया जाता था। अब इसके तैयार होने से डॉक्टरों को दिमाग की सर्जरी सीखने में आसानी होगी।
जैली और अंगूर के इस्तेमाल से बनाया दिमाग
दरअसल, दिमाग की सर्जरी सीखने के लिए पर्याप्त शव नहीं मिल पाते हैं, जिसके चलते सभी डॉक्टर को खुद से हाथ साफ करने का मौका नहीं मिल पता था। दिल्ली एम्स के डॉक्टर्स ने इस कमी को देखते हुए जैली, अंगूर और खाली बर्तन का इस्तेमाल कर एक मॉडल तैयार किया है, जो बिल्कुल दिमाग की तरह है। इसकी मदद से डॉक्टर्स सर्जरी सीख रहे हैं।
सर्जरी सीखने मिल रही मदद
इसको लेकर एम्स के न्यूरो सर्जरी विभाग के विवेक टंडन का कहना है कि दिमाग की सर्जरी की बारीकी से सिखाना बहुत जरूरी है, क्योंकि इसमें एक छोटी सी गलती भी मरीज की जान ले सकती है। ऐसे में किताबों की मदद से दिमाग की पिक्चर ही दिखाई देती है। जिसके चलते दिमाग के अंदर धमनियों सहित अन्य अंगों का आकलन कर पाना स्पष्ट नहीं हो पता। डॉक्टर को बेहतर तरीके से सर्जरी सिखाने के लिए अब इसका की प्रयोग किया जा रहा है।
500 रुपये में तैयार किया मॉडल
इस मॉडल को कांच के बर्तन में जैली, छोटे फल सहित दूसरे सामानों के इस्तेमाल से महज 500 रुपये में तैयार किया गया है। इससे डॉक्टर को सर्जरी सिखाने में भी मदद मिल हो रही है। उन्होंने बताया कि डॉक्टर जैली में नीडल को डालकर बीमारी तक पहुंचाने की कोशिश करता है। इसमें सामान्य ऑपरेशन की तरह दिमाग का एमआरआई की जाती है। उसके बाद नीडल डालकर अंगों की पहचान व सर्जरी करवाई जाती है। इसके उपयोग से डॉक्टर को यह पता होता है कि किस अंग के पीछे कौन सा अंग छिपा है। वह सब थ्री डाइमेंशनल में देख पता है।