दिल्ली की सड़कों से लेकर मेट्रो तक बदले जाएंगे साइनबोर्ड, अब 4 भाषाओं में लिखी होगी जानकारी

देश की राजधानी दिल्ली में सड़कों से लेकर मेट्रो व बस स्टैंड पर लगे साइनबोर्ड में अब चार भाषाओं में जानकारी लिखी होगी। फिलहाल अधिकतर जगहों पर साइनबोर्ड हिंदी और अंग्रेजी में होते हैं। लेकिन जल्द ही दिल्ली के सभी स्थानों पर लगे साइनबोर्ड पर हिंदी और अंग्रेजी के अलावा पंजाबी और उर्दू में जानकारियां लिखी जाएंगी। इस कदम का उद्देश्य भाषाई विविधता को बढ़ावा देने के साथ-साथ दिल्ली की आधिकारिक भाषाओं को प्रदर्शित करना है। दिल्ली सरकार के साथ काम करने वाले अधिकारियों को भी अपने कार्यालय के बाहर लगे बोर्ड पर अपने नाम इन चार भाषाओं में प्रदर्शित करने होंगे।
बता दें कि यह कदम 'दिल्ली आधिकारिक भाषा अधिनियम, 2000' के अनुरूप है, जो हिंदी को पहली आधिकारिक भाषा और पंजाबी व उर्दू को दूसरी आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता देता है।
सभी भाषाओं के सेम साइज में होंगे फॉन्ट
4 नवंबर को कला, संस्कृति और भाषा विभाग ने सभी विभागों, नागरिक निकायों और स्वायत्त प्राधिकरणों को दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के निर्देशों का पालन करते हुए अधिनियम का अनुपालन सुनिश्चित करने का आदेश दिया था। आदेश में यह साफ तौर पर स्पष्ट किया गया है कि बोर्ड पर साइनबोर्ड पर सभी भाषाओं को समान फॉन्ट होना चाहिए और साथ ही उनका क्रम हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी और उर्दू के रूप में होना चाहिए। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह निर्देश मेट्रो स्टेशनों अस्पतालों, सार्वजनिक पार्कों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर लागू होगा।
PWD जल्द शुरू बदलेगा साइनबोर्ड
जानकारी के मुताबिक, दिल्ली में 1,250 किलोमीटर की सड़कों की देखरेख की जिम्मेदारी संभालने वाला लोक निर्माण विभाग (PWD) जल्द ही साइनबोर्ड को बदलने का काम शुरू कर देगा। उपराज्यपाल का निर्देश केंद्रीय गृह मंत्रालय के आधिकारिक भाषा विभाग के 2011 को आदेश से भी मेल खाता है, जिसमें ‘ए क्षेत्र’ में आने वाले राज्यों दिल्ली, बिहार, और हरियाणा आदि को स्थानीय स्तर पर अन्य भाषाओं के क्रम को सुनिश्चित करते हुए सार्वजनिक संकेतकों पर हिंदी को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया गया था। हिंदी अपनी आधिकारिक स्थिति और ज्यादा उपयोग किए जाने की वजह से पहले स्थान पर है।
दिल्ली में 8.73 लाख पंजाबी
2023 दिल्ली सांख्यिकी पुस्तिका के मुताबिक, 8.73 लाख लोगों द्वारा पंजाबी बोली जाती है, जबकि उर्दू भाषा लगभग 8.67 लाख लोगों द्वारा बोली जाती है। विभाग के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि उन्हें यह खबर सुनकर खुशी हुई कि 'दिल्ली राजभाषा अधिनियम 2000’ के आधिकारिक क्रियान्वयन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ये भाषाएं हमारे समृद्ध बहुसांस्कृतिक इतिहास का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिसे उर्दू के एक मुहावरे 'गंगा-जमुनी तहजीब' में काफी अच्छी तरह से व्यक्त किया गया है।
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