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Delhi Cyber crime: दिल्ली में जालसाजों ने फेसबुक पर एंटी करप्शन ब्रांच के मुखिया और ज्वाइंट कमिश्नर मधुर वर्मा के नाम से फेक अकाउंट बनाकर उनके रिश्तेदारों को मैसेज कर साइबर ठगी करने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो सका। जानिये कैसे...  

Delhi Cyber crime: सोशल मीडिया के बढ़ते चलन के साथ ही साइबर ठगी के तरीकों में भी बदलाव देखा जा रहा है। साइबर क्रिमिनल्स एक से बढ़कर एक नए तरीके निकाल कर साइबर ठगी को अंजाम देते हैं। वे किसी न किसी तरीके से लोगों को ठगी का शिकार बना लेते हैं। काफी समय से साइबर क्रिमिनल्स मैसेज के जरिए लिंक भेजकर, फेक आईडी बनाकर, फर्जी दस्तावेज और डिजिटल अरेस्ट जैसे तमाम तरीकों से लोगों को ठगी का शिकार बनाते हैं। इनका हौंसला इतना बढ़ गया है कि आईपीएस अधिकारियों को भी निशाना बनाने की कोशिश में रहते हैं। एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां आईपीएस अधिकारियों के रिश्तेदारों को ठगने का असफल प्रयास किया गया।  

IPS की फर्जी फेसबुक आईडी बनाकर की साइबर ठगी की कोशिश

साइबर ठगों ने आईपीएस मधुर वर्मा के नाम से फर्जी फेसबुक आईडी बनाई। इस आईडी के जरिए उन्होंने आईपीएस के रिश्तेदारों को मैसेज किए कि वो अपना फर्नीचर बेचना चाहते हैं। इन आरोपियों को दो बार पकड़ा गया, जिसके बाद उन्होंने आईडी डिलिट कर दी थी और अब एक बार फिर उन्होंने आईपीएस की फर्जी आईडी बनाकर रिश्तेदारों को मैसेज किए हैं। 

आईपीएस ने दी रिश्तेदारों को सूचना

इस पूरे मामले की जानकारी मिलते ही आईपीएस मधुर वर्मा ने अपने करीबियों को कॉल करके चेतावनी दी। साथ ही दिल्ली की साइबर सेल को शिकायत दी। अब इस मामले की जांच की जा रही है। ठगों के द्वारा मधुर वर्मा की जो फेक प्रोफाइल बनाई गई, उस पर लिखा था 'मेरा एक दोस्त सीआरपीएफ में है, उसका ट्रांसफर हो गया है और वह अपना फर्नीचर सस्ते दाम में बेचना चाहते हैं।'

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नौकरी दिलाने के नाम पर भी करता था ठगी

इस आरोपी ने प्रोफेशनल सोशल साइट लिंक्डइन (Linkden) पर भी अपनी फर्जी आईडी बना रखी थी। इस आईडी के जरिए वो लोगों को नौकरी दिलाया करता था। साथ ही नौकरी दिलाने के नाम पर पैसे मांगता था। 

इन तरीकों से भी होती है साइबर ठगी

बता दें कि पिछले कई सालों से अलग-अलग तरीकों से ठग लोगों से साइबर ठगी कर रहे हैं। सबसे पहले वे बैंक अकाउंट नंबर लेकर उनके रजिस्टर्ड नंबर पर ओटीपी भेजकर अकाउंट से पैसे खाली कर लेते थे। इसके बाद उन्होंने अकाउंट पर पैसे मांगने के लिए रिक्वेस्ट शेयर करना शुरू किया। इसके बाद कई अन्य तरीकों से साइबर ठगी को अंजाम दिया जाने लगा। इन दिनों साइबर ठगों का सबसे आम तरीका डिजिटल अरेस्ट है। 

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