Swati Maliwal Case: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी बिभव कुमार को आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल से मारपीट करने के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है। बिभव कुमार ने एक दिन पहले ही ईमेल के माध्यम से स्वाति मालीवाल के खिलाफ काउंटर एफआईआर की है। काउंटर एफआईआर वो होती है, जिसमें एक ही मामले पर दो पक्ष एक-दूसरे के खिलाफ केस दर्ज करा देते हैं।
जानकारों की मानें तो अधिकांश काउंटर एफआईआर पीड़ित को परेशान करने के लिए फाइल किया जाता है, लेकिन कई बार आरोपी स्वयं भी अपना पक्ष मजबूत करने के लिए पहले ही एफआईदर्ज कर देता है। ऐसे में असल पीड़ित को क्रॉस एफआईआर का सहारा लेना पड़ता है। अब सीएम आवास पर मारपीट मामले में स्वाति मालीवाल और बिभव कुमार ने एक-दूसरे के खिलाफ केस दर्ज कराया है। ऐसे में जानना जरूरी है कि अदालत इस मामले को किस नजरिये से देख सकता है।
गुरुग्राम के वकील अनंद शर्मा का कहना है कि अदालतों ने कानूनी रूप से क्रॉस/काउंटर एफआईआर दर्ज करने पर अनुमति या प्रतिबंध नहीं लगाया है। कारण यह है कि काउंटर एफआईआर एक ही मामले पर अलग-अलग पक्षों को रोशनी में लाता है। अदालतों ने पुलिस को समय-समय पर निर्देशित किया है कि अगर प्रथम दृष्टया मामला पेचिदा लगता है, तो दोनों पक्षों की एफआईआर दर्ज की जा सकती या फिर एक भी एफआईआर जांच होने तक दर्ज नहीं कर सकती है। यही नहीं, पुलिस एफआईआर के लिए संयुक्त जांच कर संयुक्त आरोप पत्र दाखिल कर सकती है या फिर अलग-अलग आरोप पत्र भी दाखिल किया जा सकता है।
बिभव ने भी दाखिल की क्रॉस एफआईआर
स्वाति मालीवाल के खिलाफ बिभव कुमार ने भी क्रॉस एफआईआर दर्ज कराई है। बिभव ने मेल से दी शिकायत में स्वाति मालीवाल के आरोपों को झूठा बताया है। उन्होंने कहा कि स्वाति मालीवाल बिना परमिशन के सीएम आवास में आईं और जब उन्हें रोकने का प्रयास किया तो बदसलूकी करनी शुरू कर दी। गाली गलौच की और नौकरी से निकालने की धमकी दी। बिभव ने अपनी शिकायत में यह भी कहा कि स्वाति मालीवाल ने उनके साथ मारपीट की है। उन्होंने आरोप लगाया कि स्वाति मालीवाल उन्हें झूठे केस में फंसाना चाह रही है।
बिभव कुमार और स्वाति मालीवाल में किसका पलड़ा
भारी स्वाति मालीवाल ने घटना के वक्त ही पुलिस को घटना की सूचना दे दी थी। घटना के दिन वे संबंधित पुलिस थाने भी पहुंची, लेकिन लौट गई थीं। इसके बाद से सामने नहीं आईं। 16 जून को दिल्ली पुलिस की एक टीम स्वाति मालीवाल के आवास पर पहुंची, जहां चार घंटे पूछताछ चली। इसके अगले दिन 17 जून को उनका मडिकल कराया गया। इसके बाद दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में सीआरपीसी की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज कराए। नोएडा के वकील अभिनव शर्मा का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति धारा 164 के तहत बयान दर्ज कराता है, तो उसके बयान को अदालत को सबूत मानने की शक्ति है। मजिस्ट्रेट बयान के बाद पुलिस भी मामले की तेजी से जांच करने को बाध्य हो जाती है। ऐसे में स्वाति मालीवाल के आरोपों को कोई भी आसानी से नजरअंदाज नहीं कर सकता है। वहीं, पुलिस का भी दायित्व है कि सबूतों के आधार पर सच को सामने लाए।
अभी तक मिले ये सबूत
अभी तक के सबूतों की बात की जाएं तो सबसे पहला सबूत यह है कि आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय शर्मा का वो बयान, जिसमें उन्होंने कहा था कि सीएम आवास पर स्वाति मालीवाल से बिभव कुमार ने अभद्रता की। दूसरा पक्ष यह है कि एमएलसी रिपोर्ट में भी स्वाति मालीवाल को गंभीर चोटें लगने का जिक्र किया गया है। इसके अलावा, पुलिस घटनास्थल का रीक्रियेट भी कर चुकी है।
वहीं, दूसरे पक्ष की मानें तो स्वाति मालीवाल बीजेपी के इशारे पर षड्यंत्र रच रही है। आप नेता आतिशी ने आज भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वो भर्ती घोटाले की जांच से बचने के लिए इस षड्यंत्र में शामिल हुई हैं। उन्होंने मांग की है कि स्वाति मालीवाल की कॉल डिटेल्स और घटना के दिन किन नेताओं से बातचीत होनी चाहिए, इन सबकी जांच होनी चाहिए। ऐसे में पुलिस इस मामले पर भी अवश्य इंवेस्टीगेट करेगी ताकि पूरा सच सामने आ सके।